यूपी के बहराइच में आदमखोर भेड़िए को पकड़ने के लिए वन विभाग ने निकाली नई तरकीब

आमतौर पर भारत में रहने वाले भेड़िए इंसानों पर हमला नहीं करते हैं लेकिन उनके रहने के जगहों के छिन जाने के कारण उनके स्वभाव में यह बदलाव देखा गया है।

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Forest department came up with a new trick colorful teddy bear to catch the man-eating wolf in Bahraich UP

प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो- IANS)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बहराइच में इन दिनों आदमखोर भेड़िए ने आतंक मचा रखा है। भेड़िए के आतंक से ग्रामीण काफी डरे हुए हैं। वन विभाग ने इलाके में से अब तक चार भेड़ियों को पकड़ा है और अभी दो भेड़िए खुले में घूम रहे हैं जिन्हें पकड़ने के लिए जाल बिछाया गया है।

भेड़ियों को पकड़ने के लिए वन विभाग ने एक नई तरकीब लगाई है। उन्हें पकड़ने के लिए रंगीन टेडी बियर का इस्तेमाल किया गया है।

यूपी के बहराइच में भेड़िए के हमले से नौ बच्चे और एक महीला की जान चली गई है। इलाके से आए दिन भेड़िए द्वारा लोगों पर हमला करने की बात सामने आ रही है।

हमले के बढ़ते मामले को देखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भेड़िए को देखते ही उसे मारने का आदेश दिया है। इससे पहले सीएम योगी ने भी मामले का संज्ञान लिया था और इससे जुड़े दिशा-निर्देश जारी किए थे।

वन विभाग ने बनाई नई रणनीति

बहराइच के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) अजीत प्रताप सिंह ने बताया कि भेड़िए अपनी चालाकी के लिए जाने जाते हैं और वे लगातार अपनी जगह बदलते रहते हैं। वे रात में शिकार करते हैं और सुबह तक अपनी गुफा में वापस लौट जाते हैं।

बहराइच में खुले में आजाद घूम रहे दो भेड़िए को पकड़ने के लिए अधिकारियों ने एक नई रणनीति बनाई है।

ग्रामीणों और बच्चों की सुरक्षा के लिए वन विभाग ने भेड़ियों को भ्रमित करने और उन्हें जाल या फिर पिंजरे में ले जाने के लिए रंगीन टेडी बियर का इस्तेमाल किया गया है और उस पर बच्चों के पेशाब को छिड़का गया है।

बच्चों के पेशाब वाले टेडी बियर को एक जाल के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है जिसे भेड़िए बच्चा समझ कर उस पर हमला करे और फिर उसे पकड़ लिया जाए। बच्चों की गंध भेड़िए को आकर्षित करती है और इसका फायदा उठाते हुए यह जाल बिछाया गया है।

इलाके में कई जगहों पर रखा गया है टेडी बियर

इन टेडी बियरों को इलाके के कई जगहों पर रखा गया है और उसकी निगरानी ड्रोन से की जा रही है। टेडी बियरों को नदी के किनारे,  भेड़ियों के आराम करने के जगहों पर और उनके गुफाओं में रखा गया है।

भेड़िए गांव वालों पर और हमले न करे इसलिए उन्हें ग्रामीण इलाकों से दूर रखा जा रहा है। उन्हें रिहायशी इलाकों से दूर करने के लिए आतिशबाजी, शोर और अन्य तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

ब्रिटिश शासन में भी इन्हें मारने की गई थी कोशिश

भारतीय वन सेवा (आईएफएस) के वरिष्ठ अधिकारी रमेश पांडे ने कहा है कि ऐतिहासिक रूप से तराई क्षेत्र भेड़ियों, सियार, लोमड़ियों और घरेलू और जंगली कुत्तों का घर रहा है।

पांडे ने कहा है कि ब्रिटिश शासन में भी इन्हें मारने की कोशिश की गई थी लेकिन उनकी एक बड़ी आबादी अभी भी जिंदा है जो बीच बीच में ग्रामीण इलाकों पर हमला करती रहती है। ये जानवार नदी के किनारे ज्यादा रहते हैं।

