नई दिल्ली: हिंडनबर्ग रिपोर्ट (Hindenburg Report) पर मचे घमासान के बीच भाजपा ने कांग्रेस पर हमला बोला है। भाजपा नेता और पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को खारिज करते हुए विपक्ष पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि कांग्रेस देश में 'आर्थिक अराजकता' और 'भारत के खिलाफ नफरत' का माहौल बनाने में शामिल है। उन्होंने कहा कि भाजपा पूरे देश में कांग्रेस के षड्यंत्र को बेनकाब करेगी। देश की जनता को कांग्रेस के इस षड्यंत्र के बारे में बताएगी।

इससे एक दिन पहले रविवार को भी भाजपा के राजीव चन्द्रशेखर ने कांग्रेस पर इसी तरह के आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस पार्टी 'हमारे वित्तीय बाजारों को बदनाम करने, अस्थिर करने और देश में अराजकता पैदा करने के लिए विदेशी मदद मांग रही है।'

बहरहाल, रविशंकर प्रसाद ने सोमवार को पत्रकारों से कहा, 'तीसरी बार हारने के बाद और कांग्रेस और उसके 'टूलकिट' सहयोगी अब भारतीय अर्थव्यवस्था को अस्थिर बनाना चाहते हैं। कांग्रेस आज भारत के खिलाफ नफरत करने लगी है। कांग्रेस चाहती है वह 'कंट्रोल राज' को वापस ले आए।'

'छोटे निवेशकों को सलाम'

रविशंकर प्रसाद ने आगे कहा, 'यह रिपोर्ट शनिवार को जारी की गई...उन्होंने इसे रविवार को आक्रामक तरीके से उठाया ताकि शेयर बाजार को झटका लग सके। कांग्रेस टूल किट और चिट के सहारे राजनीति कर रही है।'

प्रसाद ने आक्रामक अंदाज में आगे कहा, 'हमें गर्व है कि भारतीय शेयर बाजार आज स्थिर है। हम छोटे निवेशकों को सलाम करते हैं...इसका मतलब साफ है कि वे 'टूलकिट' और हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर विश्वास नहीं करते हैं।'

जेपीसी की मांग शर्मनाक: भाजपा

रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस के जेपीसी की मांग को खारिज करते हुए कहा कि जेपीसी की मांग करना अपने आप में शर्मनाक है क्योंकि देश के शेयर बाजार को डिस्टर्ब करने के लिए और देश की आर्थिक स्थिति को कमजोर करने के लिए यह मांग की जा रही है।

भाजपा राष्ट्रीय मुख्यालय में सोमवार को पत्रकारों को संबोधित करते हुए प्रसाद ने कहा कि पीएम मोदी से नफरत करते-करते कांग्रेस पार्टी हिंदुस्तान से नफरत करने लगी है। अगर भारत का स्टॉक मार्केट गड़बड़ होगा तो यहां के छोटे निवेशक परेशान होंगे। आज भारत में करोड़ों की संख्या में छोटे निवेशक हैं। उन्होंने पूछा कि क्या कांग्रेस पार्टी चाहती है​ कि देश को फिर से 'कंट्रोल राज' में ले आया जाए, जब भारत को दाने-दाने के लिए परेशान होना पड़ा था।

रविशंकर प्रसाद ने कहा सुप्रीम कोर्ट के क्षेत्राधिकार में अपनी जांच पूरी करने के बाद सेबी ने हिंडनबर्ग के खिलाफ जुलाई में एक नोटिस दिया था। अपने बचाव में जवाब देने की बजाय हिंडनबर्ग ने ये रिपोर्ट पेश की है, जो पूरी तरह आधारहीन है। हिंडनबर्ग में जॉर्ज सोरोस ने निवेश किया है, जो भारत के खिलाफ नियमित प्रोपेगेंडा चलाते हैं और मोदी सरकार को बदलना चाहते हैं। टूल किट वालों को भारत के विकास से कोई मतलब नहीं है, लेकिन कांग्रेस पार्टी को क्या हो गया है?

रविशंकर प्रसाद ने कहा, 'बीजेपी पूरी जिम्मेदारी के साथ कहना चाहती है कि कांग्रेस और उसका नेतृत्व एक फर्जी रिपोर्ट के आधार पर भारत में आर्थिक अराजकता पैदा करने में शामिल है। कांग्रेस आखिर क्या चाहती है?'

क्या है हिंडनबर्ग से जुड़े मामले का विवाद?

पिछले हफ्ते अमेरिका स्थित शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक नई रिपोर्ट जारी की जिसमें दावा किया गया कि भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधबी पुरी बुच की अदानी समूह द्वारा कथित वित्तीय गड़बड़ी में इस्तेमाल हुई ऑफशोर कंपनियों में हिस्सेदारी थी। हालांकि अदानी ग्रुप, सेबी और उद्योग जगत के कई लोगों ने इन आरोपों को झूठा और पहले ही सुप्रीम कोर्ट में निराधार साबित हुए मामले को पुनर्जीवित करने की कोशिश बताया है।

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अदानी ग्रुप ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा, 'यह बदनाम करने के इरादे से किए गए दावों की पुनरावृत्ति है। इन दावों की गहन जांच की गई है और जनवरी 2024 में माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन्हें खारिज किया जा चुका है।'

अदाणी ग्रुप ने आगे कहा, 'बदनाम शॉर्ट-सेलर फर्म कई भारतीय प्रतिभूति कानूनों का उल्लंघन करने के कारण जांच के दायरे में है। हिंडनबर्ग के आरोप भारतीय कानूनों के प्रति पूरी तरह से अवमानना ​​करने वाली एक हताश इकाई द्वारा फैलाई गई अफवाह से ज्यादा कुछ नहीं है।'

वहीं, सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने भी हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा उन पर लगाए गए सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया था। उन्होंने कहा कि यह 'चरित्र हनन करने का प्रयास' है, क्योंकि सेबी ने पिछले महीने नेट एंडरसन के नेतृत्व वाली कंपनी को नियमों का उल्लंघन करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

बुच दंपत्ति ने साझा बयान में कहा है कि 10 अगस्त की हिंडनबर्ग रिपोर्ट में उनके खिलाफ जो भी आरोप लगाए गए हैं, 'वे पूरी तरह से तथ्यहीन हैं और हम उन्हें सिरे से खारिज करते हैं।'

बयान में आगे कहा गया कि हमारी जिंदगी और फाइनेंस एक खुली किताब की तरह है। बीते कई वर्षों में सेबी के नियमों के अनुसार जरूरी डिस्कलोजर्स दिए जा चुके हैं। हमें अपना कोई भी वित्तीय दस्तावेज दिखाने में किसी प्रकार की कोई आपत्ति नहीं है। चाहे वह उस समय के हो, जब हम निजी नागरिक थे। इसके अलावा कहा गया कि पारदर्शिता बनाए रखने के लिए हम जल्द ही एक विस्तृत बयान पेश करेंगे।