नई दिल्ली: भारत द्वारा पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को निलंबित किए जाने के बीच हरियाणा ने पड़ोसी राज्य पंजाब से भाखड़ा डैम का पानी देने की अपील की है। हरियाणा सरकार ने चेताया है कि अगर भाखड़ा जलाशय से पानी नहीं छोड़ा गया, तो अतिरिक्त पानी हरिके-पत्तन के रास्ते पाकिस्तान चला जाएगा, जो न तो पंजाब के हित में है, न देश के।

हरियाणा के जल संसाधन मंत्री डॉ. अभय सिंह सैनी ने कहा, “मानसून से पहले भाखड़ा डैम का जलाशय खाली करना जरूरी है ताकि वर्षा का पानी संग्रहित किया जा सके। अगर जलाशय में जगह नहीं होगी, तो अतिरिक्त पानी पाकिस्तान चला जाएगा। यह पंजाब और राष्ट्र- दोनों के लिए हानिकारक है।”

'इसका असर दिल्ली की पेयजल आपूर्ति पर भी पड़ेगा'

पंजाब-हरियाणा के बीच जल बंटवारे को लेकर विवाद गहराने पर डॉ. सैनी ने आगाह किया कि इसका असर दिल्ली की पेयजल आपूर्ति पर भी पड़ेगा। उन्होंने कहा, “जब तक दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार थी, पंजाब सरकार को दिल्ली को पानी भेजने से कोई आपत्ति नहीं थी। अब जब दिल्ली में आप की सरकार नहीं रही, तो पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान इस तरह के बयान क्यों दे रहे हैं?”

सैनी ने पंजाब के हरियाणा पर मार्च में अपने जल कोटा से अधिक पानी उपयोग करने के आरोप पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सच्चाई तो यह है कि हमें अभी तक पूरा कोटा ही नहीं मिला है। उन्होंने कहा, पिछले महीने भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) द्वारा हरियाणा को जो पानी मिला, उसमें से 500 क्यूसेक दिल्ली के लिए, 800 क्यूसेक राजस्थान और 400 क्यूसेक पंजाब को गया। इस प्रकार हरियाणा को केवल 6,800 क्यूसेक पानी मिला।

सैनी ने स्पष्ट किया, “हरियाणा की मांग के अनुसार अगर बीबीएमबी शेष पानी भी दे देता है, तो वह भाखड़ा डैम के कुल जल भंडारण का मात्र 0.0001 प्रतिशत होगा, जिससे भंडारण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।”

हरियाणा ने निर्धारित कोटे का 103% पानी पहले ही उपयोग कर लिया हैः पंजाब

वहीं, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आरोप लगाया कि भाजपा भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड के माध्यम से पंजाब सरकार पर हरियाणा की मांग मानने के लिए दबाव बना रही है। उन्होंने दावा किया कि हरियाणा ने मार्च में अपने निर्धारित कोटे का 103 प्रतिशत पानी पहले ही उपयोग कर लिया है।

सिंधु जल संधि के निलंबन के बाद मान ने केंद्र से चेनाब, झेलम, उज्ह और अन्य नदियों का पानी उत्तर भारत की ओर मोड़ने की मांग की, ताकि धान की बुआई के मौसम में जल आवश्यकता को पूरा किया जा सके। इस पर सैनी ने पलटवार करते हुए कहा, “मान साहब शायद भूल गए हैं कि अप्रैल-मई में पंजाब और हरियाणा में धान की खेती नहीं होती। इन महीनों में बीबीएमबी द्वारा छोड़ा गया पानी केवल पेयजल के लिए होता है।”

भाखड़ा और पोंग जलाशय पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की जल आपूर्ति का मुख्य आधार हैं, और ये सिंधु जल संधि का हिस्सा रहे हैं। 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के अगले दिन भारत ने यह संधि निलंबित कर दी थी।

सतलुज-यमुना लिंक नहर को लेकर दोनों राज्यों के बीच विवाद

पानी को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच लंबे समय से सतलुज-यमुना लिंक नहर को लेकर विवाद चल रहा है। इस नहर से रावी और ब्यास नदियों का पानी दोनों राज्यों को मिलना था। हरियाणा ने अपने हिस्से में नहर का निर्माण पूरा कर लिया है, जबकि पंजाब ने 1982 में निर्माण कार्य शुरू कर इसे बाद में रोक दिया।

हाल ही में मुख्यमंत्री मान ने फिर दोहराया कि एसवाईएल कभी वास्तविकता नहीं बनेगी और उनकी सरकार पंजाब के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। इसके जवाब में सैनी ने कहा कि एसवाईएल हरियाणा के लिए आवश्यक है और पंजाब सरकार इस दिशा में कोई प्रगति नहीं कर रही।