पणजी: गोवा के शिरगाँव गाँव में वार्षिक देवी लैराई जात्रा (यात्रा) के दौरान भगदड़ (Shirgao Jatra Stampede) मचने से कम से कम 6 लोगों की मौत हो गई और 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए। यह घटना शनिवार तड़के हुई। भगदड़ उस समय मची जब हजारों श्रद्धालु मंदिर में सदियों पुरानी रस्म को देखने और उसका हिस्सा बनने के लिए जुलूस में शामिल हुए थे। इस रस्म के दौरान नंगे पाँव ‘धोंड’ जलते अंगारों पर चलते हैं।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार भीड़ के एक हिस्से के नियंत्रण गंवा देने के बाद स्थिति और बिगड़ गई। कई स्थानीय लोगों ने दूसरे लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए मौके पर पहुंचकर मदद की। भगदड़ तब मची जब रास्ते पर एक जगह ढलान के कारण भीड़ एक साथ तेजी से आगे बढ़ने लगी।

पीड़ितों से मिले सीएम प्रमोद सावंत

घटना के कुछ ही घंटे बाद गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने भी अस्पताल का दौरा किया और पीड़ितों से मुलाकात की। घायलों को इलाज के लिए गोवा मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) और मापुसा स्थित उत्तरी गोवा जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अधिकारियों ने भगदड़ के कारण या पीड़ितों की पहचान के बारे में अभी और जानकारी जारी नहीं की है।
 
वहीं, जुलूस में शामिल लोगों की मौत पर शोक व्यक्त करते हुए गोवा कांग्रेस ने एक्स पर लिखा, 'गोवा कांग्रेस श्री लैराई देवी, शिरगाँव के जातरोत्सव में हुई भगदड़ से बहुत दुखी है। हम इस दुखद घटना की निंदा करते हैं और अपने प्रियजनों को खोने वाले परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करते हैं। सभी घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हैं।'

क्या है श्री लैराई देवी जात्रा?

श्री लैराई जात्रा हर साल उत्तरी गोवा में आयोजित की जाती है, जिसमें करीब 50,000 से अधिक श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं। यह जात्रा शुक्रवार को शुरू हुआ था। श्री लैराई जात्रा गोवा के शिरगाँव में श्री लैराई देवी मंदिर में मनाया जाने वाला एक वार्षिक उत्सव है। राज्य भर से और उसके बाहर से भक्त देवी लैराई का सम्मान करने के लिए इकट्ठा होते हैं, जिन्हें देवी पार्वती का एक रूप माना जाता है। इस उत्सव का मुख्य आकर्षण पारंपरिक ढोंडाची जात्रा है, जिसके दौरान हजारों भक्त नंगे पैर जलते अंगारों पर चलते हैं।

इस उत्सव में देवी की भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है, जिसमें ढोल, भक्तिपूर्ण मंत्रोच्चार और प्रसाद आदि आयोजन का अहम हिस्सा होते हैं। हजारों भक्त और आगंतुक इस अनुष्ठान को देखने और देवी का आशीर्वाद लेने के लिए एकत्रित होते हैं।