हिमाचल प्रदेश इस समय भीषण मानसूनी तबाही का सामना कर रहा है। भारी बारिश, बादल फटने और भूस्खलन की वजह से अब तक 72 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं। सबसे अधिक नुकसान मंडी जिले में हुआ है, जहां दर्जनों गांवों में जनजीवन बुरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। अब तक का अनुमानित नुकसान 700 करोड़ के करीब बताया गया है।
पिछले सप्ताह मंडी के थुनाग, गोहर और करसोग सबडिवीजन में बादल फटने की एक के बाद एक कई घटनाएं हुईं। इसके चलते अचानक आई बाढ़ ने तबाही मचा दी। करीब 30 लोग अब भी लापता हैं जिनकी तलाश के लिए NDRF, SDRF, सेना, ITBP और होमगार्ड्स की लगभग 250 टीमें खोजबीन और राहत कार्यों में लगी हैं। ड्रोन और स्निफर डॉग्स की मदद ली जा रही है।
बाढ़, भूस्खलन ने सबकुछ किया तबाह
मंडी जिले के पधर उपमंडल की चौहारघाटी स्थित कोरतंग गांव से सटे नाले में अचानक आए पानी के सैलाब में तीन पुल बह गए। तेज बहाव के कारण नाले के किनारे स्थित खड़ी फसलें व बागीचे भी पानी और पहाड़ से आए मलबे में समा गए।
प्रभावित इलाकों से अब तक प्रशासन ने 494 लोगों को सुरक्षित बचाया है। इस आपदा में 225 मकान, 7 दुकानें, 243 पशु शेड, 31 वाहन, 14 पुल और कई सड़कें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। 215 मवेशी मारे गए हैं। अकेले मंडी में 183 सड़कें बंद हैं, जबकि राज्यभर में 269 सड़कें, 285 ट्रांसफॉर्मर, और 278 जल आपूर्ति योजनाएं प्रभावित हुई हैं।
उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने मंडी के हालात को ‘अत्यंत गंभीर’ बताया है। उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि राज्य सरकार राहत व पुनर्वास के लिए पूरी ताकत से जुटी है। अब तक 1,538 राशन किट और 12.44 लाख रुपये की तत्काल राहत राशि वितरित की जा चुकी है। अतिरिक्त ₹5-5 लाख थुनाग और जंजैली क्षेत्रों को भेजे जा रहे हैं।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) ने कहा है कि सभी बड़े बांध अभी सुरक्षित सीमा के भीतर हैं और बिजली उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ा है।
10 जुलाई तक भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी
सोमवार को नंगल डैम में सबसे ज्यादा 56 मिमी वर्षा दर्ज की गई। इसके बाद ओलिंडा में 46 मिमी, बेरठिन में 44.6 मिमी, ऊना में 43 मिमी, नैना देवी में 36.4 मिमी, गोहर में 29 मिमी और ब्रह्मणी में 28.4 मिमी बारिश हुई।
स्थानीय मौसम विभाग ने 10 जुलाई (गुरुवार) तक राज्य के कुछ हिस्सों में भारी बारिश की येलो अलर्ट जारी किया है। बारिश के चलते पहाड़ी इलाकों में लैंडस्लाइड और जलभराव की आशंका बनी हुई है।
राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (SEOC) के अनुसार, अब तक 572 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान दर्ज किया गया है। हालांकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि वास्तविक आंकड़ा 700 करोड़ के करीब हो सकता है, क्योंकि नुकसान का पूरा डेटा अब भी इकट्ठा किया जा रहा है।
20 जून से शुरू हुए मानसून के बाद से हिमाचल में अब तक 72 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 50 मौतें बादल फटने, भूस्खलन और फ्लैश फ्लड जैसी बारिश से जुड़ी घटनाओं में हुई हैं। इसके अलावा, 121 लोग घायल हुए हैं। प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमें राहत व पुनर्वास में जुटी हैं, लेकिन मौसम विभाग की चेतावनी ने चिंता और बढ़ा दी है।
इस बार भी 2023 जैसी त्रासदी !
गौरतलब है कि साल 2023 में हिमाचल प्रदेश ने अपने इतिहास की सबसे भयावह बारिश का सामना किया था। कुल्लू, मंडी और शिमला जैसे पर्वतीय जिले भूस्खलन, बादल फटने और बाढ़ की घटनाओं से थर्रा उठे थे। इस त्रासदी में 500 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी और हजारों परिवार बेघर हो गए थे। राज्य को लगभग 10,000 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा था।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की अपील की थी। उनका आरोप था कि केंद्र सरकार ने हिमाचल को अपेक्षित मदद नहीं दी। इसके उलट, पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता जयराम ठाकुर ने दावा किया था कि केंद्र सरकार हर मोर्चे पर राज्य के साथ खड़ी है और मदद पहुंचा रही है।
इस बार सरकार ने आपदा पीड़ितों के लिए प्रति माह 5,000 रुपये किराया सहायता देने की घोषणा की, ताकि वे जब तक स्थायी पुनर्वास न हो, तब तक किराए पर सिर छुपा सकें। साथ ही, एसडीएम को निर्देश दिए गए कि सभी प्रभावित परिवारों तक त्वरित राहत सामग्री- खाद्यान्न, दवाएं और बुनियादी जरूरतें- पहुँचाई जाएं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और केंद्र सरकार दोनों ने व्यापक राहत और पुनर्वास का भरोसा दिलाया है।