G-7 समिट में हिस्सा लेने कनाडा पहुंचे पीएम मोदी,क्यों खास है यह यात्रा?

पीएम मोदी जी-7 समिट में हिस्सा लेने कनाडा पहुंचे हैं। वह मार्क कार्नी के निमंत्रण पर पहुंचे हैं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह बैठक हो रही है।

G7 SUMMIT PM MODI REACH CANADA WHAT IS AGENDA AND SIGNIFICANCE

G-7 Summit Photograph: (IANS)

नई दिल्लीः G-7 शिखर सम्मेलन (G-7 Summit) में हिस्सा लेने पीएम नरेंद्र मोदी कनाडा पहुंचे हैं। G-7 शिखर सम्मेलन का आयोजन कनाडा के कैननास्किस में हो रहा है। यह 51वीं G-7 समिट है। इस शिखर सम्मेलन में विश्व नेताओं के साथ चर्चा ऊर्जा सुरक्षा, प्रौद्योगिकी और नवाचार जैसे विषयों में होगी। 

पीएम मोदी बीते 10 वर्षों में पहली बार कनाडा यात्रा पर हैं। वह साइप्रस से कनाडा पहुंचे हैं। पीएम मोदी तीन दिनों की विदेश यात्रा पर हैं। पीएम मोदी को कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने आमंत्रित किया है। वह लगातार छठवीं बार इस सम्मेलन में भाग ले रहे हैं। वहीं, पीएम मोदी की कनाडा यात्रा काफी अहम मानी जा रही है क्योंकि दोनों देशों के बीच बीते कुछ समय से राजनयिक संबंध सही नहीं चल रहे हैं। 

इन मुद्दों पर बात करेंगे पीएम मोदी

पीएम मोदी जी-7 शिखर सम्मेलन के आउटरीच सत्र में बोलेंगे। इसके साथ ही इस दौरान वह कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी समेत कई वैश्विक नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे। वहीं, शाम में वह क्रोएशिया के लिए रवाना होंगे। 

इससे पहले विदेश मंत्रालय ने कहा था कि जी-7 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी समूह के नेताओं के साथ-साथ सम्मेलन में बुलाए गए अन्य देशों तथा वैश्विक संगठनों के प्रमुखों से बातचीत करेंगे। इस दौरान वह वैश्विक मुद्दों पर बात करेंगे जिनमें ऊर्जा सुरक्षा, टेक्नोलॉजी और नवाचार शामिल हैं। इसके साथ ही एआई ऊर्जा संबंध और क्वांटम से संबंधित मुद्दे भी शामिल हैं। 

यह सम्मेलन हाल ही में भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हुए चलाए गए 'ऑपरेशन सिंदूर' के लगभग एक महीने बाद हो रही है। भारत ने पाकिस्तान पर यह कार्रवाई 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों के ऊपर हुए आतंकी हमले के जवाब में की गई थी।

पीएम मोदी की यात्रा क्यों है महत्वपूर्ण? 

पीएम मोदी को कनाडाई प्रधानमंत्री मार्क कार्नी द्वारा मिले निमंत्रण को इस तौर पर देखा जा रहा है कि नई सरकार भारत के साथ संबंध सुधारना चाहती है। जून 2023 में खालिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद से दोनों देशों के बीच संबंध खराब हुए हैं। 

बीते साल अक्तूबर में भारत ने अपने उच्चायुक्त समेत पांच अन्य राजनयिकों को कनाडा से वापस बुला लिया था क्योंकि कनाडा ने इनके संबंध निज्जर के हत्याकांड से जोड़े थे। इसके अलावा भारत ने कनाडा के राजनयिकों को भी निकाल दिया था। वहीं, भारत यह बार-बार यह दोहराता रहा कि जस्टिन ट्रुडो की सरकार खालिस्तान समर्थक समूहों को कनाडा से काम करने दे रही है। 

जस्टिन ट्रुडो के पद छोड़ने के बाद मार्क कार्नी कनाडा के प्रधानमंत्री बने। कार्नी इससे पहले अर्थशास्त्री रहे हैं और हाल ही में राजनीति में एंट्री हुई है। ट्रुडो के जाने के बाद भारत ने कहा था कि वह "पारस्परिक विश्वास और संवेदनशीलता" के आधार पर कनाडा के साथ संबंधों को पुनः बनाने की आशा करता है। 

हाल के कुछ महीनों में दोनों देशों के सुरक्षा अधिकारियों के बीच बातचीत फिर से शुरू हुई है। वहीं, इस बीच दोनों देशों के बीच नए उच्चायुक्तों की नियुक्ति की बात हो रही है। इससे पहले पीएम मोदी ने 2015 में कनाडा की यात्रा की थी। तब दोनों देशों ने एक दूसरे के साथ रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने पर जोर दिया था। 

कनाडा में भारतीय मूल के बहुत लोग रहते हैं। कनाडा की जनसंख्या में करीब 4.5 प्रतिशत भारतीय मूल के लोग हैं। करीब 18 लाख लोग भारतीय मूल के हैं। इसमें से अधिकतर सिख समुदाय के हैं। कनाडा में करीब 7.5 लाख से अधिक लोग सिख समुदाय के रहते हैं। इसके अतिरिक्त करीब 10 लाख अनिवासी भारतीय (एनआरआई) छात्र, कुशल पेशेवर, या अन्य कामगार रहते हैं। 

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