हाथरसः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाथरस भगदड़ कांड (Hathras Stampede) की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। मंगलवार को हुए इस हादसे में 121 लोगों की मौत हो गई। मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि हाथरस कांड की जांच के लिए गठित पैनल का नेतृत्व सेवानिवृत्त जज करेंगे।
हादसे की जानकारी लेने के लिए मुख्यमंत्री बुधवार को स्वयं हाथरस पहुंचे। वहां उन्होंने अधिकारियों से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली। फिर सीधे हाथरस जिला अस्पताल पहुंचे, जहां उन्होंने घायलों का हालचाल जाना और डॉक्टरों को सभी घायलों के समुचित उपचार के निर्देश दिए।
मीडिया से बात करते हुए योगी आदित्यनाथ ने घटना की न्यायिक जांच की बात कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि कई पहलू हैं जिनकी जांच की जानी चाहिए… राज्य सरकार ने सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के नेतृत्व में न्यायिक जांच का भी निर्णय लिया है। सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रशासन और पुलिस अधिकारी भी इसका हिस्सा होंगे। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि “हमने एक एसआईटी का गठन किया है, जिसका नेतृत्व एडीजी आगरा कर रहे हैं। उन्होंने प्रारंभिक रिपोर्ट सौंप दी है। उन्हें इस मामले की गहराई से जांच करने को कहा गया है।
हाथरस भगदड़ः सीएम योगी ने घटनास्थल का दौरा किया
सीएम योगी बारिश के बीच घटनास्थल पर भी पहुंचे, जहां उन्होंने अधिकारियों से पूरी घटना का ब्योरा लिया। इसके बाद सीएम योगी हाथरस जिला अस्पताल पहुंचे। यहां उन्होंने घायलों और उनके परिजनों से बात की। सीएम योगी ने कहा कि “मैंने घटना स्थल का दौरा कर दुर्घटना के कारणों की प्रारंभिक व्यवस्थाएं देखीं और हमारे 3 मंत्री कल से ही वहां पर डेरा डाले हुए हैं। मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक भी कल से ही यहां पर डेरा डाले हुए हैं।
राज्य सरकार ने तय किया है कि जनपद हाथरस की दुर्भाग्यपूर्ण घटना की माननीय उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में ज्यूडिशियल इंक्वायरी भी करवाएंगे… pic.twitter.com/q8PEylhrrA
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) July 3, 2024
मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी पहले से ही वहां पर मौजूद हैं। इस पूरी घटना के लिए जिम्मेदार लोगों की जवाबदेही तय करने की दिशा में आगे की कार्रवाई भी की जा रही है, जिसमें अब अलग-अलग जिलों में उनकी कार्यवाही शुरू होगी और शुरुआती जांच के बाद हम आगे की कार्रवाई को आगे बढ़ाने का काम करेंगे…”
एसडीएम रिपोर्ट हाथरस भगदड़ की हकीकत आई सामने
इस बीच, हाथरस हादसे पर एसडीएम सिकंदराराऊ ने जिले के डीएम को अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि सत्संग के दौरान पंडाल में 2 लाख से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ मौजूद थी। सत्संग खत्म होने के बाद नारायण साकार हरि (भोले बाबा) के पंडाल से निकल रहे थे कि श्रद्धालु जल्दी में उनका आशीर्वाद लेने और उनके पैरों से मिट्टी छूने के लिए दौड़ पड़े।
‘भोले बाबा’ के सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोका। इसके बाद बाबा के निजी सुरक्षाकर्मी और सेवादारों ने श्रद्धालु के साथ धक्कामुक्की करने लगे, जिससे कई लोग जमीन पर गिर गए। इससे कार्यक्रम स्थल पर अफरातफरी मच गई। रिपोर्ट में बताया गया है कि कुछ लोग कीचड़ से भरे खेत की तरफ भागे, जिससे वे गिर गए और अन्य श्रद्धालुओं के पैरों तले दब गए।
इसमें कई महिलाएं व पुरुष और बच्चे हताहत व गंभीर रूप से घायल हो गए। तत्काल पुलिस द्वारा हताहतों को एंबुलेंस व अन्य उपस्थित साधनों से घटनास्थल के आसपास स्थित अस्पतालों एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भिजवाया गया। गौरतलब है कि हादसे में 121 लोगों की मौत हुई है वहीं 31 लोगों का इलाज चल रहा है।
121 मृतकों में 6 अन्य राज्यों के
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ कहते हैं, “हमारी प्राथमिकता बचाव और अभियान पर ध्यान केंद्रित करना था। कुल 121 श्रद्धालुओं की जान गई है। वे यूपी, हरियाणा, एमपी और राजस्थान से थे। 121 मृतकों में से 6 अन्य राज्यों से थे। 31 घायलों का इलाज चल रहा है और लगभग सभी खतरे से बाहर हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मैंने कई प्रत्यक्षदर्शियों से बातचीत की और उन्होंने मुझे बताया कि यह घटना कार्यक्रम समाप्त होने के बाद हुई जब सत्संग के प्रचारक मंच से नीचे आ रहे थे, अचानक कई महिलाएं उन्हें छूने के लिए उनकी ओर बढ़ने लगीं और जब ‘सेवादारों’ ने उन्हें रोका, जिसके कारण यह दुर्घटना हुई। ‘सेवादारों’ ने प्रशासन को अंदर प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी।”
इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
उधर, हाथरस घटना को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई है। साथ ही यूपी सरकार से घटना की विशेषज्ञ समिति से जांच की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को याचिकाकर्ता विशाल तिवारी ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की है। याचिका में हाथरस भगदड़ की घटना की जांच के लिए शीर्ष न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में पांच सदस्यीय विशेषज्ञ समिति गठित करने की मांग की गई है।
इसके साथ ही याचिका में उत्तर प्रदेश सरकार से हाथरस भगदड़ की घटना में शीर्ष अदालत के समक्ष स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि भगदड़ से प्रशासन की चूक, लापरवाही और विफलता उजागर हुई है। इस घटना में लापरवाह आचरण के दोषी लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश देने की भी मांग की गई है।
वहीं इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दायर एक अलग जनहित याचिका में सीबीआई से जांच और प्रमुख अधिकारियों के निलंबन की मांग की गई है। वकील गौरव द्विवेदी की ओर से दायर जनहित याचिका में दावा किया गया है कि जिला अधिकारी अपने ‘लापरवाह’ कृत्य के लिए ‘पूरी तरह जिम्मेदार’ हैं, जिसके कारण भगदड़ हुई। याचिकाकर्ता ने कहा है कि वह विश्व के सबसे बड़े धार्मिक समागम महाकुंभ में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर बहुत चिंतित हैं, जो 2025 में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होने वाला है।
इन लोगों के खिलाफ पुलिस ने दर्ज की एफआईआर
पुलिस के मुताबिक बाबा के मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर और ‘सत्संग’ के अन्य आयोजकों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 की धारा 105, 110, 126 (2), 223 और 238 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है। उपदेशक भोले बाबा की भी तलाश की जा रही है जो घटना के बाद से ही फरार हैं। हालांकि भोले बाबा का नाम एफआईआर में नहीं है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने मैनपुरी जिले में राम कुटीर चैरिटेबल ट्रस्ट में तलाशी अभियान शुरू किया है।