बिहार में वोटर लिस्ट से चुनाव आयोग काटेगा कम से कम 35 लाख नाम, क्या वजह आई सामने?

चुनाव आयोग ने बताया है कि पिछली सूची में शामिल 7.89 करोड़ नामों में से 88.18% (6.6 करोड़) मतदाताओं ने अपने फॉर्म जमा कर दिए हैं। पूरी प्रक्रिया 25 जुलाई तक चलेगी।

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Photograph: (Wikimedia)

पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले चल रहे वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के बीच बड़ा अपडेट सामने आया है। निर्वाचन आयोग (EC) ने कहा है कि अब तक एकत्रित विवरण के मुताबिक बिहार में मतदाता सूची के प्रारूप के प्रकाशन के समय कम से कम 35 लाख नाम वोटर लिस्ट से बाहर हो जाएंगे।

ऐसा इसलिए है क्योंकि कुछ लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, कुछ मतदाता हमेशा के लिए बिहार से बाहर चले गए हैं। इसके अलावा कुछ लोगों के नाम मतदाता सूची में अलग-अलग जगहों पर दो बार दर्ज हैं। चुनाव आयोग ने कहा कि पिछली सूची में शामिल 7.89 करोड़ नामों में से 88.18% (6.6 करोड़) मतदाताओं ने अपने फॉर्म जमा कर दिए हैं। इस लिहाज से अब केवल 11.82 प्रतिशत लोगों को अपना फॉर्म जमा करना बाकी रह गया है। यह पूरी प्रक्रिया 25 जुलाई तक चलनी है। 

चुनाव आयोग इसके बाद एक नई वोटर लिस्ट जारी करेगा। हालांकि, इस पूरी प्रक्रिया को लेकर बिहार में राजनीति भी तेज है। विपक्ष लगातार इस पर सवाल खड़े कर रहा है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच चुका है, जहां इस पर सुनवाई हो रही है। बिहार में विधानसभा चुनाव इस साल के आखिर में अक्टूबर-नवंबर में होने हैं।

मतदाता सूची से कौन से नाम हटेंगे, क्या आंकड़ा सामने आया?

चुनाव आयोग की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार लगभग 12.5 लाख मतदाता ऐसे हैं, जिनकी मौत हो चुकी है। यह वोटर लिस्ट में कुल शामिल नामों का 1.59% है। इसके अलावा 17.5 लाख मतदाता (करीब 2.2%) बिहार से हमेशा के लिए बाहर चले गए हैं। वहीं, 5.5 लाख मतदाता (0.73%) ऐसे हैं जिनके नाम दो बार दर्ज हैं। 

यह सबकुछ मिलाकर करीब 35.5 लाख हो जाता है जो कि कुल मतदाताओं का 4.5% है। चुनाव आयोग ने यह भी बताया है कि कई विदेशी नागरिकों के भी नाम मतदाता सूची में मिले हैं। इसमें ज्यादातर नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देश के लोग शामिल हैं। इनके भी नाम हटा दिए जाएंगे।

25 जुलाई के बाद भी रहेगा मतदाताओं के लिए मौका

निर्वाचन आयोग ने पहले ही कहा है कि मसौदा मतदाता सूची 1 अगस्त को प्रकाशित की जाएगी। जिन नामों के लिए 25 जुलाई से पहले फॉर्म जमा नहीं किया गया है, वे मसौदा सूची में शामिल नहीं होंगे। वहीं, जो मतदाता 25 जुलाई की समय सीमा से किसी वजह से चूक जाते हैं, तो वे इसके बाद फॉर्म 6 और घोषणा पत्र के साथ आवेदन कर सकते हैं। 

बूथ-स्तरीय एजेंट (बीएलए) ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद भी प्रतिदिन अधिकतम 10 फॉर्म जमा कर सकते हैं। अंतिम और फाइलन मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी। 

बताते चलें कि यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में भी लाया गया है। मामले में 10 से ज्यादा याचिकाएँ दायर की गई हैं। इनमें प्रमुख याचिकाकर्ता एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की एक याचिका भी शामिल थी। पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को बिहार में मतदाता सूची की विशेष जाँच जारी रखने की अनुमति दी थी और इसे 'संवैधानिक आदेश' बताया। साथ ही, कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा था कि वह इस प्रक्रिया के दौरान मतदाताओं की पहचान के लिए आधार, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड को भी वैध दस्तावेज मानने पर विचार करे।

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