नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी को एक 700 करोड़ रुपये से अधिक के बैंक धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया है। उनके साथ गंगोत्री एंटरप्राइजेज (GEL) के मुख्य प्रबंधकीय अधिकारी अजीत पांडेय को भी हिरासत में लिया गया है।

इन दोनों को 7 अप्रैल को यूपी के लखनऊ, गोरखपुर, महाराजगंज और नोएडा तथा मुंबई में ईडी द्वारा की गई छापेमारी के दौरान गिरफ्तार किया गया। ये छापे गंगोत्री एंटरप्राइजेज लिमिटेड और अन्य के खिलाफ धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत दर्ज बैंक धोखाधड़ी के मामले में मारे गए।

ईडी के अनुसार, यह कार्रवाई तिवारी और उनके करीबी सहयोगियों के घर और दफ्तर की तलाशी के दौरान मिली अवैध संपत्ति और संदिग्ध दस्तावेजों के आधार पर की गई।

दोनों को बाद में लखनऊ स्थित विशेष पीएमएलए अदालत में पेश किया गया, जहाँ से उन्हें पहले 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया और बाद में 11 अप्रैल तक ईडी की हिरासत दी गई।

क्या है पूरा मामला?

ईडी के मुताबिक, विनय शंकर तिवारी गंगोत्री एंटरप्राइजेज के प्रमोटर हैं, जो लंबे समय से सरकारी ठेके लेने वाली कंपनी रही है। यह कंपनी अब बड़े पैमाने पर वित्तीय गड़बड़ी के आरोपों के घेरे में है।

जांच की शुरुआत सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर हुई थी, जिसमें गंगोत्री एंटरप्राइजेज लिमिटेड पर 754 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी का आरोप है। ईडी की जांच में सामने आया कि यह रकम तिवारी, उनके परिवार और करीबी रिश्तेदारों द्वारा कई फर्जी कंपनियों के जरिये हड़प ली गई।

ईडी ने क्या जब्त किया?

ईडी ने इस मामले में अब तक दो बार संपत्ति कुर्क की है। पहला अनंतिम कुर्की आदेश 17 नवंबर 2023 को 72.08 करोड़ रुपये की संपत्ति के लिए जारी किया गया था। वहीं, दूसरा आदेश 18 मार्च 2024 को 30.86 करोड़ रुपये की संपत्ति पर लागू हुआ।

ईडी ने बताया कि छापेमारी के दौरान यह पाया गया कि कंपनियों को बिना ब्याज के ऋण और नकली निवेश के नाम पर पैसे ट्रांसफर किए गए। इसके अलावा, जब कंपनी का लोन एनपीए में बदल गया, तब कुछ कीमती संपत्तियाँ बेनामी संस्थाओं के नाम कर दी गईं। ईडी ने कई आपत्तिजनक दस्तावेज भी बरामद किए हैं, जो मामले में आगे की कार्रवाई में अहम भूमिका निभा सकते हैं।