Ranchi:Jharkhand Cabinet Minister Alamgir Alam during an election campaign rally in favour of Congress Candidate Yashswini Sahay in Ranchi, Jharkhand on Monday, May 6, 2024. Enforcement Directorate (ED) recovered more than 25 crores cash during raid from his Personal assistance residence.(Photo:Rajesh Kumar/IANS)
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रांचीः छापेमारी में 37 करोड़ रुपए जब्त किए जाने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रविवार को झारखंड के मंत्री आलमगीर आलम को तलब किया है। ईडी ने मई के शुरुआती हफ्ते में आलमगीर के निजी सचिव के आवास परिसर से 37 करोड़ रुपये से अधिक की "बेहिसाबी नकदी" जब्त की थी। वरिष्ठ कांग्रेस विधायक को 14 मई को रांची के जोनल कार्यालय में एजेंसी के सामने पेश होने के लिए कहा गया है।
एक दर्जन से अधिक ठिकानों पर ईडी ने की थी छापेमारी
इससे पहले 6 और 7 मई को रांची में एक दर्जन से भी ज्यादा ठिकानों पर छापेमारी में ईडी ने 37.37 करोड़ रुपये बरामद किए थे। आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल के घरेलू नौकर जहांगीर आलम के अपार्टमेंट से 32.20 करोड़ मिले थे। वहीं, संजीव लाल की पत्नी की कंपनी में पार्टनर बिल्डर मुन्ना सिंह के घर से 2.93 करोड़ बरामद हुए थे। जबकि संजीव लाल के घर से ईडी ने 10.50 लाख और एक कांट्रैक्टर राजीव सिंह के फ्लैट से डेढ़ करोड़ रुपए जब्त किए थे। छापेमारी के बाद आलम और लाल दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया था।
ईडी ने संजीव लाल और जहांगीर आलम को रिमांड पर लेने के लिए कोर्ट में जो आवेदन दिया था, उसमें कहा गया है कि झारखंड के ग्रामीण विकास विभाग की योजनाओ में 15 प्रतिशत की दर से वसूली होती है। संजीव लाल टेंडर मैनेज कर कमीशन वसूलता है और इस रकम का बड़ा हिस्सा बड़े अफसरों और राजनीतिज्ञों तक जाता है।
ईडी के रडार पर कई नेता और अफसर
माना जा रहा है कि कई अन्य अफसर और नेता इस मामले में ईडी के रडार पर आएंगे। आलमगीर आलम को समन भेजकर ईडी ने इसकी शुरुआत कर दी है। 70 वर्षीय कांग्रेस नेता आलमगीर आलम झारखंड में ग्रामीण विकास मंत्री हैं और राज्य विधानसभा में पाकुड़ सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं।
छापेमारी किस सिलसिले में की गई थी
यह छापेमारी झारखंड ग्रामीण विकास विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चल रही जांच के सिलसिले में थी, जिन्हें पिछले साल गिरफ्तार किया गया था। यह विभाग में कुछ योजनाओं के कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं से जुड़ा था।
2019 में वीरेंद्र राम के एक मातहत के पास से भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी। बाद में, प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन निवारण (पीएमएलए) अधिनियम के तहत मामले को अपने हाथ में ले लिया। वीरेंद्र राम के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला झारखंड भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की एक शिकायत से जुड़ा है।