नई दिल्ली: हरियाणा लैंड स्कैम से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दूसरी बार मंगलवार को रॉबर्ट वाड्रा को समन भेजा है। साथ ही ईडी ने आज पूछताछ के लिए बुलाया है। बताया जा रहा है कि वह ईडी दफ्तर के लिए निकल चुके हैं। इससे पहले आठ अप्रैल को भी उन्हें पूछताछ के लिए तलब किया गया था। हालांकि वह ईडी दफ्तर नहीं पहुंचे थे। आज ईडी ऑफिस जाते समय उन्होंने कहा कि पूछताछ के लिए ईडी दफ्तर जा रहा हूं। मैं जनता की आवाज बुलंद करूंगा। जो भी पूछा जाएगा मैं बताऊंगा। 

वाड्रा ने कहा, 'मेरे खिलाफ ईडी का इस्तेमाल किया जा रहा है। मुझे कुछ छिपाने की जरूरत नहीं है। मैं हर सवाल का जवाब देता रहा हूं और देता रहूंगा। मैं जनता की आवाज को बुलंद करूंगा। जो पूछा जाएगा, बताऊंगा। उन्होंने कहा कि मैं जब लोगों के हित में बोलता हूं तो हमें दबाया जाता है। राहुल गांधी को संसद में दबाया जाता है, मुझे संसद के बाहर दबाया जाता है। वह मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप पर बोले कि तो साबित करो ना। बीस साल से कुछ नहीं मिला है। अगर मनी लॉन्ड्रिंग हुई है तो प्रूफ करो।'

क्या है पूरा मामला?

यह मामला साल 2018 का है। यह केस तौरू के रहने वाले सुरेंद्र शर्मा की शिकायत पर 1 सितंबर 2018 को  गुड़गांव के खेरकी दौला थाने में दर्ज किया गया था। हरियाणा लैंड स्कैम मामले में कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी के पति और बिजनेसमैन रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी पर आरोप है कि उसने अन्य लोगों के साथ मिलकर उनके साथ धोखाधड़ी की थी। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी इस मामले में आरोपी बनाया गया है। उस समय की हरियाणा सरकार ने इस जमीन में से 2।70 एकड़ जमीन को कमर्शियल कॉलोनी के तौर पर डेवलप करने की इजाजत देते हुए रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी को लाइसेंस दिया था। लेकिन कॉलोनी विकसित करने की बजाय रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी ने इस जमीन को 2012 में 58 करोड़ रुपये में डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को बेच दिया था।

रॉबर्ट वाड्रा पर क्या लगे आरोप?

रॉबर्ट वाड्रा पर आरोप है कि हरियाणा सरकार से कम दाम पर मिली इस जमीन को डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को बेचकर रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी प्राइवेट लिमिटेड ने करोड़ों का मुनाफा कमाया था। रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी प्राइवेट लिमिटेड ने 18 सितंबर 2012 को सेल डील के जरिए इस जमीन को तो डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को बेच दिया था लेकिन हरियाणा सरकार के टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ने लाइसेंस को ट्रांसफर करने की फाइनल परमिशन नहीं दी थी।