बहराइच में भेड़िए का आतंक

17 जुलाई के बाद से लेकर अब तक बहराइच की महसी तहसील में कई भेड़िए हमले देखे गए हैं। इन हमलों में नौ बच्चों की मौत हो गई है और एक महिला की भी जान चली गई है। हमलों में कई ग्रामीण घायल भी हुए हैं और उनका इलाज चल रहा है।

भेड़िए के आतंक से बहराइच के 35 गांव हाई अलर्ट पर हैं। आयुक्त शशिभूषण लाल ने कहा है कि हमले में जान गवाने वाले बच्चों के माता पिता को सरकार ने मुआवजे का भी ऐलान किया है। हर मृत बच्चों के परिवार वालों को पांच लाख का मुआवजा दिया गया है।

सीएम योगी ने क्या कहा है

मामले में बोलते हुए सीएम योगी ने कहा है कि हर हाल में भेड़ियों को पकड़े जाना चाहिए। उन्होंने मामले में आवश्यकता के अनुरूप कदम भी उठाने की बात कही है। पूर्व में दिए गए निर्देशों के अनुसार, प्रशासन, पुलिस, वन विभाग, स्थानीय पंचायत, राजस्व विभाग क्षेत्र में व्यापक जन जागरूकता पैदा करने की भी निर्देश दिया गया है।

सीएम द्वारा वन मंत्री को निर्देशित किया गया है कि वरिष्ठ अधिकारी जनपदों में कैंप लगवाएं। वन विभाग के अतिरिक्त कार्मिकों को बहराइच, सीतापुर, लखीमपुर, पीलीभीत, बिजनौर और अन्य प्रभावित क्षेत्रों में भी भेजे जाने को कहा गया है।

सो रही बच्ची पर भेड़िए ने किया था हमला

इससे पहले महसी इलाके में भेड़िए ने एक बच्ची पर हमला कर दिया था। बच्ची की मां की आंख खुली तो उसने देखा की बच्ची चारपाई पर नहीं थी। उसने शोर मचाया तो ग्रामीण मौके पर पहुंचे।

सभी बच्ची को खोजने के लिए बाहर निकले तो खेत से बच्ची का शव बरामद हुआ। बताया जा रहा है कि जिस कमरे में बच्ची सो रही थी, उस कमरे में दरवाजा नहीं था। ड्रोन के माध्यम से पता चला कि बच्ची का शव एक खेत में पड़ा है। वहां भेड़िया मौजूद नहीं था।

साल 1997 में 42 बच्चों की गई थी जान

इलाके में भेड़ियों के हमलों में तेजी के पीछ कई कारण हो सकते हैं। जिस तरीके से हाल में पर्यावरण में परिवर्तनें देखी गई है खास कर घाघरा नदी में पानी बढ़ा है, इससे  उनके प्राकृतिक आवास पर असर पड़ा है।

इस कारण वे खाने के तलाश में रिहायशी इलाकों की तरफ रुख कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश में भेड़ियों के गंभीर हमलों का इतिहास रहा है। इसमें सबसे घातक हमला साल 1997 में जौनपुर में हुआ था जहां 42 बच्चे मारे गए थे।

पिछले दो दशकों में नहीं देखे गए हैं ऐसे हमलें

बहराइच में भारी संख्या में भेड़िए मौजूद हैं और यह उनका प्रसिद्ध निवास स्थान भी रहा है। लेकिन अभी जिस तरीके से भेड़ियों का यहां हमला बढ़ा है इस तरह के हमले पिछले दो दशकों में भी नहीं देखा गया है।

आमतौर पर भारत में रहने वाले भेड़िए इंसानों पर हमला नहीं करते हैं लेकिन उनके रहने के जगहों के छिन जाने के कारण उनके स्वभाव में यह बदलाव देखा गया है। अध्ययनों से पता चलता है कि स्थानीय कुत्तों के साथ क्रॉसब्रीडिंग के कारण ये भेड़िए इंसानों की आबादी में आसानी से घुलमिल जा रहे हैं।

समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ

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