नई दिल्लीः तेलंगाना सरकार ने रमजान के दौरान मुस्लिम कर्मचारियों को एक घंटे पहले ऑफिस से निकलने की इजाजत दी है। सरकार के इस फैसले पर सियासत शुरू हो गई है। भाजपा नेता तरुण चुघ ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के अंदर सिर्फ तुष्टिकरण भरा हुआ है।
भाजपा नेता तरुण चुघ ने मंगलवार को मीडिया से बात करते हुए कहा, "कांग्रेस में तुष्टिकरण और वोटबैंक की राजनीति भरी हुई है। मैं सीएम रेवंत रेड्डी से पूछना चाहता हूं कि वह नवरात्र, गणेश पूजन, शिवरात्रि और बुद्ध पूर्णिमा क्यों भूल जाते हैं। वह सिर्फ वोटबैंक और तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं।"
छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टी.एस. सिंहदेव ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि इस आदेश में कोई हर्ज नहीं है। सभी धर्म के जो प्रमुख त्योहार हैं, उन दिनों उस धर्म के मानने वालों के लिए ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए कि वे अपने धर्म के पालन के लिए उपलब्ध हों। किसी एक धर्म के लिए ऐसा नहीं होना चाहिए, बल्कि सभी धर्मों के लिए ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए।
तेलंगाना की मुख्य सचिव शांति कुमारी ने एक आदेश जारी किया है। आदेश के मुताबिक, तेलंगाना में मुस्लिम कर्मचारियों को रमजान के महीने के दौरान एक घंटे पहले निकलने की छूट होगी। यह छूट 2 मार्च से 31 मार्च 2025 तक लागू रहेगी। सरकारी कर्मचारियों के साथ-साथ यह आदेश कॉन्ट्रैक्ट, आउटसोर्सिंग, बोर्ड और पब्लिक सेक्टर के मुस्लिम कर्मचारियों पर भी लागू होगा।
इससे पहले भाजपा विधायक राजा सिंह ने इस आदेश पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा कि रेवंत रेड्डी की सरकार ने मुस्लिम कर्मचारियों को रमजान के दौरान जल्दी छुट्टी देने की इजाजत तो दे दी, लेकिन हिंदू त्योहारों को नजरअंदाज कर दिया है। सभी के लिए समान अधिकार, या फिर कुछ नहीं।
फैसले का कांग्रेस और 'एआईएमआईएम' ने किया स्वागत
तेलंगाना सरकार के रमजान के महीने में मुस्लिम कर्मचारियों को एक घंटा पहले काम से छुट्टी देने के फैसले पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। भाजपा ने इसे तुष्टिकरण की नई चाल बताया, जबकि अन्य कई पार्टियों ने इस कदम का स्वागत किया और मांग की कि पूरे देश में इसी तरह के उपाय लागू किए जाएं।
महाराष्ट्र कांग्रेस के विधायक अमीन पटेल ने भी तेलंगाना सरकार के इस कदम का स्वागत किया और अपील की कि इस तरह की व्यवस्था पूरे देश में सभी धर्मों के लिए लागू की जानी चाहिए। रमजान मुस्लिम समुदाय के लिए एक पवित्र महीना है। उन्होंने कहा कि यह पहल महत्वपूर्ण है और इसे पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए।
एआईएमआईएम नेता वारिस पठान ने भी इस फैसले का बचाव करते हुए भाजपा के विरोध की आलोचना की। उन्होंने कहा, "मुसलमानों के लिए अपना उपवास तोड़ने के लिए सिर्फ एक घंटा है और भाजपा इस पर हंगामा कर रही है। उन्हें सिर्फ एक घंटा देने में क्या समस्या है? यह नफरत और असहिष्णुता का एक उदाहरण है।"
जहां एक ओर कांग्रेस और एआईएमआईएम ने इस कदम की सराहना की है, वहीं भाजपा ने कांग्रेस के नेतृत्व वाली तेलंगाना सरकार पर "तुष्टिकरण की राजनीति" करने का आरोप लगाते हुए इसकी आलोचना की है।
भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इस फैसले को 'टोकनवाद' करार देते हुए तर्क दिया कि नवरात्र या अन्य धार्मिक आयोजनों के दौरान हिंदुओं के लिए इस तरह के विचार कभी नहीं दिए गए।
बता दें कि काम के घंटों में छूट 2 मार्च से शुरू होगी और 31 मार्च तक चलेगी। एक महीने तक चलने वाले रमजान के दौरान, मुसलमान सुबह से शाम तक उपवास रखते हैं। धार्मिक प्रथा के तहत, वे दिन के समय खाने या पानी पीने से परहेज करते हैं। दिन के अंत में प्रार्थना और 'इफ्तार' नामक उत्सवी भोजन के साथ उपवास तोड़ा जाता है। इफ्तार के बाद परिवार और दोस्तों से मिलने की है।
(यह खबर समाचार एजेंसी आईएएनएस फीड द्वारा प्रकाशित है। शीर्षक बोले भारत डेस्क द्वारा दिया गया है)