गंभीरा पुल। Photograph: (IANS)
वडोदराः गुजरात के वडोदरा जिले में गंभीरा पुल के ढहने की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि यह हादसा संरचनात्मक विफलता के कारण हुआ। गुजरात के स्वास्थ्य मंत्री और सरकारी प्रवक्ता रुशिकेश पटेल ने शुक्रवार को बताया कि पुल का आधार (पेडेस्टल) और आर्टिकुलेशन टूटने से यह घटना घटी। बुधवार को इस पुल का एक हिस्सा टूटकर माही नदी में गिर गया था, जिसमें कई वाहन नदी में जा गिरे। अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 2 लोग अभी भी लापता हैं।
ऋषिकेश पटेल ने कहा कि समिति को 30 दिनों में एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपनी है, जिसमें तकनीकी और प्रशासनिक दोनों पहलुओं की समीक्षा की जाएगी। इस रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी। हादसे के बाद राज्य सरकार ने बृहस्पतिवार (10 जुलाई) को सड़क एवं भवन विभाग के चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। मंत्री ने कहा, जहां भी लापरवाही सामने आई है, वहां तुरंत कार्रवाई की गई है। आगे भी किसी प्रकार की चूक पर सख्त कदम उठाए जाएंगे।
1985 में बना था गंभीरा पुल
इस हादसे ने न सिर्फ लोगों की जान ली, बल्कि गंभीरा गांव की आजीविका को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। गम्भीरा गांव के लगभग 13,000 लोग रोजाना इसी पुल के जरिए वडोदरा के फार्मा और केमिकल कारखानों में काम पर जाते थे। यह पुल उनके लिए शहर तक पहुंचने का एकमात्र सीधा रास्ता था, जिससे अब कट गया है।
अब लोगों को काम तक पहुंचने के लिए 10 किलोमीटर के बजाय 70 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ेगा, जिससे हर दिन ₹300 तक का अतिरिक्त खर्च और समय की बर्बादी हो रही है।
गंभीरा के लोगों की आजीविका पर संकट
द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए एक स्थानीय निवासी ने कहा कि “हमारे परिवार के चार सदस्य जो फैक्टरी में तीन-तीन शिफ्ट कर रहे थे, पुल गिरने के बाद से घर नहीं लौटे। जब तक हम उनकी जगह काम पर नहीं पहुंचते, वे लौट नहीं सकते।”
एक अन्य निवासी धर्मेश निजामा की भी यही पीड़ा है। उन्होंने बताया कि कई ऐसे लोग हैं जो अपने परिवार के सदस्यों को काम पर से रिलीव नहीं कर पाए, क्योंकि वे खुद पहुंच ही नहीं सके। वहीं, हरिकृष्ण मछी नामक निवासी, जो करकड़ी में एक केमिकल फैक्टरी में 25,000 रुपये मासिक वेतन पर काम करते हैं, कहते हैं कि अब अतिरिक्त दूरी के कारण उनकी आमदनी पर सीधा असर पड़ेगा।
गांव के सरपंच लालजीभाई अमरसिंह पाधियार ने बताया कि हादसे में गांव के दो लोगों की मौत हो गई, जो GIDC क्षेत्र में काम करने जा रहे थे। उन्होंने कहा, गांव इस दुख में डूबा है, लेकिन हम इस बात को लेकर भी चिंतित हैं कि अब काम तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं बचा।