जापानी नहीं 'देशी लुक'! जानिए...भारत के पहले बुलेट ट्रेन के डिजाइन में किन बातों का रखा जा रहा ख्याल

भारतीय रेलवे ने इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) को 280 किमी प्रति घंटे की गति वाली बुलेट ट्रेन बनाने का काम सौंपा है।

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India and Japan are very close to finalizing changes in design of Mumbai-Ahmedabad Bullet Train

प्रतीकात्मक फोटो (फोटो- IANS)

नई दिल्ली: भारत और जापान मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल (एमएएचएसआर) कॉरिडोर पर चलने वाली बुलेट ट्रेनों के डिजाइन को अंतिम रूप देने के बेहद करीब हैं। यह विकास भारत की मुख्य बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए निविदा प्रक्रिया को आसान बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

अपनी गति और दक्षता के लिए मशहूर जापानी शिंकानसेन बुलेट ट्रेनों को भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप तैयार किया जा रहा है।

भारत में इस्तेमाल होने वाली जापानी शिंकानसेन बुलेट ट्रेनों के डिजाइन में ऐसे बदलाव किए जा रहे हैं जिससे भारतीय यात्रियों के लिए सामान रखने की जगह बढ़ाई जा सके और ट्रेनें 50 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान में भी आसानी से चल सकें। साथ ही, ट्रेन को भारत के धूल भरे वातावरण के अनुरूप तैयार किया जा रहा है।

इकोनॉमिक टाइम्स से बातचीत में एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बुलेट ट्रेन के नए डिजाइन में बैठने की व्यवस्था बदली जा सकती है, जिससे मूल जापानी डिजाइन की तुलना में प्रत्येक कोच में सीटों की संख्या कम हो सकती है। इन बदलावों को जल्द ही औपचारिक मंजूरी मिलने की संभावना है।

सिविल का काम 50 फीसदी हो चुका है पूरा

एमएएचएसआर कॉरिडोर का निर्माण तेजी से आगे बढ़ रहा है। गुजरात, महाराष्ट्र और दादरा व नगर हवेली में 50 फीसदी से ज्यादा सिविल का काम पूरा हो चुका है। गुजरात में इस महीने कॉरिडोर के वायाडक्ट्स पर रेल वेल्डिंग का काम शुरू हुआ है।

एक आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक 60 किलोमीटर से ज्यादा लंबी जापानी रेल पटरियां बिछाई जा चुकी हैं। भारत बुलेट ट्रेन और हाई-स्पीड सिग्नलिंग सिस्टम बनाने के लिए अपनी खुद की क्षमताओं को बढ़ा रहा है।

कुछ घटक अभी भी जापान से आयात किए जा रहे हैं, लेकिन भारत लंबी अवधि में आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए जरूरी कदम उठा रहा है।

आईसीएफ और बीईएमएल मिलकर परियोजना पर कर रहे हैं काम

भारतीय रेलवे ने इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएप-ICF) को 280 किमी प्रति घंटे की गति वाली बुलेट ट्रेन बनाने का काम सौंपा है। आईसीएफ, भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल-BEML) के साथ मिलकर 866.87 करोड़ रुपए की लागत से यह परियोजना शुरू कर रहा है।

प्रत्येक कोच की लागत लगभग 27.86 करोड़ रुपए है, जिसमें डिज़ाइन, विकास और परीक्षण खर्च शामिल हैं।

बुलेट ट्रेन की ट्रेनसेट की डिलीवरी 2026 तक हो सकती है

बेंगलुरु स्थित बीईएमएल ने अपनी रेल कोच सुविधा में ट्रेनसेट बनाने की योजना बनाई है और इनकी डिलीवरी साल 2026 तक हो सकती है। इन ट्रेनों में पूरी एयर कंडीशनिंग और कुर्सी कार व्यवस्था होगी। यात्रियों को समायोज्य सीटें, विकलांग व्यक्तियों के लिए सुविधाएं और मनोरंजन प्रणाली जैसी आधुनिक सुविधाएं मिल सकती हैं।

दुनिया भर में, जापान की शिंकानसेन और फ्रांस की टीजीवी जैसी हाई-स्पीड ट्रेनें 250 किमी प्रति घंटे से ज्यादा की गति से चलती हैं, जो सुरक्षा और दक्षता के नए मानक बनाती हैं। एमएएचएसआर कॉरिडोर के साथ भारत का उद्देश्य इन देशों के साथ हाई-स्पीड रेल प्रौद्योगिकी में शामिल होना है।

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