लोकतंत्र में प्रत्येक वोट मायने रखता है। भारत में चुनाव आयोग यह सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाता है कि सभी मतदाताओं को स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से मतदान करने का अवसर मिले। लेकिन कई बार वोटरों के साथ धोखाधड़ी हो जाती है। जैसे ही मतदान करने बूथ पर पहुंचते हैं, उन्हें पता चलता है कि उनका वोट किसी ने पहले ही डाल दिया है। ऐसे परिस्थिति में चुनाव आयोग ने हर बूथ पर ‘टेंडर वोट’ की व्यवस्था की है। इसके जरिए अब कोई भी दल या बूथ एजेंट फर्जी वोट पर आपत्ति करक सकता है।
अगर आपके वोट डालने से पहले ही किसी ने आपका वोट डाल दिया है तो आप इसके खिलाफ पोलिंग स्टेशन के पीठासीन अधिकारी के पास आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। इसे धारा 49(पी) के तहत वोट का चोरी होना कहा जाता है। चुनाव आयोग ने साल 1961 में इस धारा को संशोधित करके शामिल किया था।
टेंडर वोट के लिए आपको सिर्फ 2 रुपए खर्च करने पड़ेंगे। आपको पीठासीन अधिकारी से 2 रुपए की रसीद कटवानी होगी। हालांकि आपकी शिकायत गलत पाए जाने पर पीठासीन अधिकारी आपके खिलाफ भी कार्रवाई कर सकता है। आप ही असली मतदाता हैं, इसके लिए आपके पास वोटर आईडी कार्ड और बूथ पर्ची होनी जरूरी है। पर्ची कटवाने के बाद पीठासीन अधिकारी तत्काल कार्रवाई कर फर्जी मतदान करने वाले शख्स से उसका नाम, घर का पता और पारिवारिक सदस्यता की जानकारी हासिल करेगा। अगर शख्स के जवाबों से पीठासीन अधिकारी संतुष्टि नहीं होता है तो वह स्थानीय पार्षद या प्रधान को बुलाकर वोटर के बारे में गवाही लेगा। अगर कुछ भी गलत पाया जाता है तो अधिकारी फर्जी वोटर पर तत्काल ऐक्शन लेगा और उसे जेल भेज सकता है।
टेंडर वोट कैसे डाला जाता है?
टेंडर वोट डालने के लिए, मतदाता को निम्नलिखित चरणों का पालन करना होगा:
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- मतदान केंद्र अधिकारी को सूचित करें कि वे टेंडर वोट डालना चाहते हैं।
- मतदान केंद्र अधिकारी मतदाता को एक फॉर्म देगा।
- मतदाता को फॉर्म में अपना नाम, पता और मतदाता पहचान संख्या भरनी होगी।
- मतदाता को फॉर्म पर हस्ताक्षर करना होगा और उसे मतदान केंद्र अधिकारी को जमा करना होगा।
- मतदाता को फॉर्म पर हस्ताक्षर करना होगा और उसे मतदान केंद्र अधिकारी को जमा करना होगा।
- अधिकारी आपको बैलेट पेपर देगा, उसमें आपको सभी उम्मीदवारों के नाम और चुनाव चिन्ह होंगे।
- आपको अपनी पसंद के उम्मीदवार के सामने क्रास का निशान लगाकर वोट डालना होगा
- वोट डालने के बाद बैलेट पेपर को मोड़कर आपको पीठासीन अधिकारी को सौंपना होगा।
- पीठासीन अधिकारी बैलेट पेपर को एक लिफाफे में डालकर एक अलग बक्से में रखेंगे।
टेंडर वोट के बारे में
टेंडर वोट के जरिए केवल बोगस वोट की पहचान की जाती है। इस वोट से चुनाव में हार जीत का फ़ैसला नहीं होगा. क्योंकि टेंडर वोट की कभी गिनती नहीं होती है। अगर दो उम्मीदवारों को एकसमान मत मिले तो भी टेंडर्ड वोटों की गिनती नहीं होगी। टेंडर वोट केवल उसी निर्वाचन क्षेत्र में डाला जा सकता है जहां मतदाता पंजीकृत है। टेंडर वोट गुप्त रूप से डाला जाता है।