स्वच्छ भारत मिशन के कारण हर साल 60 से 70 हजार नवजातों की बच रही है जान, स्टडी में दावा

केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी के एक बयान के अनुसार, जुलाई 2024 तक पिछले नौ सालों में ग्रामीण और शहरी भारत में लगभग 12 करोड़ शौचालय बनाए गए हैं।

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Due to Swachh Bharat Mission lives of 60 to 70 thousand indian newborns being saved every year claims International Food Policy Research Institute USa study

प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो- IANS)

नई दिल्ली: भारत के राष्ट्रीय स्वच्छता कार्यक्रम स्वच्छ भारत मिशन ने संभावित रूप से देश में सालाना लगभग 60 से 70 हजार शिशुओं की मौत को रोकने में मदद की है। यह खुलासा हाल के एक स्टडी में हुआ है।

वैज्ञानिक रिपोर्ट में प्रकाशित और अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान की एक टीम द्वारा संचालित एक शोध में साल 2000 से 2020 तक के डेटा की स्टडी की गई है। इस स्टडी में देश के 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 600 से अधिक जिलों के डेटा का विश्लेषण किया गया है।

अध्ययन में स्वच्छ भारत मिशन के तहत देश में बनाए गए शौचालयों की बढ़ती पहुंच और शिशुओं और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु में कमी के बीच सीधा संबंध पाया गया है।

इसमें यह दावा किया गया है कि जिला स्तर पर शौचालय कवरेज में 10 फीसदी सुधार के साथ शिशुओं के मृत्यु में 0.9 अंक की कमी देखी गई है। यही नहीं स्टडी में यह भी दावा किया गया है कि पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु में 1.1 अंक की गिरावट दर्ज की गई है।

स्टडी में यह भी दावा किया गया है कि देश भर के शौचालयों के बनने में 30 फीसदी सुधार से बाल मृत्यु दर में और भी अधिक महत्वपूर्ण कमी देखी गई है।

शौचालयों के पहुंच के और भी हैं फायदे

शोध में पता चला है कि मिशन के कारण देश में सालाना 60 से 70 हजार बच्चों की जान बची है। आंकड़े यह बताते हैं कि देश में बच्चों के स्वास्थ में कितने हद तक सुधार हुआ है।

ये निष्कर्ष वैश्विक शोध से मेल खाते हैं जो यह बताता है कि बेहतर स्वच्छता से बाल मृत्यु दर को पांच से 30 फीसदी तक कम किया जा सकता है। जिस तरीके से देश में शौचालयों की पहुंच बढ़ी है, उससे कुछ और लाभ भी हुए हैं।

इससे महिलाओं की सुरक्षा में सुधार, चिकित्सा लागत में कमी आई है और इससे लोगों के जीवन को बेहतर बनने में योगदान भी मिला है।

शौचालयों की पहुंच के सकारात्मक परिणामों के बावजूद देश में अभी भी कई चुनौतियां बनी हुई है। देश में जाति और धर्म-आधारित भेदभाव के कारण लोग शौचालय को अपनाने और इसके इस्तेमाल से अभी भी परहेज कर रहे हैं।

कुछ स्थानीय अधिकारियों ने भी अभियान लक्ष्यों को पूरा करने के लिए कुछ जरूरी उपायों को अपनाया है। इन उपायों में मानवाधिकारों और स्वच्छता से संबंधित व्यवहार शामिल है।

बता दें कि अध्ययन स्वच्छ भारत मिशन को अपनी पूर्ण क्षमता प्राप्त करने के लिए इन मुद्दों को संबोधित करने के महत्व पर जोर देता है। यही नहीं स्टडी में अन्य निम्न और मध्यम आय वाले देशों में इसी तरह के स्वच्छता अभियान चलाने की भी शिफारिश की है।

क्या है स्वच्छ भारत मिशन?

स्वच्छ भारत मिशन एक अभियान है जिसे भारत सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर दो अक्टूबर 2014 को शुरू किया गया था। यह एक राष्ट्रीय अभियान है जिसका उद्देश्य देश के रास्तों, सड़कों और बुनियादी ढांचे की सफाई करना है।

इस अभियान का लक्ष्य देश के सभी ग्रामीण घरों तक शौचालयों की पहुंच को बनाए रखने के साथ गांवों में खुले में शौच की समस्या से निपटाना भी है। इस अभियान के शुरू होने के बाद इसने अच्छी सफलता हालिस की है।

पिछले 9 सालों में 12 करोड़ बनाए गए हैं शौचालय-केंद्रीय मंत्री

केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी के एक बयान के अनुसार, जुलाई 2024 तक पिछले नौ सालों में ग्रामीण और शहरी भारत में लगभग 12 करोड़ शौचालय बनाए गए हैं।

इस अभियान की प्रगति को मानते हुए संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के एक विभाग ने कहा कि मिशन के कारण साल 2019 तक 6.3 लाख गांवों में 50 करोड़ लोगों को लाभ हुआ है।

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