नई दिल्लीः अरुणाचल प्रदेश में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा कथित घुसपैठ की खबरों के बीच, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सोमवार को स्पष्ट किया कि जिन स्थानों पर सीमांकन नहीं हुआ है, वहां केवल चिन्ह बनाने से यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि उन क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया गया है।
अरुणाचल प्रदेश के निवासी और केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने यह भी कहा कि भारत और चीन की सेनाओं के गश्त के दौरान कुछ स्थानों पर ओवरलैपिंग होती रहती है, जहां सीमांकन स्पष्ट नहीं है, लेकिन इससे भारतीय सीमा पर अतिक्रमण का सवाल पैदा नहीं होता।
रिजिजू का यह बयान तब आया है जब हाल ही में खबरें आई थीं कि चीन की पीएलए ने अरुणाचल प्रदेश के अंजॉ जिले में भारतीय सीमा के भीतर प्रवेश किया और कुछ समय के लिए कपापू इलाके में तैनात रही।
सोशल मीडिया पर इस घटना से संबंधित तस्वीरें साझा की गईं, जिनमें चट्टानों पर बनाए गए चिन्ह, अलाव जलाने के सबूत और चीनी खाद्य सामग्री देखी गई।
सीमांकन न होने वाले स्थानों पर गश्त का ओवरलैप होना सामान्य
इन सवालों के जवाब में रिजिजू ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि चीन हमारी जमीन पर कब्जा नहीं कर सकता। सीमांकन न होने वाले स्थानों पर गश्त का ओवरलैप होना सामान्य है, लेकिन उन्हें कोई स्थायी निर्माण करने की अनुमति नहीं है। हमारी तरफ से कड़ी निगरानी की जा रही है। केवल चिन्ह बना देने से किसी स्थान पर कब्जा नहीं माना जा सकता।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत सीमा पर बुनियादी ढांचे का निर्माण तेजी से कर रहा है और यह प्रक्रिया जारी रहेगी। केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि “हम किसी को भी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास नहीं आने देंगे।
यह घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब भारतीय सेना लद्दाख में पीएलए के साथ लंबे समय से चल रहे तनाव का सामना कर रही है। यह गतिरोध अप्रैल 2020 से जारी है।
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चीन का दावा क्या है?
भारत और चीन के बीच लगभग 3,400 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा है, जो लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक फैली हुई है। चीन लगातार दावा करता है कि अरुणाचल प्रदेश उसका हिस्सा है, जिसे भारत ने सिरे से खारिज करते हुए “बेतुका” और “मूर्खतापूर्ण” करार दिया है।
चीन अरुणाचल प्रदेश को ‘दक्षिण तिब्बत’ कहता है और अक्सर भारतीय नेताओं के अरुणाचल प्रदेश दौरे का विरोध करता रहा है ताकि अपने दावे को मजबूत कर सके। बीजिंग ने इस क्षेत्र का नाम बदलकर ‘जांगनान’ रख दिया है।
भारत ने चीन के इन दावों को लगातार खारिज किया है और साफ तौर पर कहा है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग है। नई दिल्ली ने चीन द्वारा इस क्षेत्र को “काल्पनिक” नाम देने की कोशिशों को भी खारिज करते हुए कहा है कि इससे जमीनी हकीकत पर कोई फर्क नहीं पड़ता।