अहमदाबाद: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को गुजरात के विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई राज्य में वक्फ संपत्तियों के कथित दुरुपयोग और वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच के तहत की गई। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम (PMLA) के तहत दर्ज किया गया है और इसकी जांच अहमदाबाद पुलिस की एक प्राथमिकी के आधार पर की जा रही है।

यह प्राथमिकी सलीम खान जुम्मा खान पठान, मोहम्मद यासिर अब्दुलहामिया शेख, महमूद खान जुम्मा खान पठान, फैज मोहम्मद पीर मोहम्मद चोबदार और शाहिद अहमद याकूबभाई शेख के खिलाफ दर्ज की गई है। आरोपियों पर आरोप है कि उन्होंने खुद को अवैध रूप से 'कांच की मस्जिद ट्रस्ट' और 'शाह बड़ा कसम ट्रस्ट' का ट्रस्टी घोषित किया।

फर्जी लीज एग्रीमेंट बनाकर किराएदारों से अवैध वसूली

सूत्रों के मुताबिक, ईडी की अहमदाबाद जोनल टीम ने आरोपियों और उनके सहयोगियों के नौ परिसरों पर छापेमारी की है। आरोप है कि इन लोगों ने फर्जी लीज एग्रीमेंट बनाकर किराएदारों से अवैध वसूली की और वक्फ बोर्ड में झूठे हलफनामे जमा किए।

ईडी को संदेह है कि आरोपियों ने ट्रस्ट की जमीन पर अवैध रूप से दुकानें बनवाईं और उनसे हर माह किराया वसूला, लेकिन यह रकम ट्रस्ट के खाते में जमा नहीं की गई। यह राशि कथित रूप से निजी लाभ के लिए इस्तेमाल की गई और इसके जरिए अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) और वक्फ बोर्ड के साथ धोखाधड़ी और साजिश की गई।

सूत्रों के अनुसार, कांच की मस्जिद ट्रस्ट के पास स्थित एक प्लॉट को वर्षों पहले अहमदाबाद नगर निगम को दिया गया था, ताकि उस पर दो उर्दू स्कूल बनाए जा सकें। उद्देश्य था कि कक्षा 1 से 7 तक के बच्चों को शिक्षा दी जा सके। यह स्कूल 2001 के भूकंप में क्षतिग्रस्त हो गया था और 2009 में इसे पूरी तरह ढहा दिया गया।

'150-200 मकान और 25-30 दुकानें अवैध'

2008 से 2025 के बीच इस जमीन पर लगभग 150-200 मकान और 25-30 दुकानें अवैध रूप से बनाई गईं। इनसे किराया तो वसूला गया, लेकिन ट्रस्ट के कल्याणकारी कार्यों के लिए इसका उपयोग नहीं किया गया।

ईडी को यह भी संदेह है कि वर्ष 2024 में आरोपियों ने गांधीनगर स्थित वक्फ बोर्ड में फर्जी हलफनामा दाखिल कर खुद को ट्रस्टी घोषित करने की कोशिश की, ताकि वक्फ बोर्ड और नगर निगम दोनों को गुमराह किया जा सके।