चेन्नई: अन्ना विश्वविद्यालय परिसर में एक छात्रा के यौन उत्पीड़न मामले में तमिलनाडु के चेन्नई में महिला अदालत ने आरोपी ज्ञानशेखरन को बलात्कार सहित 11 मामलों में दोषी पाया। जस्टिस एम. राजलक्ष्मी की अध्यक्षता वाली अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद घोषणा की कि सजा 2 जून को सुनाई जाएगी। इस मामले में आरोप पत्र 24 फरवरी को विशेष जांच दल (एसआईटी) की ओर से दायर किया गया था, जिसने ग्रेटर चेन्नई पुलिस से अपने हाथ में केस लिया था।
स्थानीय पुलिस ने सड़क किनारे बिरयानी बेचने वाले और आपराधिक पृष्ठभूमि वाले डीएमके के स्थानीय नेता ज्ञानशेखरन को घटना के तुरंत बाद गिरफ्तार कर लिया था। अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह घटना 23 दिसंबर, 2024 को हुई। पीड़िता इंजीनियरिंग की छात्रा थी और अपने पुरुष मित्र के साथ परिसर में थी। ज्ञानशेखरन ने उनके अंतरंग संबंधों का एक फर्जी वीडियो दिखाकर उन्हें धमकाया और चेतावनी दी कि वह इसे विश्वविद्यालय के अधिकारियों के साथ साझा कर देगा, जिससे उन्हें निष्कासित कर दिया जाएगा।
लड़की के साथ कैंपस में यौन उत्पीड़न
इसके बाद उसने लड़के को जबरन वहां से जाने के लिए मजबूर किया और लड़की को अपने साथ कैंपस के एक सुनसान हिस्से में ले गया। लड़के की यूनिवर्सिटी स्टाफ की ओर से जांच का दिखावा करते हुए उसने पीड़िता को और भी डरा दिया। जब उसने उसकी मांगें मानने से इनकार कर दिया तो ज्ञानशेखरन ने कथित तौर पर उसका यौन उत्पीड़न किया और इस कृत्य को अपने मोबाइल फोन पर रिकॉर्ड कर लिया। बाद में उसने उसका फोन नंबर ले लिया और उसे ब्लैकमेल कर, धमकी दी कि अगर वह उससे दोबारा नहीं मिली तो वह वीडियो उसके पिता और कॉलेज के अधिकारियों को भेज देगा। हालांकि, लड़की ने चुप रहने से इनकार करके साहस का परिचय दिया।
2 जून को सजा का ऐलान
अपने परिवार और कॉलेज प्रशासन की मदद से उसने अगले ही दिन कोट्टूरपुरम ऑल विमेन पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस की तुरंत कार्रवाई के कारण ज्ञानशेखरन को गिरफ्तार कर लिया गया। मुकदमे के दौरान, उनके वकील ने व्यक्तिगत आधारों का हवाला देते हुए सजा में नरमी बरतने की अपील की। हालांकि, अभियोजन पक्ष ने अपराध की जघन्य प्रकृति और अभियुक्त के आपराधिक इतिहास को देखते हुए सजा पर कड़ी आपत्ति जताई।
जस्टिस राजलक्ष्मी ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद सजा पर फैसला 2 जून के लिए सुरक्षित रख लिया। इस फैसले को पीड़िता के लिए न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम तथा शैक्षणिक परिसरों में महिलाओं को निशाना बनाकर किए जाने वाले अपराधों के विरुद्ध एक कड़ा संदेश बताया गया।