लखनऊ: समाजवादी पार्टी की एक विधायक की और दो अन्य लोगों की हत्या को लेकर उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व भाजपा विधायक उदयभान करवरिया के रिहाई के आदेश दे दिए गए हैं। उदयभान को चार साल पहले सजा सुनाई गई थी और अब उत्तर प्रदेश सरकार ने समय से पहले उनके रिहाई के आदेश दे दिए हैं।
आधिकारियों ने कहा है कि जेल में उदयभान के “अच्छे आचरण”, प्रयागराज एसएसपी, जिला मजिस्ट्रेट और दया याचिका समिति की सिफारिशों के आधार पर यह फैसला लिया गया है।
उदयभान फिलहाल केंद्रीय कारागार नैनी में सजा काट रहें और इस फैसले के बाद वे जल्द ही रिहा हो सकते हैं। यह फैसला तब आया है जब पिछले साल आजीवन कारावास की सजा काट रहे पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को जेल से रिहा कर दिया गया था।
दंपति पर लखनऊ में कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के आरोप में सजा सुनाई गई थी जिस में उन लोगों ने 20 साल की कैद पूरी कर ली थी। राज्य की 2018 की छूट नीति के आधार पर उनकी सजा को माफ किया गया था।
क्या है पूरा मामला
अगस्त 1996 में इलाहाबाद के सिविल लाइंस में सपा के पूर्व विधायक जवाहर यादव उर्फ जवाहर पंडित पर गोलियां चलाई गई थी जिसमें उनकी मौत हो गई थी। इस गोलीबारी में जवाहर पंडित समेत उनके ड्राइवर गुलाब यादव और एक अन्य व्यक्ति की भी मौत हो गई थी।
इलाहाबाद शहर में उस समय ऐसा पहली बार हुआ था जब किसी हत्या में एके-47 का इस्तेमाल किया गया हो। मामले में कपिलमुनि करवरिया, उनके भाई उदयभान करवरिया, सूरजभान करवरिया और उनके रिश्तेदार रामचंद्र उर्फ कल्लू पर आरोप तय किए गए थे।
इसके बाद कई सालों तक केस चलता रहा है और जब उदयभान के खिलाफ वारंट जारी हुआ था तब उसने कोर्ट में साल 2014 में सरेंडर किया था। इस हत्या के आरोप में 4 नवंबर 2019 को कोर्ट ने उदयभान, उनके भाई सूरजभान और कपिलमुनि और उनके चाचा रामचंद्र को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
ऐसे में उदयभान की रिहाई के आदेश में यह कहा गया है कि 30 जुलाई 2023 तक उसने आठ साल, नौ महीने और ग्यारह दिन जेल में बिता लिए हैं और उसके खिलाफ कोर्ट में और कोई मामला लंबित नहीं है, इस बुनियाद पर उसे जेल से रिहा किया जा रहा है।
2018 में कोर्ट ने खारिज किया था दायर याचिका
राज्य सरकार के आदेश में कहा गया है कि उदयभान को एसएसपी व डीएम प्रयागराज के सामने दो जमानतें और उतने ही राशि का निजी मुचलका प्रस्तुत करने पर उसे जेल से रिहा कर दिया जाएगा।
इससे पहले साल 2018 में करवरिया भाईयों पर दर्ज किए गए मुकदमे वापस लेने के लिए राज्य सरकार ने कोर्ट में याचिका भी दायर की थी लेकिन कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था।
कौन है उदयभान
बारा विधानसभा क्षेत्र में उदयभान एक बड़ा नाम है। साल 2002 में भाजपा के तरफ से वे पहले संयोजक बनाकर भेजे गए थे और जैसे ही चुनाव का ऐलान हुआ था उन्हें इस सीट से अधिकृत प्रत्याशी बना दिया गया था।
इस चुनाव में उन्होंने बसपा उम्मीदवार को हराकर पार्टी में अपनी पहचान मजबूत की थी। इसके बाद साल 2007 में भी पार्टी ने उन्हें वहीं से टिकट दिया था और इस बार भी उन्हें जीत हासिल हुई थी जिसके बाद पार्टी द्वारा यह सीट सुरक्षित घोषित कर दी गई थी।
भाजपा ने साल 2012 में भी उन्हें शहर उत्तरी से उम्मीदवार बनाया लेकिन इस बार उन्हें हार मिली थी। पार्टी ने उदयभान की पत्नी नीलम करवरिया को 2017 में मेजा विधानसभा सीट का टिकट दिया था जहां पर नीलम की जीत हुई थी।
इसके बाद भाजपा ने 2022 में भी उसी सीट से उन्हें दोबारा मौका दिया था लेकिन इस बार वे सपा के संदीप सिंह से हार गई थीं।
राजनीतिक और व्यावसायिक दुश्मनी के कारण हुई थी हत्या
बता दें कि करवरिया भाईयों का प्रयागराज, कौशाम्बी और फतेहपुर सहित उसके पड़ोसी क्षेत्रों में रेत खनन उद्योग में काफी प्रभाव और पकड़ है। उनके परिवार की रेत खनन व्यवसाय में मजबूती आज भी बनी हुई है।
उदयभान और उनका परिवार का राजनीतिक दबदबा भी काफी है। जवाहर यादव की हत्या को लेकर यह भी कहा जाता है कि रेत खनन कारोबार में उनके बढ़ते हस्तक्षेप के कारण उनकी हत्या की गई थी। यह हत्या राजनीतिक और व्यावसायिक दुश्मनी के कारण हुई थी।
जवाहर यादव की विधवा ने क्या कहा है
चार बार की विधायक और 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रयागराज की प्रतापपुर सीट से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ने और जीत हासिल करने वाले जवाहर यादव की विधवा विजयमा यादव ने राज्य सरकार के इस आदेश को लेकर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा है कि वे इस आदेश के खिलाफ कोर्ट तक जाएंगी।
विजयमा यादव कहा है कि अगर राज्य सरकार तीन हत्या करने वालों की सजा को माफ कर सकती है तो यह अन्य अपराधियों को भी छोड़ सकती है। उन्होंने ने यह भी कहा है कि आजीवन कारावास की सजा काट रहे तीन हत्या के अपराधियों को इतनी कम सजा काटने के बाद उन्हें रिहा करने से सरकार लोगों को क्या संदेश देना चाहती है।