हाथरस हादसा: 16 साल की लड़की को जिंदा करने के दावे पर गिरफ्तार हो चुके हैं ‘भोले बाबा’, कोरोना काल में विवादों में घिरे थे उपदेशक

भोले बाबा के फॉलोवरों का दावा है कि बाबा अपनी करिशमाई ताकतों से मरीजों को ठीक कर सकते हैं और वे बुरी आत्माओं को भी भगा सकते हैं।

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Hathras accident Vishwa Hari Bhole Baba who claimed to bring even dead back to life with his magical powers arrested in 2000 controversies during Corona period

हाथरस हादसा (फोटो- IANS)

लखनऊ: मंगलवार को हुए हाथरस हादसे में अभी तक 121 लोगों की जान चली गई है। यह हादसा एक सत्संग के दैरान हुआ था जिसे भोले बाबा नाम से लोकप्रिय नारायण साकार विश्व हरि ने बुलाया था।

विश्व हरि भोले बाबा के अनुयायी उन्हें भोले बाबा के नाम से पुकारते हैं। अपने फॉलोवरों में बाबा काफी लोकप्रिय हैं और उनका विवादों से पूराना नाता रहा है। कई साल पहले पुलिस की नौकरी छोड़ बाबा ने सत्संग शुरू किया था।

बाबा के अनुयायी क्या करते हैं दावा

भोले बाबा के अनुयायी उन्हें लकेर कई दावें करते हैं। उनके फॉलोवरों का दावा है कि बाबा अपनी करिशमाई ताकतों से मरीजों को ठीक कर सकते हैं और वे बुरी आत्माओं को भी भगा सकते हैं। उनका यह भी दावा है कि बाबा के पास जादुई ताकतें हैं जिससे उनकी इच्छाओं को भी वे पूरा कर सकते हैं।

यही नहीं उनके अनुयायियों का यह भी दावा है कि बाबा मुर्दों में भी जान ला सकते हैं। उन्होंने खुद भी मुर्दों को जिंदा करने का दावा किया है और इस मामले में वे गिरफ्तार भी हो चुके हैं।

कौन हैं भोले बाबा

यूपी के कासगंज जिले के रहने वाले भोले बाबा का असली नाम सूरज पाल है। उपदेशक बनने से पहले वे उत्तर प्रदेश पुलिस में एक कांस्टेबल थे। साल 1990 में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी थी और फिर उपदेशक बन गए थे।

दो दशक से भी अधिक समय में बाबा अपने फॉलवरों के बीच काफी लोकप्रिय हुए हैं। भोले बाबा हर मंगलवार को वो सत्संग करते हैं।

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दलितों में बाबा काफी लोकप्रिय

भोले बाबा कम कमाने वाले दलितों में ज्यादा लोकप्रिय हैं। उनके अनुयायियों में मजदूर, राजमिस्त्री, खेतों में काम करने वाले मजदूर, सफाई कर्मचारी, बढ़ई या कालीन विक्रेता भी शामिल हैं। उनकी फॉलवरों में महिलाओं की भी संख्या काफी ज्यादा है। बाबा के सत्संग में 40 से 70 उम्र की महिलाएं ज्यादा शामिल होती हैं।

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भोले बाबा अनुयायियों को क्या अपदेश देते हैं

भोले बाबा के अनुयायियों का कहना है कि बाबा उनसे कुछ नहीं लेते हैं और उन्हें झूठ बोलने, मांस, मछली, अंडे और शराब के सेवन से दूर रहने की सलाह देते हैं। उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी उनकी अनुयायियों की संख्या काफी अधिक है।

हर गांव में बाबा के 10 से 12 सेवादार होते हैं जो उनके अनुयायियों को सत्संग के बारे में जानकारी देते हैं और उन्हें वहां ले जाते हैं।

फॉलवरों के साथ भोले बाबा हो चुके हैं गिरफ्तार

साल 2000 में बाबा और उनके कुछ अनुयायी गिरफ्तार भी हुए थे। बाबा ने उस समय आगरा में एक 16 साल की लड़की को फिर से जिंदा करने का दावा किया था। उन पर लड़की के परिवार वालों के साथ जबरदस्ती करने और शव को अपने कब्जे में लेने का भी आरोप लगा था।

2000 में भोले बाबा को गिरफ्तार करने वाले सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी तेजवीर सिंह ने कहा है कि बाबा के दावों और पुलिस की टीम पर उनके फॉलोवरों द्वारा पथराव के बाद उन्हें और उनके कुछ अनुयायियों को गिरफ्तार किया गया था।

इस धारा के तहत बाबा पर तय हुए थे आरोप

इस मामले में भोले बाबा, उनकी पत्नी और उनके चार समर्थकों (जिनमें से दो महिलाएं भी थी) के खिलाफ आईपीसी की धारा 109 और ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम के तहत आरोप तय किए गए थे। हालांकि शुरुआती आरोपों के बावजूद मामला में किसी पर दोष साबित नहीं हुआ था और बाद में केस बंद हो गया था।

आगरा के पुलिस उपायुक्त सूरज कुमार राय ने बाबा की गिरफ्तारी और केस के बंद होने की बात की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि जांच के दौरान नए सबूतों के मिलने के बाद भी मामले को दिसंबर 2000 में बंद कर दिया गया था।

अन्य विवादों में भी घिर चुके हैं बाबा

बता दें कि बाबा और उनका सत्संग कार्यक्रम कोरोना काल के दौरान भी विवादों में घिरा था। कोरोना काल के दौरान जब लोगों के एक साथ जमा होने पर कई तरह के रोक लगे हुए थे उस समय उन्होंने एक सत्संग में 50 लोगों के शामिल होने की अनुमति मांगी थी।

लेकिन जैसे ही सत्संग शुरू हुआ था वहां पर 50 हजार लोग पहुंच गए थे। भारी भीड़ के चलते उस दौरान प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा गई थी।

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