नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो अमेरिकी उद्योगपति एलन मस्क के स्वामित्व वाली स्पेसएक्स की मदद से अपना संचार उपग्रह लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार है। अगले हफ्ते, स्पेसएक्स का फाल्कन 9 रॉकेट भारत के सबसे आधुनिक संचार उपग्रह जीसैट-20 (जिसे GSAT-N2 भी कहा जाता है) को कक्षा में स्थापित करेगा। इस भारतीय उपग्रह को अमेरिका के केप कैनावेरल से लॉन्च किया जाएगा जिसपर करीब 60-70 मिलियन डॉलर खर्च होने का अनुमान है।
यह इसरो और स्पेसएक्स के बीच कई व्यावसायिक साझेदारियों की शुरुआत है। हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि इसरो और स्पेसएक्स कम लागत वाले प्रक्षेपण के लिए प्रतिस्पर्धी हैं, लेकिन वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में स्पेसएक्स कहीं आगे है।
4,700 किलोग्राम वजनी है जीसैट-एन2 उपग्रह
भारत का 4,700 किलोग्राम वजनी जीसैट-एन2 उपग्रह इसरो ने बनाया है। यह इतना भारी है कि इसे भारतीय रॉकेट नहीं उठा सकते थे। भारत के ‘बाहुबली’ लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (एलवीएम-3) की अधिकतम क्षमता 4,000-4,100 किलोग्राम है। इसलिए इसे अमेरिका के केप कैनवेरल से प्रक्षेपित किया जा रहा है।
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उपग्रह में 32 उपयोगकर्ता बीम हैं, जिसमें उत्तर-पूर्वी क्षेत्र पर आठ संकीर्ण स्पॉट बीम और बाकी भारत पर 24 विस्तृत स्पॉट बीम शामिल हैं। इन 32 बीमों को मुख्य भूमि भारत में स्थित हब स्टेशनों द्वारा समर्थन प्रदान किया जाएगा। यह इन-फ्लाइट इंटरनेट कनेक्टिविटी को भी सक्षम करेगा।
अब तक, भारत अपने भारी उपग्रहों को प्रक्षेपित करने के लिए यूरोपीय एरियनस्पेस पर निर्भर था। लेकिन वर्तमान में उसके पास कोई सक्रिय रॉकेट नहीं है। चीनी रॉकेट सुरक्षा कारणों से और रूस के रॉकेट यूक्रेन युद्ध के कारण उपलब्ध नहीं हैं।
स्पेसएक्स के साथ साझेदारी
इसरो की व्यावसायिक शाखा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (एनएसआईएल) के चेयरमैन राधाकृष्णन दुरईराज ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि “इस भारी उपग्रह के लिए स्पेसएक्स के साथ यह सौदा तकनीकी और आर्थिक रूप से हमारे लिए लाभकारी है।” यह उपग्रह 14 साल तक काम करेगा और भारत के पूर्वोत्तर और अन्य हिस्सों में इंटरनेट और संचार सेवाओं को मजबूत करेगा। राधाकृष्णन ने बताया कि यह एक पूरी तरह से व्यावसायिक प्रक्षेपण है, जिसे एनएसआईएल के माध्यम से किया जा रहा है।
भारत में इन-फ्लाइट इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी होगी दूर
बेंगलुरु स्थित यूआर राव सैटेलाइट सेंटर के निदेशक डॉ. एम. शंकरन के मुताबिक, जब यह स्वदेशी उपग्रह परिचालन में आ जाएगा तो यह विश्व इंटरनेट मानचित्र पर भारत में मौजूद इन-फ्लाइट इंटरनेट कनेक्टिविटी की बड़ी कमी को दूर कर देगा। उन्होंने आगे कहा कि, “यह भारत का सबसे अधिक क्षमता वाला उपग्रह है और एकमात्र ऐसा उपग्रह है जो बहुप्रतीक्षित का-बैंड में विशेष रूप से काम करता है।”
मौजूदा समय में जब अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें भारतीय वायु क्षेत्र में प्रवेश करती हैं, तो उन्हें इंटरनेट बंद करना पड़ता है क्योंकि भारत इस सेवा की अनुमति नहीं देता है। लेकिन, हाल ही में भारत ने उड़ान के दौरान देश में इंटरनेट की सुविधा देने के लिए नियमों में संशोधन किया है।
नए नियमों के अनुसार, तीन हजार मीटर से अधिक की ऊंचाई पर विमान के अंदर वाई-फाई सेवाएं प्रदान की जा सकती हैं। हालांकि यात्री इन सेवाओं का उपयोग तभी कर पाएंगे जब विमान में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग की अनुमति होगी।
एलन मस्क की भारत में रुचि
एलन मस्क ने जून 2023 में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के दौरान कहा था, “भारत में अपार संभावनाएं हैं। मोदीजी भारत के विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं और मैं उनका प्रशंसक हूं।” उन्होंने भारत में अपनी स्टारलिंक सेवाएं शुरू करने के लिए लाइसेंस मांगा है। हालांकि, दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि सुरक्षा मानकों का पालन करने के बाद ही लाइसेंस दिया जाएगा।
अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत-अमेरिका सहयोग
भारत ने अमेरिका की Axiom Space कंपनी के साथ एक और समझौता किया है, जिसके तहत एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को स्पेसएक्स के फाल्कन 9 और क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) भेजा जाएगा। यह मिशन लगभग 60 मिलियन डॉलर का होगा। इसरो और स्पेसएक्स के बीच यह सहयोग भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को वैश्विक स्तर पर और मजबूत करेगा।