नई दिल्ली: तमिलनाडु में भाषा विवाद के बीच मुख्यमंत्री एमके स्टालिन केंद्र पर गैर-हिंदी भाषीय राज्यों पर जबरन हिंदी थोपने का आरोप लगा रहे हैं। हाल ही में उन्होंने कहा था कि NEP के तहत जिसका लक्ष्य 2030 तक रखा गया है, उसे तो तमिलनाडु पहले ही हासिल कर चुका है। इस पर अब अमित शाह ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि तमिल सरकार पहले मेडिकल और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम तमिल भाषा में शुरू करे। उन्होंने दावा कि स्टालिन ने इस मामले में पर्याप्त काम किया ही नहीं। जबकि नरेंद्र मोदी सरकार ने क्षेत्रीय भाषाओं को समायोजित करने के लिए रिक्रूटमेंट पॉलिसी में अहम बदलाव किए हैं। अमित शाह ने कहा कि अभी तक CFPS भर्ती में मातृभाषा के लिए कोई जगह नहीं थी। पीएम मोदी ने फैसला किया कि हमारे युवा अब तमिल समेत आठवीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं में सीएपीएफ परीक्षा दे सकेंगे।
स्टालिन के हिंदी विरोध को लेकर अमित शाह का निशाना
इसके अलावा उन्होंने उनसे राज्य में तमिल में इंजीनियरिंग और मेडिकल की शिक्षा शुरू करने को भी कहा। भाषा के मुद्दे विशेष रूप से स्टालिन के हिंदी विरोध को लेकर मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने बदलाव किए और अब यह सुनिश्चित किया है कि केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के उम्मीदवार अपनी-अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षा दे सकें।
अमित शाह ने कहा कि तमिलनाडु की संस्कृति ने भारत की सांस्कृतिक धारा को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। शाह ने कहा, 'चाहे वह प्रशासनिक सुधार हो, आध्यात्मिक ऊंचाइयों को प्राप्त करना हो, शिक्षा हो या राष्ट्र की एकता और अखंडता हो, तमिलनाडु ने हर क्षेत्र में भारतीय संस्कृति को मजबूत किया है।' इस कार्यक्रम में अर्द्धसैनिक बल के टुकड़ियों का मार्च पास्ट, योग प्रदर्शन और कमांडो अभियान का प्रदर्शन किया गया।
न्यू एजुकेशन पॉलिसी लागू करने के खिलाफ हैं एमके स्टालिन
बता दें कि एमके स्टालिन तमिलनाडु में न्यू एजुकेशन पॉलिसी लागू करने के खिलाफ हैं। उन्होंने केंद्र सरकार पर NEP के जरिए हिंदी थोपने की कोशिश का आरोप लगाते हुए इसे तमिलनाडु की भाषाई पहचान के लिए खतरा बताया। स्टालिन ने कहा, "पेड़ को शांत रह सकता है, लेकिन हवा शांत नहीं होगी। उन्होंने तर्क दिया कि ये विवाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री की टिप्पणी से भड़का है। उन्होंने ही चिट्ठी लिखकर हमें उकसाया, जबकि हम बस अपना काम कर रहे थे। उन्होंने राज्य को हिंदी थोपने के लिए धमकाया। अब वह एक ऐसी लड़ाई को फिर से शुरू करने का परिणाम भुगत रहे हैं, जिसे वह कभी जीत ही नहीं सकते। तमिलनाडु को सरेंडर करने के लिए ब्लैकमेल नहीं होगा।"