सूरज पाल जाटव उर्फ भोले बाबा (फाइल फोटो- IANS)
लखनऊ: हाथरस भगदड़ कांड पर लंबे समय के बाद सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ 'भोले बाबा' की प्रतिक्रिया आई है। स्वयंभू संत नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा ने कहा कि होनी को कौन टाल सकता है। उत्तर प्रदेश के हाथरस में 2 जुलाई को नारायण साकार हरि के सत्संग के बाद मची भगदड़ में 123 लोगों की जान चली गई थी। सत्संग के इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए उस स्थान पर करीह ढाई लोग जमा हुए थे।
समाचार एजेंसी IANS के अनुसार भोले बाबा ने कहा कि 2 जुलाई की घटना के बाद से वह अवसाद से ग्रसित हैं। उन्होंने कहा, 'लेकिन होनी को कौन टाल सकता है, जो आया है उसे एक दिन तो जाना ही है, भले कोई आगे पीछे हो। हमारे वकील डॉ. एपी सिंह एवं हमें भी जैसा प्रत्यक्षदर्शियों ने विषैला स्प्रे के बारे में बताया, वह पूर्णत: सत्य है कि कोई न कोई साजिश जरूर हुई है।'
उन्होंने कहा कि कुछ लोग उन्हें बदनाम करने में लगे हुए हैं। लेकिन, हमें एसआईटी और न्यायिक आयोग की जांच पर पूरा भरोसा है। हमारे सभी अनुयायियों को भी पूरा भरोसा है। जांच के बाद दूध का दूध और पानी का पानी होगा और साजिशकर्ता बेनकाब होंगे।
आयोजकों के खिलाफ एफआईआर पर बाबा पर नहीं
घटना के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा आयोजकों के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें उन पर सबूत छिपाने और शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया था। एफआईआर के अनुसार कार्यक्रम के लिए 2.5 लाख लोग इकट्ठा हुए थे, जबकि केवल 80,000 लोगों की अनुमति थी।
अहम बात ये भी है कि दर्ज एफआईआर में बाबा को आरोपी के रूप में उल्लेखित नहीं किया गया था। इस बीच बुधवार को 'भोले बाबा' कासगंज के बहादुर नगर गांव स्थित अपने आश्रम पहुंचे। भोले बाबा के वकील एपी सिंह ने बताया, 'वह अपने आश्रम पहुंच गए हैं और यहीं रहेंगे। वह अपने दूसरे आश्रम से यहां आए हैं। वह कभी किसी के घर, किसी होटल या किसी अन्य देश में नहीं थे।'
एसआईटी सौंप चुकी है 300 पन्नों की रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश सरकार ने घटना की जांच के लिए एक एसआईटी और एक न्यायिक आयोग का गठन किया था। इसके बाद 9 जुलाई को राज्य सरकार को सौंपी गई अपनी 300 पन्नों की रिपोर्ट में एसआईटी ने भी भगदड़ के पीछे 'बड़ी साजिश' से इनकार नहीं किया था। रिपोर्ट में स्थानीय प्रशासन की ओर से हुई चूक का भी जिक्र है। इस बीच, भोले बाबा के वकील ने 6 जुलाई को दावा किया कि कुछ अज्ञात लोगों द्वारा छिड़के गए 'जहरीले पदार्थ' के कारण भगदड़ मची।
एसआईटी ने लापरवाही के लिए संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की सिफारिश की थी। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने उप जिला मजिस्ट्रेट सिकन्दराराऊ, पुलिस क्षेत्राधिकारी सिकन्दराराऊ, थानाध्यक्ष सिकन्दराराऊ, तहसीलदार सिकन्दराराऊ, चौकी इंचार्ज कचौरा एवं चौकी इंचार्ज पोरा को निलंबित कर दिया था।
एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि सत्संग के आयोजकों ने भीड़ को बिना सुरक्षा प्रबंध के आपस में मिलने की छूट दी। भारी भीड़ के चलते यहां किसी प्रकार की बैरिकेडिंग अथवा पैसेज की व्यवस्था नहीं बनाई गई थी और दुर्घटना घटित होने पर आयोजक मंडल के सदस्य घटना स्थल से भाग गए।