सुप्रीम कोर्ट के सख्त रवैये के बाद चुनाव आयोग बिहार SIR में हटाए गए 65 लाख नामों की सूची साझा करने को तैयार

बिहार एसआईआर में नाम हटाए जाने वाले नामों की सूची साझा करने को लेकर चुनाव आयोग सहमत हुआ है। सुप्रीम कोर्ट की कड़ी पूछताछ के बाद चुनाव आयोग इसके लिए सहमत हुआ है।

election commission agrees to share name of deleted voters in bihar sir after supreme court grilling

बिहार एसआईआर में हटाए गए नामों की सूची जारी करेगा चुनाव आयोग Photograph: (बोले भारत डेस्क)

नई दिल्लीः चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह "राजनैतिक दलों के संघर्ष के बीच फंस गया है।" बिहार विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की याचिका पर सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने यह टिप्पणी की है।  

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से राज्य की मतदाता सूची से हटाए गए नामों की जानकारी साझा करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट की कड़ी पूछताछ के बाद चुनाव आयोग इसके लिए राजी हुआ।

चुनाव आयोग ने क्या कहा?

सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कहा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) अच्छी हैं यदि राजनैतिक पार्टी जीतती है लेकिन यदि पार्टी चुनाव हारती है तो वे अचानक से बुरी हो जाती हैं। चुनाव आयोग ने ये दलीलें जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाला बागची की पीठ के समक्ष दिया। पीठ ने चुनाव आयोग के 24 जून के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई फिर से शुरू की।

चुनाव आयोग ने सुनवाई के दौरान कहा "राजनैतिक दलों के संघर्ष के बीच फंस गया हूं, यदि वे जीतते हैं तो ईवीएम अच्छी है और यदि हारते हैं तो ईवीएम बुरी है।"

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा "आप उन लोगों के नाम क्यों बता सकते" जिनकी मौत हो गई, चले गए या किसी दूसरी विधानसभा में चले गए? चुनाव आयोग के मुताबिक, राज्य में राजनैतिक पार्टियों को ऐसे नाम पहले ही दिए गए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

"आप इन नामों को डिस्प्ले बोर्ड या वेबसाइट पर क्यों नहीं लगा सकते? पीड़ित लोग 30 दिनों के भीतर सुधारात्मक उपाय कर सकते हैं।" सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान यह भी कहा कि वह यह नहीं चाहता कि नागरिक राजनैतिक दलों पर निर्भर रहे।  

सुप्रीम कोर्ट की कड़ी पूछताछ के बाद चुनाव आयोग बिहार एसआईआर में हटाए गए लोगों की सूची जारी करने को सहमत हुआ है।

गौरतलब है कि बिहार में एसआईआर को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और अन्य कई सामाजिक संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। 

इससे पहले 13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मतदाता सूची स्थिर नहीं रह सकती, उनमें संशोधन होना ही है। 

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