फारूक अब्दुल्ला ने आतंकवाद पर पाकिस्तान के बारे में क्या कहा है?

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फारूक अब्दुल्ला ने आतंकवाद पर पाकिस्तान के बारे में क्या कहा है?

श्रीनगर/बारामुलाः नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता फारूक अब्दुल्ला ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर में जारी आतंकवाद और हालिया आतंकी हमलों को लेकर पाकिस्तान पर निशाना साधा। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि पाकिस्तान कश्मीर की शांति और स्थिरता को बाधित करने का प्रयास कर रहा है, जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

फारूक अब्दुल्ला ने कहा, "मैं 1984 से यह आतंकवाद देख रहा हूँ। हर साल हमारे कई साथी शहीद होते हैं, लेकिन आतंकवाद का यह सिलसिला रुकता नहीं है। वे यह सोचते हैं कि इससे कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा बन जाएगा, लेकिन यह उनकी बहुत बड़ी गलतफहमी है। 1947 में कश्मीर के लोगों ने फैसला कर लिया था कि वे भारत का हिस्सा रहेंगे और आज भी यही स्थिति है।"

"आतंकवाद का अंत नहीं हुआ है, बल्कि यह कश्मीर को नुकसान पहुंचा रहा है"

बारामुला में हालिया आतंकी हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि "यह हमला दर्शाता है कि आतंकवाद का जड़ से अंत नहीं हुआ है। पिछले 30 सालों से मासूमों की जान जा रही है। पाकिस्तान की हरकतें हमारे भविष्य को बाधित करने का प्रयास हैं। उन्हें अपने देश के मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए और कश्मीर की आर्थिक स्थिति को कमजोर करने से बचना चाहिए।"

कश्मीर ने 1947 में फैसला कर लिया था, अगर...

वे समझते हैं कि इससे कश्मीर को पाकिस्तान से मिला देंगे। उस गलतफहमी में हैं। कश्मीर ने 1947 में फैसला कर लिया था। वे समझते हैं कि इससे कुछ कर सकेंगे तो वो सिर्फ अपनी बर्बादी और हमारी बर्बादी कर रहे हैं। मुसलमानों की तबाही कर रहे हैं। उन्हें बंद कर नहीं चाहिए। अगर ये बंद नहीं किया तो एक दिन आएगा कि कुछ नहीं बचेगा। अगर वह यही चाहते हैं तो उसके लिए तैयार हो जाएं। उनको देखना चाहिए कि यूक्रेन में क्या हो रहा है। ईरान और फिलिस्तीन में क्या हो रहा है। लेबनान में क्या हो रहा है। वहां सिर्फ बर्बादी हो रही है और वे यही चाहते हैं।

"शांति और स्थिरता के लिए प्रयास जरूरी, नहीं तो समस्याएं बढ़ेंगी"

पूर्व मुख्यमंत्री ने शांति और सौहार्द्र की दिशा में प्रयास करने की अपील की। उन्होंने कहा, "हमें कश्मीर में खून-खराबे को समाप्त करने के लिए ऐसे रास्ते ढूंढने होंगे, जो शांति और स्थिरता की ओर ले जाएं। अगर पाकिस्तान इस पर ध्यान नहीं देता, तो समस्याएं और बढ़ेंगी। मैं उन परिवारों से क्षमा मांगता हूँ जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है या जो इस संघर्ष में घायल हुए हैं।"

"सुरक्षा और प्रशासनिक मुद्दों को नजरअंदाज न करें"

फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा स्थिति और प्रशासनिक स्तर पर संवाद की कमी को भी रेखांकित किया। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों की महत्वपूर्ण बैठकों में अनुपस्थिति पर सवाल उठाए और कहा कि इन विषयों पर विधानसभा में चर्चा होनी चाहिए।

उन्होंने कहा आगे कहा कि “कुल मिलाकर, यह संवाद कश्मीर की स्थिति, आतंकवाद और राजनीतिक चुनौतियों पर एक गहरी सोच की जरूरत को दर्शाता है। पाकिस्तान को यह समझना होगा कि कश्मीर की शांति और सुरक्षा से छेड़छाड़ किसी भी पक्ष के हित में नहीं है।”

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