रायपुर: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को छत्तीसगढ़ के भिलाई के पदुम नगर इलाके में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल के आवास पर छापेमारी की। टीमें चार इनोवा कारों में सवार होकर चैतन्य के भिलाई स्थित आवास पर पहुंचीं। रिपोर्टों के अनुसार, यह एक बड़े अभियान का हिस्सा हो सकता है, जिसमें केंद्रीय जांच एजेंसी ने राज्य भर में करीब 14 स्थानों पर छापेमारी की, इनमें से कुछ चैतन्य बघेल से जुड़े हैं। दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि ईडी की टीम कोयला घोटाला और महादेव सट्टा ऐप मामले में जांच करने आई है।
पूर्व सीएम के कार्यालय ने अपने एक्स हैंडल पर छापेमारी पर तुरंत प्रतिक्रिया दी है। पोस्ट में कहा, "सात वर्षों से चले आ रहे झूठे केस को जब अदालत में बर्खास्त कर दिया गया तो आज ईडी के मेहमानों ने पूर्व मुख्यमंत्री, कांग्रेस महासचिव भूपेश बघेल के भिलाई निवास में आज सुबह प्रवेश किया है। अगर इस षड्यंत्र से कोई पंजाब में कांग्रेस को रोकने का प्रयास कर रहा है, तो यह गलतफहमी है।"
सात वर्षों से चले आ रहे झूठे केस को जब अदालत में बर्खास्त कर दिया गया तो आज ED के मेहमानों ने पूर्व मुख्यमंत्री, कांग्रेस महासचिव भूपेश बघेल के भिलाई निवास में आज सुबह प्रवेश किया है.
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) March 10, 2025
अगर इस षड्यंत्र से कोई पंजाब में कांग्रेस को रोकने का प्रयास कर रहा है, तो यह गलतफहमी है.
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यह पहली बार नहीं है जब ईडी ने बघेल से जुड़े किसी मामले में छत्तीसगढ़ में तलाशी अभियान चलाया है। इससे पहले 2023 में जब राज्य में चुनाव होने वाले थे, तब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रायपुर और दुर्ग जिलों में बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा और दो विशेष कार्य अधिकारियों (ओएसडी) के परिसरों पर तलाशी ली थी।
राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ
ईडी दावा कर चुकी है कि छत्तीसगढ़ शराब घोटाले से राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ, जबकि शराब सिंडिकेट ने कथित तौर पर अपराध की आय के रूप में 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी की। मामले के सिलसिले में राज्य सरकार के अधिकारियों और व्यापारियों सहित कई व्यक्तियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
ईडी छत्तीसगढ़ शराब घोटाला मामले में जांच कर रही है। मामले को लेकर ईडी, एसीबी में एफआईआर दर्ज कराई गई। दर्ज FIR में 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई। ईडी ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में आईएएस अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था।
(आईएनएस इनपुट के साथ)