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प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर कुमार यादव ने रविवार को एक विवादास्पद बयान देते हुए कहा कि "हिंदुस्तान बहुमत की इच्छाओं के अनुसार चलेगा।" उन्होंने यह टिप्पणी प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में 'यूनिफॉर्म सिविल कोड' (यूसीसी) पर व्याख्यान देते हुए की।
कौन है हिंदू, शेखर यादव ने दी 'परिभाषा'
न्यायाधीश शेखर यादव ने हिंदू की परिभाषा पर भी अपनी राय दी, जिसमें उन्होंने कहा कि हिंदू होने का मतलब केवल गंगा में स्नान करना या चंदन लगाना नहीं है। उन्होंने कहा, "जो इस भूमि को अपनी माँ मानते हैं, वे भी हिंदू नहीं होते। एक व्यक्ति जो संकट के समय देश के लिए अपनी जान देने को तैयार हो, चाहे वह क़ुरान का पालन करता हो या बाइबिल का, वह भी हिंदू है।" उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू दूसरों से अपनी संस्कृति और परंपराओं का पालन करने की उम्मीद नहीं रखते, लेकिन उन्हें "इस देश की संस्कृति, महान व्यक्तित्वों और इस भूमि के देवता का अपमान न करने की उम्मीद होती है।"
शेखर यादव ने कहा, "हमारे देश में हमें यह सिखाया जाता है कि हमें छोटे से छोटे जानवर को भी नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए, यहां तक कि चींटियों को भी मारना नहीं चाहिए। शायद इसी वजह से हम सहिष्णु और करुणामय होते हैं; हम दूसरों के दुखों को महसूस करते हैं। लेकिन आपकी संस्कृति में, बच्चों को छोटे उम्र से ही जानवरों की हत्या से परिचित कराया जाता है। आप उनसे सहिष्णुता और करुणा की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?"
यूसीसी को लागू करना जरूरीः शेखर यादव
यूनिफॉर्म सिविल कोड पर बोलते हुए जज शेखर यादव ने कहा कि इस कानून को लागू करना जरूरी है, और यह केवल बहुसंख्यक समाज की इच्छाओं के अनुसार चलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि जिन परंपराओं को समाज की भलाई और सुख-शांति के लिए स्वीकार नहीं किया जा सकता, उन्हें स्वीकार नहीं किया जाएगा। मुस्लिम समुदाय की कुछ प्रथाओं जैसे कि बहुविवाह, तीन तलाक और हलाला को उन्होंने 'अस्वीकार्य' बताया।
उन्होंने कहा, "अगर आप कहते हैं कि हमारी व्यक्तिगत कानून इसे अनुमति देते हैं, तो यह स्वीकार नहीं किया जाएगा। आप एक महिला का अपमान नहीं कर सकते, जिसे हमारे शास्त्रों और वेदों में देवी के रूप में पूजा जाता है।" शेखर यादव ने यह भी स्वीकार किया कि हिंदू धर्म में बाल विवाह और सती जैसी सामाजिक बुराइयाँ मौजूद थीं, लेकिन राम मोहन राय जैसे सुधारकों ने इन प्रथाओं को समाप्त करने के लिए संघर्ष किया।
जज यादव ने यह भी उम्मीद जताई कि पूरे देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होगा, जैसे अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का समय लिया गया। उन्होंने कहा, "वह दिन दूर नहीं जब यह स्पष्ट हो जाएगा कि अगर एक देश है, तो एक ही कानून और एक ही दंड संहिता होनी चाहिए।"
महुआ मोइत्रा ने सुप्रीम कोर्ट से स्वतः संज्ञान लेने को कहा
न्यायाधीश शेखर यादव के इस बयान की सोशल मीडिया पर काफी आलोचना हो रही है। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने मामले में सुप्रीम कोर्ट से स्वतः संज्ञान लेने को कहा है। हाईकोर्ट के जज के बयान से जुड़ी खबर को साझा करते हुए एक्स पर लिखा- वीएचपी के कार्यक्रम में शामिल हुए हाईकोर्ट के जज, बोले- देश हिंदुओं के हिसाब से चलेगा। और हम अपने संविधान के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं! सुप्रीम कोर्ट, माननीय सीजेआई - क्या कोई स्वतः संज्ञान लेगा?
पहले भी बयान को लेकर विवादों में रह चुके हैं शेखर यादव
यह पहली बार नहीं है जब जज शेखर यादव ने विवादास्पद बयान दिए हैं। 2021 में, उन्होंने दावा किया था कि "विज्ञानियों का मानना है कि गाय ही एकमात्र ऐसा जानवर है जो ऑक्सीजन छोड़ता है" और उन्होंने केंद्र से गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने और उसकी रक्षा को हिंदुओं का "मौलिक अधिकार" बनाने की अपील की थी।