परमाणु युद्ध करोगे तो कोई व्यापार नहीं; डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम पर फिर दिया खुद को क्रेडिट

डोनाल्ड ट्रंप ने बताया कि उन्होंने दोनों देशों को सख्त चेतावनी दी और कहा कि अगर वे एक दूसरे के साथ लड़ना जारी रखते हैं तो अमेरिका उनक साथ सभी व्यापार बद कर देगा।

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Photograph: (IANS)

वॉशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष को रोकने का क्रेडिट खुद को दिया है। शुक्रवार 27 जून ओवल ऑफिस में प्रेस ब्रीफिंग के दौरान ट्रंप ने एक बार फिर दोहराया कि उन्होंने पिछले महीने भारत और पाकिस्तान में सैन्य तनाव कम करने मदद की थी। उन्होंने कहा कि सैन्य टकराव के दौरान भारत और पाकिस्तान को सभी व्यापार बंद करने की धमकी देकर उन्हें संभावित परमाणु टकराव से दूर रहने के लिए राजी किया था।

भारत-पाकिस्तान में तनाव रोकने का दावा

ट्रंप ने बताया कि उन्होंने दोनों देशों को सख्त चेतावनी दी और कहा कि अगर वे एक दूसरे के साथ लड़ना जारी रखते हैं तो अमेरिका उनक साथ सभी व्यापार बद कर देगा। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को भारत और पाकिस्तान के साथ सभी सौदे रद्द करने का निर्देश दिया था, जब तक कि वे तनाव कम करने के लिए सहमत न हों।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने वॉइट हाउस में बताया, 'मैंने कहा, देखो आप अमेरिका के साथ व्यापार करना चाहते हो। यह बढ़िया है, लेकिन आप एक दूसरे पर परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करना चाहते हो। हम इसकी अनुमति नहीं देंगे और वे दोनों सहमत हो गए।' अमेरिकी राष्ट्रपति ने बार-बार ये दावा दोहराया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को सुलझाने में मदद की थी।

भारत ने किया है दावों का खंडन

हालांकि, भारत ने डोनाल्ड ट्रंप के दावों का खंडन किया है और कहा भारत-पाकिस्तान संघर्ष दोनों देशों की सेनाओं के डीजीएमओ के बीच सीधी बातचीत के बाद बनी सहमति से खत्म हुआ, जिसकी पहल इस्लामाबाद से की गई थी। भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने एक बयान में कहा कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष रोकने में तीसरे देश की कोई भूमिका नहीं है और न ही भारत कभी मध्यस्थता को स्वीकार करेगा। पिछले सप्ताह ट्रंप के साथ लगभग 35 मिनट की फोन पर हुई बातचीत में पीएम मोदी ने साफ कहा था कि भारत मध्यस्थता को कभी स्वीकार नहीं करेगा। भारतीय प्रधानमंत्री ने ट्रंप से यह भी कहा ता कि सैन्य कार्रवाइयों को रोकने के लिए भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच चर्चा इस्लामाबाद के अनुरोध पर शुरू की गई थी।

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