गिरीराज सिंह मछली खाते हैं, खिलाते नहीं, लोक सभा में सांसद ने ली भाजपा नेता की चुटकी

सदन में बिहार से जुड़े मछली उत्पादन के मुद्दे पर मज़ाकिया अंदाज में भी चर्चा हुई। जब ललन सिंह ने कहा कि गिरिराज सिंह भी मछली खाते हैं, लेकिन खिलाते नहीं हैं, तो स्पीकर ओम बिरला भी इस चुटकी पर हंसते नजर आए।

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नई दिल्ली: मंगलवार को लोक सभा के बजट सत्र के दौरान शून्य काल के दौरान भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी द्वारा पूछे गये एक प्रश्न का जदयू सांसद एव मंत्री ललन सिंह जवाब दे रहे थे। ललन सिंह ने बताया कि बिहार में उत्पादित कुछ मछली का करीब 90 प्रतिशत बिहार में खपत हो रही है। इस दौरान ललन सिंह ने कहा कि राजीप प्रताप रूडी खुद मछली खाते हैं इसलिए वो यह बात जानते होंगे। तब एक सांसद ने बीच में टोकते हुए कहा गिरिराज सिंह भी मछली खाते हैं। तभी दूसरे सांसद ने चुटकी लेते हुए कहा कि गिरीराज सिंह मछली खाते हैं मगर खिलाते नहीं हैं।

राजीव प्रताप रूडी ने बताया कि भारत की 140 करोड़ की आबादी में से 95 करोड़ लोग मछली खाते हैं। देश में करीब 1 करोड़ ग्रामीण मछुआरे इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं, जो इन लोगों को मछली उपलब्ध कराते हैं। उन्होंने बताया कि भारत में 88 लाख लोग इस व्यवसाय से जुड़े हैं, जिनमें तेलंगाना में 10 लाख, ओडिशा में 8 लाख और कर्नाटक में 6 लाख मछुआरे शामिल हैं। लेकिन, सबसे अधिक मछुआरे बिहार में हैं, जहां इनकी संख्या 40 लाख है।

रूडी ने पूछा कि इनलैंड फिशिंग का उत्पादन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 86 लाख टन से बढ़कर 131 लाख टन हो गया है। लेकिन बिहार के 40 लाख मछुआरों के लिए जो सरकारी योजना आई थी, उसके तहत मिलने वाली 4,000 रुपये की राशि 2022-23, 2023-24 और 2024-25 में शून्य रही।

बिहार में मछली उत्पादन में वृद्धि

बिहार के मत्स्य पालन मंत्री ललन सिंह ने रूडी के सवालों का जवाब देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बिहार में मछली उत्पादन में 126% की वृद्धि हुई है और भारत मछली उत्पादन के मामले में विश्व में दूसरे स्थान पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि इनलैंड फिशिंग में भी 126% वृद्धि हुई है, जो 149 लाख टन से अधिक हो गई है।

ललन सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि मछली उत्पादन के लिए तीन महीने का प्रतिबंधित समय होता है, जिसे ‘ब्रिडिंग पीरियड’ कहा जाता है। इस अवधि में मछली पालन पर रोक होती है, इसलिए केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर लाभार्थियों को 1,500-1,500 रुपये की सहायता देती हैं, जिसमें 1,500 रुपये मछुआरे का योगदान होता है। कुल मिलाकर तीन महीने में उन्हें 4,500 रुपये दिए जाते हैं।

उन्होंने यह भी बताया कि कभी-कभी लाभार्थी का शेयर नहीं मिलता तो कभी केंद्र और राज्य सरकारों का योगदान समय पर नहीं मिल पाता, जिससे योजना में रुकावट आती है। उन्होंने कहा कि सरकार इस समस्या का समाधान निकालेगी।

'गिरिराज मछली खाते हैं खिलाते नहीं हैं'

रूडी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मंत्री महोदय ने उनके सवाल का सीधा जवाब नहीं दिया। उन्होंने पूछा कि प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत मिलने वाले 20,000 करोड़ रुपये का उपयोग बिहार में कैसे किया जाएगा। उन्होंने आंध्र प्रदेश का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां मछली की बिक्री के लिए लॉजिस्टिक और कंप्यूटरीकृत प्रणाली उपलब्ध है, लेकिन बिहार में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। 

इसपर ललन सिंह ने कहा कि बिहार में उत्पादित 90% मछली राज्य में ही खपत हो रही है। इस दौरान उन्होंने मजाकिया लहजे में कहा कि राजीव प्रताप रूडी खुद मछली खाते हैं, इसलिए उन्हें इस विषय की जानकारी होगी। इस पर एक सांसद ने टोकते हुए कहा कि गिरिराज सिंह भी मछली खाते हैं। तभी दूसरे सांसद ने चुटकी लेते हुए कहा कि गिरिराज सिंह मछली खाते हैं, लेकिन खिलाते नहीं हैं।

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