धारः भोपाल गैस त्रासदी से जुड़े 40 साल पुराने जहरीले कचरे को पीथमपुर (धार जिला) में जलाने के लिए लाए जाने पर शुक्रवार को स्थानीय लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। हजारों लोग सड़कों पर उतर आए, जिसके बाद हालात संभालने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। प्रदर्शनकारी इसे पर्यावरण और जनसुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए कचरे को तुरंत भोपाल लौटाने की मांग कर रहे हैं।
यह जहरीला कचरा बुधवार 1 जनवरी की रात 12 ट्रकों में भरकर 40 गाड़ियों के काफिले के जरिये भोपाल से धार जिले के पीथमपुर पहुंचाया गया था। भोपाल से 250 किलोमीटर दूर पीथमपुर के लगभग 1.75 लाख की आबादी वाले कस्बे में जहरीले कचरे के पहुंचने से भय और आक्रोश फैल गया। शुक्रवार को व्यापारियों ने बंद का आह्वान किया, जिसके कारण बाजार और दुकानें बंद रहीं। प्रदर्शनकारियों ने आइचर मोटर्स के पास सड़क जाम कर दिया। यातायाता बहाल करने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा।
#WATCH Madhya Pradesh | Police use lathi charge to disperse the protestors protesting against shifting of toxic waste from Bhopal’s Union Carbide Factory to Dhar’s Pithampur pic.twitter.com/IhwDGY3caS
— ANI (@ANI) January 3, 2025
स्थानीय लोग क्यों कर रहे हैं विरोध, क्या है उनकी मांग?
स्थानीय निवासियों का कहना है कि पीथमपुर में जहरीले कचरे का निपटान स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। पीथमपुर से केवल 30 किलोमीटर दूर स्थित इंदौर के निवासी भी इस विरोध में शामिल हो गए हैं। सरकार द्वारा सुरक्षित निपटान के आश्वासन के बावजूद लोग इसे किसी दूरस्थ और सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करने की मांग कर रहे हैं। यहां दो युवकों ने आत्मदाह की कोशिश भी जिनको इलाज के लिए चोइथराम अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे समाजसेवी संदीप रघुवंशी ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा, “स्थानीय प्रशासन झूठे दावे कर रहा है कि यहां विरोध नहीं हो रहा। हमारी मांग स्पष्ट है—भोपाल से लाए गए सभी 12 कंटेनरों को वापस भेजा जाए। जब तक ऐसा नहीं होता, मेरा अनशन जारी रहेगा।”
स्थानीय व्यापारियों ने भी विरोध को समर्थन देते हुए अपनी दुकानें बंद कर दीं। एक दुकानदार ने कहा, “हम पीथमपुर के लोगों की सुरक्षा के लिए यह कदम उठा रहे हैं। सरकार को यह जहरीला कचरा यहां जलाने की योजना रद्द करनी होगी।”
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने क्या कहा?
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जहरीले कचरे के निपटान प्रक्रिया का बचाव किया। उन्होंने कहा कि इस रासायनिक कचरे को लेकर किसी भी तरह की आशंका नहीं है क्योंकि इसका पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा
मोहन यादव ने कहा, 40 साल पहले जब यह हादसा हुआ था तब वह स्वयं भोपाल में थे और उन्होंने इस हादसे की विभीषिका को भी देखा था। भोपाल गैस कांड की घटना बेहद भयानक थी। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार ने पूरी संवेदनशीलता के साथ जहरीले कचरे के निपटान का फैसला लिया है। भोपाल के लोग पिछले 40 साल से इसी कचरे के साथ रह रहे हैं, भारत सरकार की कई संस्थाओं के द्वारा कचरे का परीक्षण किया गया है।”
मुख्यमंत्री यादव ने आगे कहा, “इस कचरे को पीथमपुर में जलाने जा रहे है। उसका पहले भी ड्राई रन कर चुके है, जिसकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में जमा की थी। उसी रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने इस कचरे को नष्ट करने के निर्देश दिए थे, इस रिपोर्ट ने यह साफ कर दिया था कि इस कचरे के जलने से पर्यावरण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।” मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को स्थानीय लोगों से संवाद स्थापित करने और उनकी चिंताओं को दूर करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
कचरे के निपटान को लेकर किए गये 7 परीक्षण
यह कचरा 1984 की भोपाल गैस त्रासदी का हिस्सा है, जिसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदा माना जाता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, तीन दिसंबर 1984 को हुए इस त्रासदी में 5 हजार लोग मारे गए थे। साल 2006 में, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने 346 मीट्रिक टन ज़हरीले कचरे को गुजरात के अंकलेश्वर भेजने का आदेश दिया था। लेकिन गुजरात सरकार ने इस कचरे को निपटाने में असमर्थता जताई।
बीबीसी हिंदी के मुताबिक, साल 2010 से 2015 के बीच, पीथमपुर की एक फैक्ट्री में कचरे को जलाने के लिए सात परीक्षण किए गए। आखिरी परीक्षण में पर्यावरणीय मानकों को पूरा किया गया, जिसके तहत ट्रायल रन के दौरान 10 टन कचरे को जलाया गया।
