प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी लोकसभा सीट के लिए नामांकन भरने के बाद मंगलवार को कहा कि वे जिस दिन हिन्दू-मुसलमान की बात करेंगे, सार्वजनिक जीवन में रहने योग्य नहीं रहेंगे। पीएम मोदी ने एक टीवी चैनल के साथ इंटरव्यू में यह बात कही। उन्होंने कहा कि वे हिन्दू-मुसलमान नहीं करेंगे और ये उनका संकल्प है। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि चुनावी भाषणों में ‘घुसपैठियों’ और ‘ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों’ से उनका मतलब मुसलमानों से नहीं था।
पीएम मोदी ने नेटवर्क-18 को दिए इंटरव्यू में कहा, मैं हैरान हूं। आपसे किसने कहा कि जब भी कोई अधिक बच्चों वाले लोगों के बारे में बात करता है, तो मुसलमान का नाम जोड़ देते हैं हैं? आप मुसलमानों से इतना अन्याय क्यों करते हैं? हमारे यहां गरीब परिवारों का भी यही हाल है। वे अपने बच्चों को पढ़ा नहीं पा रहे हैं। किसी भी समाज से हो, गरीबी जहां है वहां अधिक बच्चे हैं।’ उन्होंने इसी कड़ी में आगे कहा, ‘मैं हिंदू-मुसलमान नहीं करूंगा, ये मेरा संकल्प है।’
पीएम मोदी ने इस इंटरव्यू में इस बात का भी जिक्र किया कैसे उनके पड़ोस में मुस्लिम परिवारों के बीच रहने से उन्हें उनके रीति-रिवाजों और प्रथाओं के बारे में जानकारी मिली। उन्होंने कहा, ‘हमारे घरों में ईद भी मनाई जाती है, जैसे अन्य त्योहार मनाए जाते हैं। उस दिन खाना नहीं बनेगा क्योंकि खाना हमारे मुस्लिम पड़ोसियों से आ जाता था। मुहर्रम पर अगर हमें बाहर जाना होगा तो मुझे पता था कि ताजिये के नीचे से गुजरना होगा। मैं उसी समाज में पला-बढ़ा हूं। मेरे बहुत सारे दोस्त हैं जो मुस्लिम हैं…बस मैं इस पहलू का बार-बार प्रचार करना पसंद नहीं करता।’
‘2002 के बाद मेरी छवि खराब कर दी गई’
पीएम मोदी ने कहा कि 2002 के गोधरा दंगे के बाद उनकी छवि बहुत खराब कर दी गई। इस सवाल पर कि क्या मोदी अभी भी इस सोच को नहीं तोड़ पाए हैं कि ‘मोदी मुसलमानों का नहीं है’, पीएम मोदी ने कहा, ‘ये मसला मुसलमानों का नहीं है। चाहे व्यक्तिगत रूप से मुसलमान मोदी के कितने भी समर्थक क्यों न हों, विचारों की एक लहर है जो उन्हें निर्देशित करती है, ‘यह करो, वह करो। 2002 के बाद गोधरा कांड के बाद जानबूझकर मेरी छवि खराब की गई।’ यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें यकीन है कि मुसलमान अब भी उन्हें वोट देंगे, मोदी ने कहा, ‘देश के लोग मुझे वोट देंगे।’
इससे पहले पीएम मोदी ने लोकसभा चुनाव के लिए वाराणसी से तीसरी बार मंगलवार को अपना नामांकन दाखिल किया। इस मौके पर उनके साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके प्रस्तावक गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ मौजूद रहे। इसके अलावा नामांकन स्थल पर गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ एनडीए के तमाम बड़े नेता मौजूद रहे।
पीएम के नामांकन कार्यक्रम में कलेक्ट्रेट में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा, गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल, छत्तीसगढ़ के विष्णु देव साय, मध्य प्रदेश के मोहन यादव, राजस्थान के भजनलाल शर्मा, महाराष्ट्र के एकनाथ शिंदे, हरियाणा के नायब सिंह सैनी, केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले, हरदीप पुरी, पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, लोजपा प्रमुख चिराग पासवान, जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा, यूपी में एनडीए के घटक लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी, अपना दल (एस) की अनुप्रिया पटेल, निषाद पार्टी के संजय निषाद, सुभासपा के ओमप्रकाश राजभर, पशुपति पारस आदि की मौजूदगी रही।
मोदी और मुसलमान…क्यों शुरू हुई थी चर्चा?
पीएम मोदी ने 21 अप्रैल को राजस्थान के बांसवाड़ा में एक रैली में कहा था कि अगर कांग्रेस सत्ता में आई तो देश की संपत्ति को ‘घुसपैठियों’ और ‘जिनके अधिक बच्चे हैं’ उनके बीच बांटा जाएगा। पीएम मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के उस बयान का जिक्र किया था जिसमें उन्होंने कहा था कि अल्पसंख्यक समुदाय को देश के संसाधनों तक प्राथमिकता से पहुंच मिलनी चाहिए।
पीएम मोदी ने कहा था, ‘कांग्रेस के घोषणापत्र से संकेत मिलता है कि वे माताओं और बहनों की सोने की संपत्ति का मूल्यांकन करने, उसके बारे में जानकारी इकट्ठा करने और बाद में उस संपत्ति को वितरित करने की योजना बना रहे हैं। वे इसे किसे वितरित करेंगे? मनमोहन सिंह के प्रशासन ने जोर देकर कहा था कि मुसलमानों को देश की संपत्ति तक पहुंचने में प्राथमिकता दी जानी चाहिए।’
पीएम मोदी के इस बयान को लेकर तब खूब विवाद हुआ था। कांग्रेस ने भी आपत्ति जताते हुए कहा था कि पीएम मोदी झूठ फैला रहे हैं। कांग्रेस ने कहा कि उसके घोषणापत्र में कहीं हिंदू-मुस्लिम का जिक्र नहीं है। ये मामला चुनाव आयोग के पास भी पहुंचा था और आयोग ने भाजपा को इस बयान के संबंध में नोटिस जारी किया था।