क्लिनिकल ट्रायल से छूट, फास्ट-ट्रैक मंजूरी...दुर्लभ बीमारियों की दवा तक पहुंच आसान बनाने की ये है सरकार की योजना

सरकारी प्रयोगशालाओं में दुर्लभ बीमारी की दवाओं का जल्दी परीक्षण होगा, ताकि मरीजों को समय पर इलाज मिल सके।

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Govt making access to rare diseases medicines easier by simplifying approval process Drugs Controller General of India DCGI

प्रतीकात्मक फोटो (फोटो- IANS)

नई दिल्ली: सरकार मंजूरी की प्रक्रिया को सरल बनाकर और बाधाओं को दूर करके दुर्लभ बीमारियों की दवाओं को जल्दी उपलब्ध कराने के लिए जरूरी कदम उठा रही है।

सरकार इन दवाओं तक पहुंच को आसान बनाने के लिए स्थानीय क्लिनिकल ट्रायल से छूट देने और फास्ट-ट्रैक मंजूरी प्रक्रिया लागू करने पर काम कर रही है।

इस संबंध में भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने राज्य दवा नियामकों से इन दवाओं के आयात और बिक्री को सरल बनाने का अनुरोध किया है, ताकि मरीजों की जरूरतें जल्दी और प्रभावी तरीके से पूरी की जा सकें।

नौ दिसंबर को लिखे गए एक पत्र में डीसीजीआई ने कहा कि दुर्लभ बीमारियों की दवाओं के लिए सभी आवेदन प्राप्त होने के 90 दिनों के भीतर स्वीकृत किए जाने चाहिए।

डीसीजीआई ने विभाग प्रमुखों को क्या निर्देश दिया है

इन प्रक्रियाओं को और अधिक सुव्यवस्थित करने के लिए नियामक ने अपने विभाग प्रमुखों को दुर्लभ बीमारियों से संबंधित वैश्विक और स्थानीय क्लिनिकल ट्रायल्स की बारीकी से निगरानी करने का निर्देश दिया है।

इसके अलावा, यह भी कहा गया है कि जब भी कोई क्लिनिकल ट्रायल्स होगा, उसे जल्दी मंजूरी देने के लिए एक प्रक्रिया अपनाई जाएगी। इसमें प्रतिभागियों की संख्या बढ़ाने जैसे बदलाव भी किए जाएंगे, ताकि परीक्षण जल्दी शुरू हो सके।

सरकार दुर्लभ बीमारी की दवाओं के आयात को दे रही है प्राथमिकता

यही नहीं सरकार दुर्लभ बीमारी की दवाओं के आयात को भी प्राथमिकता दे रही है। ऐसे में राज्य नियामकों को इन दवाओं के पंजीकरण प्रमाणपत्र जल्द जारी करने और बिना देरी के आयात सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है।

सरकारी प्रयोगशालाओं में दुर्लभ बीमारी की दवाओं का जल्दी परीक्षण होगा, ताकि मरीजों को समय पर इलाज मिल सके। डीसीजीआई ने कुछ विशेष मामलों जैसे जीन और सेलुलर थेरेपी, महामारी के दौरान इस्तेमाल होने वाली दवाएं, और रक्षा से जुड़ी दवाओं के लिए क्लिनिकल ट्रायल से छूट देने का निर्णय लिया है।

इससे पहले अगस्त में सरकार ने उन दवाओं से स्थानीय क्लिनिकल ट्रायल की आवश्यकता हटा दी थी, जो जरूरी चिकित्सीय लाभ देती हैं और जिन्हें अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और यूरोपीय संघ जैसे देशों से मंजूरी मिल चुकी है।

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