नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने 12 फरवरी, 2025 को गुरु रविदास जयंती के अवसर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है। इस घोषणा के तहत दिल्ली सरकार के सभी सरकारी कार्यालय, स्वायत्त निकाय और सार्वजनिक उपक्रम बंद रहेंगे। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी एक अधिसूचना में कहा गया, "दिल्ली के उपराज्यपाल 12 फरवरी, 2025 को गुरु रविदास जयंती के अवसर पर दिल्ली सरकार के सभी सरकारी कार्यालयों, स्वायत्त निकायों और सार्वजनिक उपक्रमों में सार्वजनिक अवकाश घोषित करते हैं।"
इस अधिसूचना के अनुसार, नवंबर 2024 में गुरु रविदास जयंती के अवसर पर घोषित प्रतिबंधित अवकाश को अब रद्द कर दिया गया है। इसके स्थान पर, अब यह एक आधिकारिक अवकाश के रूप में मान्य होगा।
इस आदेश के अनुपालन में, बुधवार, 12 फरवरी, 2025 को दिल्ली के सभी सरकारी स्कूल बंद रहेंगे। हालांकि, जिन विभागों में आवश्यक सेवाएँ प्रदान की जाती हैं, जैसे कि आपातकालीन सेवाएँ, चिकित्सा सुविधाएँ, पुलिस, और सार्वजनिक परिवहन, वे अपने मानक अवकाश प्रोटोकॉल के तहत कार्य जारी रखेंगे।
गुरु रविदास जयंती का महत्व
गुरु रविदास जयंती 15वीं शताब्दी के महान संत, कवि और समाज सुधारक गुरु रविदास के जन्म की स्मृति में मनाई जाती है। गुरु रविदास भक्ति आंदोलन के प्रमुख संतों में से एक थे और उन्होंने समानता, सामाजिक न्याय और जाति-पाति के भेदभाव के खिलाफ महत्वपूर्ण संदेश दिए।
उनकी शिक्षाएँ आज भी समाज में समरसता और भाईचारे को बढ़ावा देने के लिए प्रासंगिक मानी जाती हैं। उनके दोहे और भजन लोगों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। इस अवसर पर उत्तर भारत में विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भव्य जुलूस, भक्ति गीत और सामुदायिक आयोजन किए जाते हैं।
गुरु रविदास जयंती समारोह और परंपराएँ
हर साल, गुरु रविदास जयंती पर उनके अनुयायी और भक्त विशेष कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। इस दिन मंदिरों और गुरुद्वारों में भजन-कीर्तन, प्रवचन और लंगर का आयोजन किया जाता है। कई स्थानों पर शोभायात्राएँ और नगर कीर्तन भी निकाले जाते हैं, जिनमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं। गुरु रविदास की शिक्षाएँ आज भी प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं और उनके आदर्शों को याद करने के लिए यह पर्व श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
दिल्ली सरकार द्वारा गुरु रविदास जयंती के अवसर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित करना इस पर्व के महत्व को दर्शाता है। यह निर्णय न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे सरकारी कर्मचारियों और छात्रों को भी इस दिन को श्रद्धा के साथ मनाने का अवसर मिलेगा। यह पहल गुरु रविदास की शिक्षाओं को सम्मान देने और समाज में समरसता बढ़ाने का एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।