उमर अब्दुल्ला को जेल में रहकर चुनाव लड़ते हुए इंजीनियर राशिद ने दी मात, पंजाब में अमृतपाल सिंह की भी हुई जीत

इंजीनियर रशीद की तरह खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह भी जेल में बंद हैं। दोनों ने जेल से ही लोकसभा चुनाव लड़ा था और अच्छी बढ़त के साथ आगे बढ़ रहे हैं। \r\n

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Engineer Rashid defeated nc leader Omar Abdullah while contesting elections while in jail Amritpal Singh got big lead in Punjab

इंजीनियर राशिद और अमृतपाल सिंह (फाइल फोटो: IANS)

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को लोकसभा चुनाव में अपनी-अपनी हार स्वीकार कर ली। उत्तरी कश्मीर के बारामूला निर्वाचन क्षेत्र से नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला चुनाव लड़ रहे थे।

इस चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार इंजीनियर रशीद करीब ढाई लाख वोटों (दोपहर एक बजे के आंकड़ों के अनुसार) से आगे चल रहे हैं। हालांकि अभी चुनाव के नतीजे घोषित नहीं हुए हैं लेकिन उमर अबदुल्ला ने अपनी हार स्वीकार कर लिया है।

जेल में बंद है दोनों उम्मीदवार

बता दें कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला के खिलाफ अच्छी बढ़त बनाने वाले नेता इंजीनियर रशीद फिलहाल अभी जेल में बंद है। उस पर आतंकी फंडिंग के आरोप लगे हैं और वह जेल से ही चुनाव लड़ा था। उधर जेल में बंद ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह जो सुबह से आगे चल रहे थे, उन्होंने इस सीट को जीत लिया है।

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने भी अपना हार स्वीकर कर लिया है। वे अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रही थी और उन्हें जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के एनसी नेता मियां अल्ताफ से हार का सामना करना पड़ा है।

निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था इंजीनियर रशीद

उत्तरी कश्मीर के बारामूला से उम्मीदवार इंजीनियर रशीद का असली नाम शेख अब्दुल रशीद है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा दायर किए गए एक मामले में शामिल होने के बाद साल 2019 में इंजीनियर रशीद को गिरफ्तार किया गया था।

उस पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज हुआ है। जेल से चुनाव लड़ रहे इंजीनियर रशीद के दो बेटों ने चुनाव प्रचार किया था जिस कारण उन्हें जनता का महत्वपूर्ण समर्थन मिला है।

इंजीनियर रशीद अवामी इत्तेहाद पार्टी के प्रमुख हैं। वे दो बार विधायक भी रह चुके हैं। उन्होंने 2008 और 2014 में लंगेट विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की थी लेकिन 2019 के संसदीय चुनावों में वे हार गए थे। बारामूला सीट से कुल 22 उम्मीदवार मैदान में थे।

इन उम्मीदवारों में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के फैयाज अहमद मीर और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन भी शामिल हैं। मुख्यधारा की राजनीति में शामिल होने से पहले इंजीनियर रशीद मारे गए हुर्रियत नेता और जेकेपीसी के संस्थापक सज्जाद लोन के पिता अब्दुल गनी लोन के करीबी सहयोगी थे।

अपनी हार पर क्या बोले उमर अबदुल्ला और महबूबा मुफ़्ती

चुनाव में अपनी हार को स्वीकारते हुए उमर अबदुल्ला ने कहा कि "मुझे लगता है कि यह अपरिहार्य को स्वीकार करने का समय है। उत्तरी कश्मीर में जीत के लिए इंजीनियर राशिद को बधाई। मुझे नहीं लगता कि उनकी जीत से उन्हें जेल से जल्दी रिहाई मिलेगी और न ही उत्तरी कश्मीर के लोगों को वह प्रतिनिधित्व मिलेगा जिसका उन्हें अधिकार है, लेकिन मतदाताओं ने अपनी बात कह दी है और लोकतंत्र में यही सबसे ज़्यादा मायने रखता है।"

उमर अब्दुल्ला ने अपनी पार्टी के अन्य उम्मीदवारों को बधाई देते हुए कहा, "रहुल्लाह मेहदी और मियां अल्ताफ सागहब को मेरी हार्दिक बधाई। मुझे दुख है कि मैं लोकसभा में उनके साथ नहीं रहूंगा लेकिन मुझे उम्मीद है कि वे जम्मू कश्मीर के लोगों का प्रतिनिधित्व अच्छी तरह से करेंगे।"

महबूबा मुफ़्ती ने अपने एक्स-पोस्ट में लिखा, "लोगों के फ़ैसले का सम्मान करते हुए मैं अपने पीडीपी कार्यकर्ताओं और नेताओं को तमाम मुश्किलों के बावजूद उनकी कड़ी मेहनत और समर्थन के लिए धन्यवाद देती हूं। मुझे वोट देने वाले लोगों के प्रति मेरी हार्दिक कृतज्ञता। हारना-जीतना खेल का हिस्सा है और यह हमें हमारे रास्ते से नहीं हटा सकता।"

पंजाब में अमृतपाल सिंह को भी मिली जीत

इंजीनियर रशीद की तरह खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह ने भी सुबह से अच्छी बढ़त बनाई थी और अब जीत हासिल कर लिया है। अमृतपाल सिंह पंजाब की खडूर साहिब लोकसभा सीट चुनाव लड़ रहा है।

इस सीट से अमृतपाल ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और उसने न केवल कांग्रेस उम्मीदवार कुलबीर सिंह जीरा को बल्कि शिरोमणी अकाली दल के उम्मीदवार को भी अच्छी टक्कर दी है। शिरोमणी अकाली दल ने इस सीट से इस बार विरसा सिंह वल्टोहा को टिकट दिया था।

अमृतपाल सिंह इस वक्त जेल में हैं। चुनाव लड़ने के लिए उसका पर्चा उसके चाचा ने भरा था। उस पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) लगा हुआ है और वह असम की डिब्रूगढ़ जेल में बंद है।

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