आयकर अधिकारी ईमेल से लेकर आपके सोशल मीडिया अकाउंट पर भी रख सकेंगे नजर, नियमों में बदलाव

वर्तमान में आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 132 आयकर अधिकारियों को तलाशी अभियान के दौरान संपत्ति और बहीखाते जब्त करने की अनुमति देती है। अब नियमों में बदलाव होने जा रहा है।

Income Tax Officer

Photograph: (AI, Grok)

नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2026-27 यानी अगले साल के 1 अप्रैल से आयकर अधिनियम कानून में जुड़ने वाला एक नया नियम आयकर विभाग को आपके सोशल मीडिया अकाउंट या ईमेल तक पहुँचने की अनुमति दे सकता है। आयकर विभाग को अगर कर चोरी का संदेह लगता है तो ऐसी स्थिति में इसका प्रयोग कर सकते हैं।

आयकर विधेयक 2025 को हाल ही में संसद में पेश किया गया था। इस बिल में आयकर अधिकारियों को व्यक्तिगत सहित वित्तीय डिजिटल स्पेस तक पहुँचने और उनका निरीक्षण करने का कानूनी अधिकार देने का प्रावधान है। बिल में इसे 'वर्चुअल डिजिटल स्पेस' कहा गया है। इसका मतलब यह हुआ कि आयकर विभाग को अगर कोई संदेह होता है तो वह आपके सोशल मीडिया अकाउंट, व्यक्तिगत ईमेल, बैंक अकाउंट, ऑनलाइन निवेश अकाउंट, ट्रेडिंग अकाउंट आदि तक पहुंच सकता है।

अभी क्या नियम है?

वर्तमान में आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 132 आयकर अधिकारियों को तलाशी अभियान के दौरान संपत्ति और बहीखाते जब्त करने की अनुमति देती है। ऐसा वे तब करते हैं जब उन्हें यह मानने के लिए पर्याप्त सबूत मिलते हैं कि किसी व्यक्ति के पास अघोषित आय या संपत्ति है। 
 
बिल में संशोधन के संसद में पारित होने के बाद अधिकारियों यह अधिकार डिजिटल क्षेत्र तक पहुंच जाएगा, जिससे वे कंप्यूटर सिस्टम और आपके वर्चुअल स्पेस तक पर नजर दौड़ा सकेंगे। 

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार आयकर विधेयक के क्लॉज-247 में इस विस्तारित अधिकार का उल्लेख किया गया है। इसमें कहा गया है कि अगर पहुंच संभव नहीं हो तो अधिकारी 'किसी भी दरवाजे, बक्से, लॉकर, तिजोरी, अलमारी या अन्य रिसेप्टेकल का ताला तोड़ सकते हैं' या कंप्यूटर सिस्टम या वर्चुअल डिजिटल स्पेस तक 'एक्सेस कोड को ओवरराइड करके पहुँच प्राप्त कर सकते हैं।' यह तब लागू होगा जब उन्हें लगेगा कि किसी व्यक्ति के पास अघोषित आय या संपत्ति है।

आईटी एक्ट में जोड़ा गया 'वर्चुअल डिजिटल स्पेस' क्या है?

बिल के अनुसार वर्चुअल डिजिटल स्पेस में ईमेल सर्वर, सोशल मीडिया अकाउंट, रिमोट सर्वर या क्लाउड सर्वर, डिजिटल एपलिकेशन प्लेटफॉर्म, ऑनलाइन निवेश खाते, ट्रेडिंग खाते, बैंकिंग खाते और किसी भी संपत्ति के स्वामित्व का विवरण संग्रहीत करने के लिए उपयोग की जाने वाली कोई भी वेबसाइट शामिल होगी। 

इस अधिकार का इस्तेमाल कौन कर सकता है, यानी किन अधिकारियों को ऐसी जांच की शक्ति होगी, इसे लेकर भी बिल में स्पष्ट किया गया है। बिल में 'अधिकृत अधिकारी' की बात कही गई है, जो ये जांच कर सकेंगे। इनमें- संयुक्त निदेशक, अतिरिक्त निदेशक, संयुक्त आयुक्त, अतिरिक्त आयुक्त, सहायक या उप निदेशक, सहायक या उप आयुक्त, आयकर अधिकारी और कर वसूली अधिकारी शामिल हैं।'

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