वक्फ संशोधन विधेयक पर जदयू में इस्तीफों की झड़ी, पांच नेताओं ने छोड़ी पार्टी, क्या आरोप लगाया?

इस्तीफा देने वालों में ताजा नाम नदीम अख्तर का है। उनसे पहले राजू नय्यर, तबरेज सिद्दीकी अलीग, मोहम्मद शहनवाज मलिक और मोहम्मद कासिम अंसारी भी पार्टी छोड़ चुके हैं।

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Photograph: (ग्रोक)

पटना: जनता दल यूनाइटेड (जदयू) में वक्फ (संशोधन) विधेयक पर मतभेद गहराते जा रहे हैं। पार्टी द्वारा इस विधेयक का समर्थन किए जाने के बाद कई नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है। गुरुवार को लोकसभा और शुक्रवार को राज्यसभा में इस विधेयक के पारित होने के बाद से कम पांच नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है।

इस्तीफा देने वालों में ताजा नाम नदीम अख्तर का है। उनसे पहले राजू नय्यर, तबरेज सिद्दीकी अलीग, मोहम्मद शहनवाज मलिक और मोहम्मद कासिम अंसारी भी पार्टी छोड़ चुके हैं। शहनवाज और कासिम ने गुरुवार को इस्तीफा दिया था जबकि नदीम, राजू और तरबेज ने शुक्रवार को पार्टी से नाता तोड़ लिया।

राजू नय्यर ने अपने त्यागपत्र में लिखा, "वक्फ संशोधन विधेयक के समर्थन के बाद मैं जदयू से इस्तीफा दे रहा हूं।" उन्होंने पार्टी के रुख पर गहरा दुख जताया और कहा, "यह एक काला कानून है, जो मुस्लिम समुदाय को दबाने वाला है। मुझे इस बात से गहरी ठेस पहुंची है कि जेडीयू ने इसके पक्ष में मतदान किया।"

राजू ने आगे लिखा, "मैं जदयू युवा के पूर्व प्रदेश सचिव पद और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं। कृपया मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र भेजकर मुझे सभी जिम्मेदारियों से मुक्त किया जाए।"

इस्तीफा देनेवाले JDU नेताओं ने क्या कहा?

इस बीच, तबरेज सिद्दीकी अलीग ने भी राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि जेडीयू ने 'मुस्लिम समुदाय के विश्वास को तोड़ दिया है।'

वहीं, शहनवाज मलिक ने लिखा, 'लाखों भारतीय मुसलमानों को विश्वास था कि जदयू सच्ची धर्मनिरपेक्ष विचारधारा का पालन करता है। लेकिन अब यह भरोसा टूट गया है।'

वक्फ विधेयक पर जदयू के समर्थन पर कासिम अंसारी ने भी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा, यह विधेयक भारतीय मुसलमानों के खिलाफ है और इसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जा सकता। 

उन्होंने आगे कहा, "यह बिल संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। इसके जरिए भारतीय मुसलमानों को अपमानित किया जा रहा है। मुझे अफसोस है कि मैंने इस पार्टी को अपने कई साल दिए।" 

इस्तीफा देनेवाले हमारे नेता ही नहीं थेः जदयू 

एक के बाद एक पार्टी नेताओं के इस्तीफ पर जदूय ने प्रतिक्रिया दी। जदयू के राष्ट्रीय महासचिव राजीव रंजन ने अंसारी और मलिक के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि "यह कौन लोग हैं? पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में इनकी कोई पहचान नहीं रही। ये फर्जी लोग हैं।" 

उन्होंने कहा, मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कह सकता हूं कि ये लोग पार्टी के पदाधिकारी नहीं थे। हालांकि, उन्होंने माना कि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव गुलाम रसूल बल्यावी सहित कुछ अन्य नेताओं को विधेयक पर आपत्ति है, लेकिन उनकी शिकायतें सही मंच पर सुनी जाएंगी।

उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक पूरी तरह पारदर्शी है और इसमें नीतीश कुमार का समर्थन शामिल है, जिससे इसकी निष्पक्षता सुनिश्चित होती है। राजीव रंजन ने आगे कहा कि "हमने जो भी सुझाव दिए थे, वे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में शामिल किए गए। अब यह विधेयक कानून बनने जा रहा है और यह देश के पसमांदा मुसलमानों के लिए खुशखबरी है।"

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जदयू के भीतर और बाहर बढ़ता विरोध

जदयू के वरिष्ठ नेता सैयद अफजल अब्बास और बिहार शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष ने भी विधेयक को लेकर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा कि संयुक्त संसदीय समिति की बैठक में मुस्लिम नेताओं द्वारा दी गई कई अहम सिफारिशों को विधेयक में शामिल नहीं किया गया।

इससे पहले जदयू के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व सांसद अहमद अशफाक करीम, एमएलसी गुलाम गौस और पूर्व एमएलसी गुलाम रसूल बलियावी ने भी पार्टी के वक्फ बिल को समर्थन देने पर नराजगी जाहिर की थी। बलियावी ने कहा कि अब धर्मनिरपेक्ष और सांप्रदायिक में कोई फर्क नहीं रह गया। उन्होंने बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी जाने की बात कही।

हालांकि जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने पार्टी में असंतोष की खबरों को सिरे से खारिज करते हुए इसे "चंदू खाना का गप" करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि राजद सरकार में मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों का हनन हुआ था, जबकि नीतीश कुमार की सरकार ने मंदिरों और कब्रिस्तानों की घेराबंदी कराई और अल्पसंख्यकों के विकास के लिए ठोस कदम उठाए।

नीरज कुमार ने इस्तीफा देने वाले नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा, "ये लोग खुद को जनाधार वाला नेता बताते हैं, लेकिन इनके पास 399 वोट भी नहीं होते।" उन्होंने नीतीश कुमार की नीतियों का समर्थन करते हुए कहा कि उनकी सरकार में अल्पसंख्यकों का जीवन स्तर सुधर रहा है और उन्हें पूरी सुरक्षा दी जा रही है।

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उन्होंने कहा कि जिसे नीतीश कुमार का काम देखना हो, वे अंजुमन इस्लामिया हॉल को देख लें। हमने उसे शीश महल बना दिया है, जबकि लालू यादव ने उसे खंडहर बना दिया था। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार हैं तो सब निश्चिंत हैं।

इस बीच, पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने नीतीश कुमार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा, "नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। उनकी पार्टी में 90 प्रतिशत नेता एसी/एसटी के खिलाफ हैं और भाजपा के साथ मिल चुके हैं। बिहार में मतदान होने के बाद शाम 5 बजे तक भाजपा को नीतीश कुमार की जरूरत नहीं रहेगी। जदयू अब नीतीश कुमार के हाथ में नहीं है।"

बता दें कि विपक्षी दल राजद, कांग्रेस और वाम दल इसे चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में हैं। कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने वक्फ संशोधन बिल 2025 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दे दी है। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उन्होंने अपनी याचिका में विधेयक की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। 

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