नागपुरः विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के आठ कार्यकर्ताओं ने कोतवाली पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इसके बाद उन्हें जमानत दे दी गई।
इस दौरान नागपुर के भलदारपुरा क्षेत्र में पुलिस का अभियान जारी है।
नागपुर में हुए सांप्रदायिक तनाव और हिंसा की सीएम फड़नवीस ने आलोचना की है। फड़नवीस ने विधानसभा सत्र में बोलते हुए कहा कि जिन लोगों ने पुलिस पर हमला किया है, उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा। ऐसे लोगों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी।
इंडियन एक्सप्रेस ने डीसीपी जोन-2 राहुल मदनी के हवाले से लिखा है कि अब तक छह संदिग्ध लोगों की पहचान कर उन्हें पुलिस कस्टडी में लिया गया है। अधिकारियों ने हाल की झड़पों के दौरान कथित तौर पर पत्थरबाजी में शामिल युवाओं से जुड़े कई घरों की भी पहचान की है। आगे की जांच के बाद यह तय किया जाएगा कि उन्हें रिहा किया जाएगा या अतिरिक्त पूछताछ की जाएगी।
कैसे बढ़ा मामला?
विश्व हिंदू परिषद ने औरंगजेब की कब्र हटाने को लेकर 17 मार्च को विभिन्न सरकारी कार्यालयों के बाहर आंदोलन किया था। इस सिलसिले में ज्ञापन भी सौंपा था।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस को सौंपे गए ज्ञापन में विश्व हिंदू परिषद ने लिखा था कि औरंगजेब ने सिख गुरू गुरू गोबिंद सिंह के दो पुत्रों की हत्या की क्योंकि उन्होंने धर्म परिवर्तन करने से मना किया था। इसके बाद उन्हें सताया गया और फिर मार दिया गया। इसके साथ ही उसने मराठा योद्धा राजा छत्रपति संभाजी महाराज ने काशी, मथुरा और सोमनाथ में मंदिरों को ध्वस्त कर दिया।
नागपुर में हुई इस घटना के विषय में सीएम देवेंद्र फड़नवीस ने दावा किया कि ये हिंसा पूर्व नियोजित थी। इसके साथ ही उन्होंने फिल्म छावा के बाद लोगों की बढ़ी हुई भावनाओं को भी जिम्मेदार ठहराया जिसमें संभाजी महाराज के खिलाफ औरंगजेब द्वारा किए गए क्रूर अत्याचारों को दर्शाया गया था।
इससे पहले 17 मार्च को उन्होंने कहा था कि सरकार औरंगजेब की कब्र की रक्षा करने के लिए बाध्य है क्योंकि यह एक संरक्षित स्थल है। लेकिन यह महिमामंडन के माध्यम से उनकी विरासत को महिमामंडित करने के प्रयासों को अनुमित नहीं देगी।