रांचीः झारखंड में आबकारी कांस्टेबलों की भर्ती के लिए आयोजित दौड़ में 11 उम्मीदवारों की मृत्यु हो गई है। पुलिस के मुताबिक, 22 अगस्त को रांची, गिरिडीह, हजारीबाग, पलामू, पूर्वी सिंहभूम और साहेबगंज जिलों में सात केंद्रों पर शारीरिक परीक्षा आयोजित की गई थी।
आईजी (ऑपरेशंस) अमोल वी होमकर ने बताया कि पलामू में चार, गिरिडीह और हजारीबाग में दो-दो और रांची के जगुआर केंद्र, पूर्वी सिंहभूम के मोसाबनी और साहेबगंज केंद्र में एक-एक व्यक्ति की मृत्यु हुई। उन्होंने कहा कि अप्राकृतिक मृत्यु के मामले दर्ज किए गए हैं और जांच चल रही है।
अमोल वी होमकर के मुताबिक, 30 अगस्त तक कुल 1,27,772 उम्मीदवारों ने शारीरिक परीक्षण में भाग लिया, जिनमें से 78,023 ने इसे पास किया। उन्होंने कहा कि सभी केंद्रों पर चिकित्सा दल, दवाइयां, एम्बुलेंस, मोबाइल शौचालय और पेयजल सहित पर्याप्त व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गई थीं।
भाजपा ने हेमंत सरकार को ठहराया जिम्मेदार
उधर, भाजपा ने आरोप लगाया है कि अधिकारियों के कुप्रबंधन के कारण मौतें हुई हैं। इसको लेकर भाजपा युवा विंग ने रांची के अल्बर्ट एक्का चौक पर झामुमो के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया।
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और पलामू के भाजपा सांसद बीडी राम ने अभ्यर्थियों की मौत और उनके बेहोश-बीमार होने की घटनाओं के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।
बाबूलाल मरांडी ने अपने एक एक्स पोस्ट में लिखा- उत्पाद सिपाही भर्ती परीक्षा के 500 सीटों की बहाली में 11 होनहार युवा अब तक अपनी जान गंवा चुके हैं, यानी 2% से भी ज्यादा…ये मरने वाले सभी युवा अपने गरीब परिवार का सहारा थे, अपने मां-बाप की आंखों का तारा थे।
उत्पाद सिपाही भर्ती परीक्षा के 500 सीटों की बहाली में 11 होनहार युवा अब तक अपनी जान गंवा चुके हैं, यानी 2% से भी ज्यादा…
ये मरने वाले सभी युवा अपने गरीब परिवार का सहारा थे, अपने मां-बाप की आंखों का तारा थे।
सामान्यतः भर्ती प्रक्रिया में पहले लिखित परीक्षा होती है, उसके पश्चात… pic.twitter.com/Iswmz19r17
— Babulal Marandi (@yourBabulal) September 2, 2024
पोस्ट में भाजपा नेता ने आगे लिखा- सामान्यतः भर्ती प्रक्रिया में पहले लिखित परीक्षा होती है, उसके पश्चात सफल अभ्यर्थियों की शारीरिक दक्षता परीक्षण के लिए दौड़ का आयोजन किया जाता है। लेकिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने माहौल बनाने के लिए जल्दीबाजी में बिना किसी तैयारी के, बेरोज़गारों को तैयारी के लिये मात्र पन्द्रह दिनों का मौक़ा देकर दौड़ का आयोजन कर 11 होनहार युवाओं की बलि ले ली। अपनी हवाबाजी दिखाने के लिए हेमंत सोरेन ने एक गैर न्यायिक अमानवीय काम किया है।
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि 11 युवाओं के मौत के लिए जिम्मेवार लोगों को चिन्हित करने के लिए न्यायिक आयोग बनाकर जॉंच करायी जानी चाहिए। हेमंत जी, मृत युवाओं के परिवारों को अविलंब 50-50 लाख रुपए का मुआवजा और सरकारी नौकरी दीजिए। साथ ही, सरकार की अव्यवस्था के कारण आगे किसी भी बहाली में एक भी मौत ना हो, यह सुनिश्चित करिये।
इससे पहले एक पोस्ट में बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन पर नौकरी बांटने के बजाय मौत बांटने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नौकरी बांट रहे हैं या मौत? एक्साइज डिपार्टमेंट में सिपाही भर्ती की अधिसूचना 8 अगस्त को निकली, 14 अगस्त को एडमिट कार्ड दिया गया और शारीरिक दक्षता परीक्षण के लिए 22 अगस्त से दौड़ का आयोजन शुरू किया गया। ऐसे में महज 15 दिनों में अभ्यर्थी दौड़ की क्या तैयारी करेंगे?”
