बेंगलुरुः प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) भूमि आवंटन घोटाले की जांच के सिलसिले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती और शहरी विकास मंत्री बिरथी सुरेश को नोटिस जारी किया है। इस घोटाले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके करीबी सहयोगियों पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं।
ईडी ने अक्टूबर 2024 में मुडा घोटाले की जांच शुरू की थी। इस मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी बीएम पार्वती और उनके भाई बीएम मल्लिकार्जुनस्वामी मुख्य आरोपी बताए गए हैं। तब से ईडी ने मुख्यमंत्री और उनके सहयोगियों को कई बार नोटिस भेजे और कर्नाटक में विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी की।
दिसंबर में ईडी ने लोकायुक्त को एक पत्र लिखकर मुडा के तहत भूमि आवंटन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया। ईडी के अनुसार, इस घोटाले की बाजार कीमत 700 करोड़ रुपये से अधिक आंकी गई है। ईडी ने यह भी आरोप लगाया कि गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए भूमि का विमुद्रीकरण बिना उचित प्रक्रिया, विशेषज्ञ सलाह या रिकॉर्ड की समीक्षा के किया गया।
सिद्धारमैया ने उठाए ईडी की मंशा पर सवाल
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने ईडी की कार्रवाई पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे राजनीति से प्रेरित बताते हुए कहा कि लोकायुक्त जांच पहले से ही चल रही है, फिर ईडी की हस्तक्षेप की क्या आवश्यकता है। उन्होंने ईडी पर राजनीतिक उद्देश्य से काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह उनके अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण है।
विपक्ष और सरकार के नेताओं ने क्या कहा?
उधर, विपक्ष के नेता आर अशोक ने इस मामले को नियमित कानूनी प्रक्रिया बताया। उन्होंने कहा, “ऐसे नोटिस पहले भी आए हैं, चाहे सरकार किसी भी पार्टी की हो। यह राज्य या केंद्र सरकार के हस्तक्षेप से मुक्त प्रक्रिया है।”
दूसरी ओर, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने इस मामले को राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा, “जब लोकायुक्त पहले से जांच कर रहा है, तो ईडी या सीबीआई कैसे जांच कर सकती है? एक साथ दो एजेंसियां जांच नहीं कर सकतीं। यह सब एक राजनीतिक षड्यंत्र है।”
क्या है मुडा घोटाला?
मुडा भूमि आवंटन घोटाला कर्नाटक के सबसे बड़े भ्रष्टाचार मामलों में से एक है। मामला मैसूर के केसारू गांव में 3.16 एकड़ जमीन से जुड़ा है, जिसे 2010 में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को उनके भाई मल्लिकार्जुनस्वामी ने उपहार स्वरूप दिया था। मुडा द्वारा इस जमीन के अधिग्रहण के बाद पार्वती को इसके बदले 14 उच्च मूल्य वाले भूखंड आवंटित किए गए।
भाजपा ने आरोप लगाया है कि पार्वती को जिन वैकल्पिक भूखंडों का आवंटन हुआ, उनके सर्कल रेट काफी अधिक थे। एक शिकायतकर्ता मंजूनाथ स्वामी ने दावा किया कि यह जमीन उनकी पैतृक संपत्ति थी, जिसे धोखे से कब्जा कर सिद्धारमैया के बहनोई को बेचा गया।
सिद्धारमैया ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनकी पत्नी को भूखंड कानूनी प्रक्रियाओं के तहत आवंटित हुए और यह मामला 2021 में भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान हुआ था।
आरोप यह भी है कि 2004 में जब मल्लिकार्जुन ने जमीन खरीदी थी, तब मुडा पहले ही इसका अधिग्रहण कर चुका था। मल्लिकार्जुन पर जाली दस्तावेजों के जरिए भूमि हासिल करने और बाद में पार्वती को देने का आरोप है।