'शिक्षा प्रणाली का भारतीयकरण हो रहा है', NEP को लेकर सोनिया गांधी के आरोपों पर बोले सीएम फड़नवीस

सोनिया गांधी ने अपने लेख में केंद्र की मोदी सरकार पर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के जरिए देश की शिक्षा प्रणाली को कमजोर करने का आरोप लगाया है। उनके अनुसार, सरकार की "केंद्रीकरण, व्यवसायीकरण और सांप्रदायिकता" की नीति भारतीय शिक्षा के लिए हानिकारक साबित हो रही है।

सोनिया गांधी का नई शिक्षा नीति पर लेख, देवेंद्र फड़नवीस का सोनिया गांधी को जवाब, नई शिक्षा नीति विवाद, तमिलनाडु बनाम केंद्र सरकार, हिंदी थोपना का आरोप, सोनिया गांधी ने एनईपी पर क्या कहा,

सोनिया गांधी और मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस। Photograph: (ग्रोक)

नई दिल्ली: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को लेकर भाजपा और कांग्रेस के बीच विवाद तेज हो गया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने सोमवार को नीति की सराहना करते हुए इसे "भारत की शिक्षा प्रणाली का भारतीयकरण" बताया। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश शासन के दौरान लागू लॉर्ड मैकाले की शिक्षा व्यवस्था को बदलकर  भारतीय मूल्यों पर आधारित शिक्षा को बढ़ावा दिया जा रहा है।

सीएम फड़नवीस का यह बयान कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) की अध्यक्ष सोनिया गांधी की आलोचना के बाद आया, जिन्होंने दैनिक अखबार द हिंदू में प्रकाशित अपने लेख में केंद्र सरकार पर 'केन्द्रीयकरण, व्यवसायीकरण और सांप्रदायिकरण' के एजेंडे को लागू करने का आरोप लगाया है।

'भारतीयकरण से किसी देशभक्त को समस्या नहीं होनी चाहिए'

नागपुर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, मुख्यमंत्री फड़नवीस ने कहा कि सोनिया गांधी को नई शिक्षा नीति के बारे में अधिक जानकारी लेनी चाहिए और शिक्षा प्रणाली के भारतीयकरण का समर्थन करना चाहिए।

उन्होंने कहा, "अगर लॉर्ड मैकाले द्वारा लागू की गई शिक्षा नीति, जिसका उद्देश्य हमें मानसिक रूप से गुलाम बनाना था, उसे बदला जा रहा है और भारतीयकरण किया जा रहा है, तो इससे किसी को भी समस्या नहीं होनी चाहिए। कोई भी देशभक्त इसका समर्थन करेगा। मुझे लगता है कि सोनिया गांधी जी को इसके बारे में अधिक जानकारी लेनी चाहिए और भारतीय शिक्षा प्रणाली के भारतीयकरण का पूर्ण समर्थन करना चाहिए।"

सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर क्या आरोप लगाए हैं?

सोनिया गांधी ने अपने लेख में केंद्र की मोदी सरकार पर नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के जरिए देश की शिक्षा प्रणाली को कमजोर करने का आरोप लगाया है। उनके अनुसार, सरकार की "केंद्रीकरण, व्यवसायीकरण और सांप्रदायिकता" की नीति भारतीय शिक्षा के लिए हानिकारक साबित हो रही है।

अपने लेख में सोनिया गांधी ने केंद्र पर राज्य सरकारों को दरकिनार करने और शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत मिलने वाले अनुदान को रोकने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पीएम-श्री योजना को लागू करने के लिए राज्यों को मजबूर किया जा रहा है और सरकार राज्यों से परामर्श करने में विफल रही है।

