सोम ग्रुप के कारखाने में 13 साल के बच्चों से 11 घंटे तक काराया जाता है शराब की पैकिंग, रिपोर्ट में दावा

इससे पहले साल 2021 में एक बाहरी ऑडिट में झारखंड के कार्ल्सबर्ग कारखाने में बाल मजदूरी का एक केस सामने आया था।

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In madhya pradesh Som Group factory 13 year old children are made to pack liquor for 11 hours claims the report

प्रतिकात्मक फोटो (फोटो- IANS)

भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किए गए निरीक्षण में सोम ग्रुप डिस्टिलरी में बाल मजदूरों को शराब की बोतलों को भरते और उन्हें पैक करते हुए पाया गया है। हालांकि इस बारे में रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं की गई है लेकिन न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के हलावे से इसका दावा किया गया है।

अवैध रूप से काम करते पकड़े गए थे 58 बच्चे 

डिस्टिलरी में काम कर रहे कुछ बच्चों की उम्र 13 साल बताई जा रही है। कारखाने पर आरोप लगा है कि यहां पर बाल मजदूरों को लंबे समय तक काम कराया जाता है। बता दें कि पिछले महीने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने यहां पर 58 बच्चों को अवैध रूप से काम करने को रिपोर्ट किया था जिसके बाद पुलिस की जांच शुरू की गई थी।

आयोग ने बच्चों की कुछ तस्वीरें भी जारी की थी जिसमें बाल मजदूरों के हाथ रासायनिक जल से जले हुए दिखाई दे रहे थे। मामले में आयोग को पता चला कि बच्चों को स्कूल बसों में बैठाकर कारखाने में लाया जाता है।

27 श्रमिकों के साक्षात्कार के आधार पर रिपोर्ट हुई है तैयार

दावा यह भी किया गया है कि राज्य के औद्योगिक स्वास्थ्य और सुरक्षा विभाग ने 27 श्रमिकों के साक्षात्कार के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की है। यह रिपोर्ट डिस्टिलरी में निरीक्षण के दूसरी दिन यानी 16 जून को तैयार हुई है।

दावा यह भी है कि रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि की गई है कि डिस्टिलरी में काम कर रहे बाल मजदूर सुबह आठ बजे कारखाने में आते थे और दिन के 11 घंटे की शिफ्ट में काम करते थे। हालांकि राज्य का कानून 21 साल के कम उम्र वालों लोगों को शराब कारखाने में काम करने की इजाजत नहीं देता है।

सोम ने क्या कहा है

रॉयटर्स ने कहा है कि इस मामले में सोम और राज्य सरकार से संपर्क करने की कोशिश की गई थी लेकिन उनके सापस कोई जवाब नहीं आया है। हालांकि बाद में 18 जून को सोम ने कहा कि कुछ बच्चे कारखाने में पहले से काम कर रहे अपने माता पिता को खाना या दवा देने के लिए यहां आते हैं।

सोम ने कहा कि उनके यहां कोई कम उम्र का बच्चा काम नहीं करता है और उनके कर्मचाकरियों की उम्र 21 या फिर इससे भी ज्यादा है।

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राज्य सरकार ने की कार्रवाई

मामले के सामने आने के बाद राज्य सरकार ने सोम डिस्टिलरी के लाइसेंस को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया था जिस फैसले को कंपनी ने कोर्ट में चुनौती दी थी। फैसले को चुनौती देते हुए कंपनी ने तर्क दिया था कि डिस्टिलरी में कुछ भी गलत नहीं हुआ है।

एक स्थानीय अदालत ने राज्य के फैसले पर रोक लगा दी है और मामले की सुनवाई इसी महीने के अंत में करने की बात कही है।

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ठेकेदारों ने बिना उम्र जांच के रखे होंगे कर्मचारी-सोम

पिछले महीने सोम डिस्टिलरीज एंड ब्रुअरीज लिमिटेड ने शेयर बाजार में एक बयान जारी कर कहा था कि मध्य प्रदेश कारखाने में काम करने वाले कर्मचारियों का चयन एक "एसोसिएट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी" द्वारा की जाती है। ये प्राइवेट कंपनी ठेकेदारों की मदद से कारखाने में श्रमिकों की भर्ती करती हैं और इस दौरान उनके उम्र की जांच नहीं की गई होगी।

भारत में पहले भी हो चुके हैं ऐसे मामले

यह पहली बार नहीं है जब भारत में इस तरह के मामले सामने आए हैं, इससे पहले भी इस तरह की घटना घट चुकी है। इससे पहले साल 2021 में एक बाहरी ऑडिट में झारखंड के कार्ल्सबर्ग कारखाने में बाल मजदूरी का एक केस सामने आया था। इस घटना के बाद कंपनी को थर्ड पार्टी सर्विस प्रोवाइडर की सेवाओं को खत्म करना पड़ा था।

बता दें कि कार्ल्सबर्ग ग्रुप एक डेनिश बहुराष्ट्रीय शराब निर्माता है जिसकी स्थापना 1847 में जे.सी.जैकबसन द्वारा हुई थी। भारत में इस तरह की घटनाएं भारतीय आपूर्ति श्रृंखलाओं में बाल श्रम की ओर ध्यान आकर्षित करता है।

सोम डिस्टिलरीज के बारे में

भारत में शराब के उद्योग में सोम डिस्टिलरीज एंड ब्रुअरीज लिमिटेड एक छोटी कंपनी के रूप में जानी जाती है। कंपनी का दावा है कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त ब्रांड है। ये ब्रांड देसी और विदेशी दोनों शराब बनाती है।

कंपनी का दावा है कि उसका ब्रांड अमेरिका, न्यूजीलैंड और यूनाइटेड किंगडम सहित 20 से अधिक बाजारों में उपलब्ध है। सोम के कारखाने में बाल मजदूरी की खबर मिलने से कंपनी के शेयर में आठ फीसदी की गिरावट देखी गई थी।

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