साल 2021 में, मध्य प्रदेश सरकार ने बचे हुए 337 मीट्रिक टन कचरे को निपटाने के लिए निविदाएं आमंत्रित कीं। इसके बाद, जुलाई 2024 में पीथमपुर इंडस्ट्रियल वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को कचरे के निपटारे की जिम्मेदारी सौंपी गई। चार दिसंबर 2024 को, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार की धीमी प्रगति पर फटकार लगाते हुए चार सप्ताह के भीतर कचरे को निपटाने का आदेश दिया।
1 जनवरी 2025 को भोपाल से पीथमपुर तक 250 किमी के सफर में ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया गया। 40 ट्रकों में कचरे को सील्ड कंटेनरों में भारी सुरक्षा के साथ भेजा गया। मंगलवार रात से कचरे को कंटेनरों में लोड किया गया और बुधवार रात काफिला रवाना हुआ।
#WATCH | Dhar, Madhya Pradesh: The containers of toxic waste from Bhopal’s Union Carbide Factory have reached the disposal site in Pithampur. pic.twitter.com/t0y14HPOND
— ANI (@ANI) January 1, 2025
कचरे को पीथमपुर की रामकी इंडस्ट्री में अत्यधिक तापमान वाले इंसीनरेटर में जलाया जाएगा। इससे निकलने वाले धुएं और राख को पर्यावरण मानकों के अनुरूप नियंत्रित किया जाएगा। बची राख को सुरक्षित तरीके से जमीन में गाड़ा जाएगा ताकि वह भूजल या मिट्टी को प्रभावित न करे। मध्य प्रदेश गैस राहत एवं पुनर्वास विभाग के संचालक स्वतंत्र कुमार सिंह ने कहा कि प्रक्रिया पूरी तरह से केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के दिशा-निर्देशों के अनुसार होगी।
2015 के ट्रायल रन के अनुसार, एक घंटे में 90 किलोग्राम कचरे को जलाया जा सकता है। उस हिसाब से 337 टन कचरे को जलाने में पाँच महीने से अधिक का समय लग सकता है। हाई कोर्ट के आदेश के तहत 337 टन कचरे को नष्ट करने की प्रक्रिया अब शुरू हुई है। राज्य सरकार ने इस काम के लिए 126 करोड़ का बजट आवंटित किया है। पीथमपुर में कचरे के निपटान को लेकर स्थानीय जनता और सामाजिक कार्यकर्ता विरोध कर रहे हैं।
कांग्रेस का विरोध
कचरा जलाए जाने की तैयारी के बीच जनप्रतिनिधियों की ओर से सवाल उठाए जा रहे हैं। कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने फसल और भूमिगत जल को नुकसान की आशंका जताई है। पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने इसे गैर-राजनीतिक मामला बताते हुए विशेषज्ञों से परीक्षण की मांग की। गुरुवार को पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के बीच बातचीत भी हुई।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सुमित्रा महाजन से मुलाकात के बाद कहा कि पीथमपुर में कचरे का डिस्पोजल नहीं होना चाहिए। यह राजनीतिक मुद्दा नहीं है। यह भाजपा और कांग्रेस के राजनेताओं की जिम्मेदारी है कि इसका हल निकालें। उन्होंने पूर्व में पीथमपुर में ही 10 टन कचरा जलाए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय इंडस्ट्री में कचरा जलाया गया था, उससे पांच से सात किलोमीटर के दायरे में फसल को नुकसान पहुंचा है। अब इतनी बड़ी मात्रा में कचरा जलाए जाने से इंदौर को नुकसान होने की आशंका है। भूमिगत जल प्रदूषित हो सकता है। अब भारी मात्रा में इतना कचरा नष्ट किया जाएगा तो आसपास के एरिया में जो इलाकों में जो फसलें उगती हैं, उन पर क्या असर आएगा, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
#WATCH भोपाल: मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीला कचरा धार के पीथमपुर में स्थानांतरित करने के खिलाफ लोगों के विरोध पर कहा, “…पीथमपुर के लोग औद्योगिक विकास के नाम पर सालों से सरकारी अत्याचार झेल रहे हैं… सरकार की जितनी निंदा… pic.twitter.com/wKADfoXW3Q
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 3, 2025
जीतू पटवारी ने कहा कि कुछ किलोमीटर दूर यशवंत सागर है। इसका पानी इंदौर शहर की जनता पीने में उपयोग करती है। आज से पांच साल बाद यह पानी कितना खराब होगा, यह बड़ा सवाल है। इसलिए कचरा जलाए जाने से पहले वैज्ञानिक परीक्षण जरूरी है। उन्होंने आगे कहा कि कचरा जलाए जाने का कितना असर होगा, इसका किसी को अंदाजा नहीं है। विशेषज्ञों को सही तरीके से राय लेना चाहिए और जनता के सामने पूरी हकीकत रखनी चाहिए। हम कोरोना की याद करें तब किसी को अंदाज़ा नहीं था कि इसका कितना असर होगा और अपने बीच में से ही कई लोग चले गए।
वहीं, लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष और इंदौर की पूर्व सांसद सुमित्रा महाजन ने कहा कि सबसे पहले यह समझना होगा कि यह राजनीतिक मामला नहीं है। यहां के लोगों से जुड़ा मामला है। यूनियन कार्बाइड की गैस त्रासदी जब याद आती है तो रूह कांप जाती है। जो भी सरकार हो, उसे जनहित के दृष्टिकोण से विचार करना चाहिए क्योंकि सरकार भी जनता की चुनी हुई होती है। रामकी इंडस्ट्री में कचरा जलाया जाएगा, उससे नुकसान नहीं होगा, यह भी कहा नहीं जा सकता। विशेषज्ञों से चर्चा करना चाहिए।
समाचार एजेंसी आईएएनएस इनपुट के साथ