सोनिया गांधी ने शिक्षा के व्यवसायीकरण को लेकर भी केंद्र सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से 89,441 सरकारी स्कूल बंद कर दिए गए, जबकि 42,944 निजी स्कूल खोले गए, जिससे गरीब छात्रों को महंगी शिक्षा प्रणाली के हवाले कर दिया गया। उन्होंने उच्च शिक्षा में एचईएफए प्रणाली के तहत विश्वविद्यालयों को ब्याज दरों पर कर्ज लेने के लिए मजबूर करने और छात्रों पर फीस वृद्धि का बोझ डालने की भी आलोचना की।

उन्होंने शिक्षा के सांप्रदायिकरण का आरोप लगाते हुए कहा कि एनसीईआरटी की किताबों से गांधी की हत्या और मुगल इतिहास के हिस्से हटाए गए। इसके अलावा, विश्वविद्यालयों में सरकार समर्थित विचारधारा वाले शिक्षाविदों की नियुक्ति को लेकर भी सवाल उठाए।

भाजपा ने कांग्रेस पर पाखंड का लगाया आरोप

भाजपा ने सोनिया गांधी के आरोपों को खारिज करते हुए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को समावेशी और आधुनिक शिक्षा प्रणाली का आधार बताया है। सोनिया गांधी के लेख पर भाजपा नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता सी.आर. केशवन ने कांग्रेस पर "राजनीतिक अवसरवाद और दोहरे मानकों" का आरोप लगाया। एक्स पर पोस्ट करते हुए केशवन ने कहा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में शिक्षा सुधारों को लेकर असंगति और भ्रम था। उन्होंने कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा नीति में बदलाव को वापस लेने जैसे फैसलों को इसका उदाहरण बताया।

केशवन ने नई शिक्षा नीति को दूरदर्शी और समावेशी नीति बताया, जो भारत की शिक्षा को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाते हुए, भाषाई और सांस्कृतिक विविधता का सम्मान करती है। उन्होंने कहा, "एनईपी छात्रों को आधुनिक कौशल से लैस करने, मातृभाषा में बुनियादी शिक्षा को बढ़ावा देने और संस्थानों को अधिक स्वायत्तता देने का काम कर रही है, जबकि भारत की शैक्षिक विरासत को संरक्षित भी कर रही है।" 

भाषा के नाम पर विभाजन खत्म करने की अपील

शनिवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी देश में भाषा के नाम पर हो रहे विभाजन को समाप्त करने की अपील की। उन्होंने भाजपा की हिंदी और अन्य सभी भारतीय भाषाओं की सुरक्षा की प्रतिबद्धता दोहराई।

उन्होंने कहा, "कुछ लोग तमिल और हिंदी भाषा को लेकर अनावश्यक विवाद खड़ा कर रहे हैं। लेकिन भाजपा हिंदी और अन्य सभी भारतीय भाषाओं की सुरक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और इस दिशा में कार्य कर रही है। हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के बीच कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है, बल्कि उनमें सहयोग की भावना है। हिंदी सभी भारतीय भाषाओं को मजबूत करती है, और सभी भारतीय भाषाएं हिंदी को मजबूत करती हैं।"

राजनाथ सिंह ने आगे कहा, "भाषा के नाम पर देश को बांटने की प्रवृत्ति अब खत्म होनी चाहिए। और यदि कोई इस संदेश को प्रभावी ढंग से फैला सकता है और इसमें सक्रिय भूमिका निभा सकता है, तो मुझे विश्वास है कि हमारी बहनें (महिलाएं) इसे और भी प्रभावशाली ढंग से कर सकती हैं।" रक्षा मंत्री ने ये बयान तमिल योद्धा रानी वेलु नचियार को सम्मानित करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में दिया।

ये बयान ऐसे समय पर आए हैं जब तमिलनाडु सरकार और केंद्र सरकार के बीच नई शिक्षा नीति 2020 के तहत प्रस्तावित त्रिभाषा फॉर्मूला और परिसीमन प्रक्रिया को लेकर मतभेद बढ़ रहे हैं। मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार ने त्रिभाषा नीति का कड़ा विरोध किया है।

यह भी पढ़ें
Here are a few more articles:
Read the Next Article