मुंबईः महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फड़नवीस ने उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के साथ आने के संकेतों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की है। दोनों नेताओं ने शनिवार को दो दशकों की राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को छोड़ साथ आने के संकेत दिए थे।
ऐसा माना जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच नरमी भाजपा सरकार द्वारा राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाए जाने के असंतोष के चलते आई है।
फड़नवीस ने क्या कहा?
शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के साथ आने के सवाल पर फड़नवीस ने कहा "यदि दोनों साथ आते हैं तो हमें खुशी होगी, क्योंकि अगर लोग अपने मतभेदों को सुलझा लेते हैं तो यह अच्छी बात है, मैं इसके बारे में क्या कह सकता हूं?"
महाराष्ट् में कक्षा एक से पांच के बीच तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य कर दिया है। ऐसे में क्षेत्रीय दलों में इसको लेकर आलोचना हो रही है। इन दलों का तर्क है कि सरकार का यह कदम मराठी की प्रमुखता को खतरे में डालता है। ऐसे में साल 2005 से अलग-अलग राहों पर चलने वाले दो चचेरे भाइयों के साथ आने के संकेत मिल रहे हैं।
राज ठाकरे ने क्या कहा?
हाल ही में हुए एक पॉडकास्ट में राज ठाकरे ने महाराष्ट्र की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान की खातिर कटुता खत्म करने का संकेत दिया था।
राज ठाकरे ने इस दौरान कहा, "जब बड़े मुद्दे उठते हैं, तो हमारे बीच विवाद और झगड़े छोटे होते हैं। महाराष्ट्र और मराठी लोगों के लिए, हमारे बीच संघर्ष महत्वहीन हैं।"
इसके बाद उद्धव ठाकरे ने भी मिलता जुलता बयान दिया था। उद्धव ठाकरे ने इस पहल का सकारात्मक जवाब दिया और बड़ी चिंताओं के बावजूद एकजुटता की भावना को दोहराया। उन्होंने कहा, "मैं भी मराठी समुदाय के हित में छोटे-मोटे झगड़ों को किनारे रखकर साथ आने के लिए तैयार हूं।"
ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि क्या इसी साल होने वाले बीएमसी चुनाव में क्या शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) साथ आएंगे।