'ईडी हर सीमा लांघ रही है', सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु 'शराब घोटाले' में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच रोकने के दिए आदेश

सीजेआई बीआर गवई की अगुवाई वाली पीठ ने ईडी से कहा, 'आप व्यक्तियों के खिलाफ मामले दर्ज कर सकते हैं... लेकिन निगमों के खिलाफ? आपका ईडी सभी सीमाएं पार कर रहा है!'

Supreme Court

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को तमिलनाडु की सरकारी शराब कंपनी Tasmac (तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन) के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच और छापेमारी पर अस्थायी रोक लगा दी। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ईडी पर बेहद कड़ी टिप्पणी भी की और कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी की कार्रवाई असगंत है।

चीफ जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने कहा कि ईडी हर सीमा को लांघ रही है। कोर्ट ने कहा कि ईडी की कार्रवाई संभवतः असंवैधानिक है, क्योंकि कानून और व्यवस्था राज्य का विषय है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को नोटिस जारी करते हुए फिलहाल उसकी कथित तमिलनाडु शराब घोटाले में जांच को रोकने को कहा।

मार्च और इस महीने ईडी ने मारे थे छापे

इडी ने इसी साल मार्च में तमिलनाडु में बड़े पैमाने पर सरकारी शराब दुकानों और प्रमुख शराब ठेकेदारों पर छापे मारे थे। सीजेआई बीआर गवई की अगुवाई वाली पीठ ने ईडी से कहा, 'आप व्यक्तियों के खिलाफ मामले दर्ज कर सकते हैं... लेकिन निगमों के खिलाफ? आपका ईडी सभी सीमाएं पार कर रहा है! नोटिस जारी किया जाए और छुट्टी के बाद आएं। तब तक किसी भी कार्रवाई पर रोक रहेगी।'

दरअसल, मार्च में एजेंसी ने दावा किया था कि उसे TASMAC यानी तमिलनाडु स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के संचालन में 'कई अनियमितताएं' मिली हैं। ईडी ने यह भी कहा कि उसे 1,000 करोड़ रुपये की 'बेहिसाब' नकदी मिली है। सुप्रीम कोर्ट मद्रास हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें 1,000 करोड़ रुपये के कथित घोटाले में ईडी की जांच को आगे बढ़ने की अनुमति दी गई थी।

प्रवर्तन निदेशालय ने तमिलनाडु में शराब की बिक्री की निगरानी करने वाले निकाय के भीतर कथित भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं की बड़े पैमाने पर जांच के बीच मार्च में TASMAC कार्यालयों में छापेमारी की थी। ईडी के अधिकारियों ने 6 मार्च से 8 मार्च के बीच चेन्नई में निगम के मुख्यालय सहित 20 स्थानों पर छापे मारे था। यह जांच तमिलनाडु सतर्कता विभाग द्वारा मामले में दर्ज 40 से अधिक एफआईआर पर आधारित है।

'संविधान का उल्लंघन कर रही ईडी'

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ईडी की कार्यवाही पर रोक लगाते हुए एजेंसी से पूछा कि मुख्य अपराध क्या था। कोर्ट ने कहा, 'कार्यवाही पर रोक लगाइए। जब ​​अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर हैं तो ईडी यहां क्यों आ रही है? मुख्य अपराध कहां है? आप (ईडी) हलफनामा दाखिल करें।'

पीठ ने कहा कि ईडी पूरी तरह से 'संविधान के संघीय ढांचे' का उल्लंघन कर रही है। वहीं, ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि वह इस संबंध में जवाब दाखिल करेंगे।

बताते चलें कि ईडी की छापेमारियों के बाद तमिलनाडु में डीएमके के नेतृत्व वाली राज्य सरकार और टीएएसएमएसी ने जांच एजेंसी पर अपनी शक्तियों से आगे बढ़कर कार्रवाई करने का आरोप लगाया था इसे अवैध बताया। राज्य सरकार ने पहले मद्रास उच्च न्यायालय में ईडी की छापेमारी की वैधता को चुनौती दी थी। हालांकि याचिका खारिज कर दी गई। इसके बाद मामला शीर्ष अदालत पहुंचा।

कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी ने क्या दलील दी?

मामले में तमिलनाडु राज्य की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि राज्य ने 2014 से अब तक कई व्यक्तियों के खिलाफ 41 एफआईआर दर्ज की हैं। सिब्बल ने कहा, 'ईडी 2025 में मामले में दाखिल हुई और निगम मुख्यालय पर छापा मारती है। फोन ले लिए गए...सब कुछ ले लिया गया। यह निजता का मुद्दा है।'

वहीं, TASMAC की ओर से पेश वरिष्ठ मुकुल रोहतगी ने कहा, 'सभी फोन हटा दिए गए हैं। क्या निजता जैसी कोई चीज है।' इसके बाद ईडी के आचरण पर सवाल उठाते हुए न्यायालय ने राज्य और टीएएसएमएसी के पक्ष में स्थगन आदेश जारी किया।

 

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