नई दिल्लीः कानून मंत्रालय ने भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ के खिलाफ की गई शिकायत को आगे की कार्रवाई के लिए भेज दिया है। ये शिकायत पूर्व जज राकेश कुमार ने की है। वह खुद भी पटना हाई कोर्ट और आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के जज रह चुके हैं। अब उनकी शिकायत पर कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग जांच करेगा।

जस्टिस राकेश कुमार ने 8 नवंबर 2024 को भारत के राष्ट्रपति के समक्ष एक शिकायत दायर की थी। इसमें उन्होंने पूर्व सीजेआई द्वारा 'अनुचित आचरण' और पद के ‘संभावित दुरुपयोग’ के बारे में जांच की मांग की थी। 

तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका

दरअसल, सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए 1 जुलाई, 2023 को सुप्रीम कोर्ट की गर्मियों की छुट्टियों के दौरान दो अलग-अलग बेंचों का गठन किया गया था। जस्टिस राकेश कुमार ने अपनी शिकायत में मांग की है कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17 ए के तहत केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) इस मामले में 'पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ की भूमिका' की जांच करे।  

अपने पत्र में जस्टिस राकेश कुमार ने तर्क दिया कि ये काम गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे एक आरोपी को ‘अनुचित लाभ’ पहुंचाने के इरादे से सत्ता का दुरुपयोग है। उन्होंने दावा किया कि सीतलवाड़ पर गंभीर अपराधों का आरोप है जिसमें गुजरात सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को फंसाने के कथित उद्देश्य से सबूतों को गढ़ना और गवाहों को मजबूर करना शामिल है। 

शिकायत में जस्टिस राकेश कुमार ने बताया कि सीतलवाड की जमानत को सेशन कोर्ट और उसके बाद गुजरात हाई कोर्ट ने 1 जुलाई 2023 को खारिज कर दिया था। हालांकि, उसी दिन उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन दाखिल कर दी।

शिकायत पत्र में क्या लिखा था?

पत्र के अनुसार, उनकी याचिका पर सुनवाई के लिए उसी दिन एक स्पेशल बेंच का गठन किया गया। लेकिन बेंच के सदस्य अंतरिम राहत देने पर सहमत नहीं हो सके। नतीजतन, मामले को बड़ी बेंच को भेज दिया गया।

जस्टिस राकेश कुमार की मुख्य आपत्ति इसके बाद की घटनाओं को लेकर है। उन्होंने कहा कि आश्चर्यजनक रूप से उसी दिन, यानी 1 जुलाई 2023 की शाम को डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ ने भारत के माननीय ‘मुख्य न्यायाधीश की कुर्सी का दुरुपयोग’ करते हुए ‘अनुचित तरीके’ से एक बड़ी बेंच का गठन किया। 

उनका दावा है कि पूर्व सीजेआई उस समय एक सांस्कृतिक कार्यक्रम (भरतनाट्यम) का आनंद ले रहे थे और न तो कोर्ट परिसर में थे और न ही भारत के मुख्य न्यायाधीश के आधिकारिक आवास में। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी चिंता जमानत देने के न्यायिक निर्णय से नहीं है बल्कि उस प्रक्रिया से है जिसके तहत मामले को संभाला गया।

उन्होंने आरोप लगाया कि जिस जल्दबाजी और अनियमितता के साथ बेंचों का गठन किया गया, वह 'कुछ बाहरी विचार' का संकेत देता है। उन्होंने आगे लिखा कि सुप्रीम कोर्ट 1 जुलाई 2023 को शनिवार होने के कारण 3 जुलाई को कोर्ट के निर्धारित पुनः खुलने से पहले अंतिम कार्य दिवस था।

जस्टिस कुमार ने दिया सुझाव

न्यायमूर्ति कुमार ने यह भी सुझाव दिया कि यह आचरण भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध हो सकता है। उन्होंने लिखा,

अगर इन तथ्यों की गहराई से जांच की जाए तो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7(सी) के तहत अपराध करने में डॉ. डीवाई चंद्रचूड़ की संलिप्तता की पूरी संभावना है।

जस्टिस राकेश कुमार की इसी शिकायत पर अब कानून मंत्रालय के न्याय विभाग ने 5 मार्च, 2025 को कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को अग्रेषित किया। जिसमें कहा गया कि यह शिकायत उन्हें गृह मंत्रालय के माध्यम से 6 फरवरी, 2025 को प्राप्त हुई थी।

बताते चलें कि जस्टिस राकेश कुमार को दिसंबर 2009 में पटना हाई कोर्ट के जज के रूप में पदोन्नत किया गया और नवंबर 2019 में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया था। जहां से वे 31 दिसंबर, 2020 को सेवानिवृत्त हुए। उन्हें 17 मई, 2022 को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) के न्यायिक सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया और उन्होंने अक्टूबर 2023 में पद से इस्तीफा दे दिया।