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी नौकरी बांट रहे हैं या मौत?
उत्पाद सिपाही भर्ती की अधिसूचना 8 अगस्त को निकली, 14 अगस्त को एडमिट कार्ड दिया गया और शारीरिक दक्षता परीक्षण के लिए 22 अगस्त से दौड़ का आयोजन शुरू किया गया। ऐसे में महज 15 दिनों में अभ्यर्थी दौड़ की क्या तैयारी करेंगे?
हेमंत…
— Babulal Marandi (@yourBabulal) August 31, 2024
बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया कि हेमंत सरकार ने भर्ती केंद्रों पर ना तो पीने के पानी की व्यवस्था की है, ना शौचालय की। महिला अभ्यर्थी भी इस प्रतियोगिता में भाग ले रही हैं, लेकिन बहाली केंद्रों पर छोटे बच्चों को स्तनपान कराने की भी व्यवस्था नहीं है। मरांडी ने आगे लिखा, ‘’लगता है आपने नौकरी नहीं देने के लिए ही मौत बांटने का इंतजाम पक्का कर दिया है। बाबूलाल ने राज्य सरकार से मौतों की न्यायिक जांच और उनके आश्रितों को उचित मुआवजा देने और सरकारी नौकरी उपलब्ध कराने की मांग की है।
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इधर, पलामू सांसद विष्णु दयाल राम ने भी दौड़ के दौरान अभ्यर्थियों की मौतों का जिम्मेदार हेमंत सरकार को ठहराया है। उन्होंने कहा कि ये मौतें सरकार की लापरवाही की वजह से हुई हैं। सरकार मृतकों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपए का मुआवजा दे। सरकार को तत्काल बहाली की प्रक्रिया या तो रोक देनी चाहिए या दौड़ प्रतियोगिता के लिए जो समय निर्धारित किया गया है, उसकी समीक्षा करनी चाहिए।
वहीं, घटना पर भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाह देव ने कहा कि झारखंड सरकार के लचर प्रयास और लापरवाही के कारण उत्पाद विभाग की भर्ती में 11 अभ्यर्थियों की मौत हो गई। झारखंड सरकार नौकरी देने के बजाय मौत बांट रही है। उन्होंने कहा कि जहां ये परीक्षा होती है, वहां की व्यवस्ता ध्वस्त हो गई है। 200 अभ्यर्थी अस्पतालों में हैं और 100 से अधिक आईसीईयू में हैं।
पहली बार आयोजित हो रहीं कांस्टेबल भर्ती की परीक्षा
बता दें झारखंड के अलग राज्य बनने के बाद एक्साइज डिपार्टमेंट में कांस्टेबल की नियुक्ति की परीक्षा पहली बार हो रही है। इसके पहले संयुक्त बिहार में वर्ष 1980 में इस विभाग में कांस्टेबलों की नियुक्ति हुई थी।
यह परीक्षा झारखंड कर्मचारी चयन आयोग की ओर से ली गई थी। इसके जरिए कुल 583 पदों पर नियुक्ति होनी है। इसी को लेकर अलग-अलग जिलों में शारीरिक परीक्षाएं आयोजित की गई थी इसमें पुरुष अभ्यर्थियों को एक घंटे में 10 किलोमीटर और महिलाओं को 40 मिनट में पांच किलोमीटर की दौड़ लगानी थी।
इस परीक्षा के लिए निर्धारित शैक्षणिक योग्यता 10वीं पास है, लेकिन परीक्षा में शामिल हो रहे अभ्यर्थियों में हजारों लोग पोस्ट ग्रेजुएट और ग्रेजुएट हैं। अब तक करीब एक लाख से ज्यादा अभ्यर्थी शारीरिक परीक्षा में शामिल हो चुके हैं।