Cuet-UG लागू होने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में महिला छात्रों की संख्या में कमी के क्या कारण हैं? Photograph: (आईएएनएस)
नई दिल्लीः सेंट्रल यूनिवर्सिटी एंट्रेस टेस्ट (CUET) लागू होने के बाद से दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) में छात्राओं की संख्या में कमी देखी गई है। साल 2022 में केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने के लिए सीयूईटी-यूजी (CUET-UG) और सीयूईटी-पीजी (CUET-PG) व्यवस्था लागू हुई थी। इस व्यवस्था के लागू होने के बाद के आंकड़े दिखाते हैं कि दिल्ली विश्वविद्यालय में ग्रेजुएशन पाठ्यक्रमों में छात्राओं की संख्या में कमी आई है।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, साल 2021 में डीयू के विभिन्न यूजी पाठ्यक्रमों में 54,818 छात्राओं ने दाखिला लिया था। साल 2022 में सीयूईटी लागू होने के बाद यह संख्या घटकर 34,120 हो गई।
12वीं के अंकों के आधार पर होता था दाखिला
अगले दो वर्षों में हालांकि यह संख्या थोड़ी बढ़ी जरूर लेकिन 2021 के आंकड़ों से कहीं कम है। साल 2023 में 36,039 छात्राओं ने दाखिला लिया तो वहीं 2024 में 38,096 छात्राओं ने दाखिला लिया।
सीयूईटी से पहले दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला 12वीं कक्षा के रिजल्ट के आधार पर होता था। ऐसे में जो छात्र कट-ऑफ को पूरा करते थे, उन्हें दाखिला मिलता था।
सीयूईटी के बाद जेंडर रेशियो में काफी गिरावट देखने को मिली। जहां 2021 में अंडरग्रेजुएट प्रोग्राम में 61.44 प्रतिशत महिलाएं थी तो वहीं 2024 में 54.09 प्रतिशत हो गई।
दिल्ली विश्वविद्यालय में सीयूईटी शुरू होने के पहले साल में ग्रेजुशन कोर्स में काफी गिरावट देखने को मिली। साल 2018 में 75,000 से अधिक छात्रों ने दाखिला लिया था, जो 2022 में सीयूईटी लागू होने के बाद 64,000 हो गया। हालांकि, बाद के सालों में यह संख्या बढ़ी। साल 2023 में 68,000 छात्रों ने दाखिला लिया और 2024 में 70,000 छात्रों ने दाखिला लिया।
2019-2021 तक छात्राओं की संख्या में बढ़ोतरी
साल 2019 से 2021 के बीच के आंकड़े दिखाते हैं कि दिल्ली विश्वविद्यालय के ग्रेजुएशन कोर्सेस में छात्राओं की संख्या में बढ़ोतरी हुई। 2019 में 1,29,000 छात्राओं ने दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के लिए आवेदन किया था। यह संख्या छात्रों की संख्या से अधिक थी। इसके बाद के वर्षों में भी यही ट्रेंड देखा गया जहां दिल्ली विश्वविद्यालय में आवेदन करने वाली छात्राओं की संख्या छात्रों की संख्या की तुलना में अधिक थी।
इसी तरह साल 2020 में 1,16,482 छात्राओं ने दिल्ली विश्वविद्यालय में दाखिले के लिए आवेदन किया था। वहीं, इस साल 1,05,913 छात्रों ने आवेदन किया था। साल 2021 में जहां 94,921 छात्राओं ने आवेदन किया था तो वहीं 70,653 छात्रों ने इसके लिए आवेदन किया था।
साल 2022 में सीयूईटी लागू हुआ तब भी दिल्ली विश्वविद्यालय के लिए आवेदन करने वाले छात्र, छात्राओं की संख्या लगभग बराबर थी। इस साल 87,622 छात्राओं ने आवेदन किया था और 87,523 छात्रों ने आवेदन किया था।
सीयूईटी- यूजी में हालांकि, आवेदन करने वाली छात्राओं की संख्या में इजाफा हो रहा है। साल 2022 में सीयूईटी के तहत कुल 9.68 लाख आवेदन प्राप्त हुए थे। इनमें से 4.29 लाख छात्राएं थीं। वहीं, इस साल सीयूईटी के लिए 13.54 लाख आवेदन प्राप्त हुए हैं जिसमें 6.47 लाख छात्राओं ने आवेदन किया है।
विशेषज्ञों ने क्या कहा?
दिल्ली विश्वविद्यालय की शिक्षा विभाग की पूर्व डीन अनीता रामपाल ने इस बाबत कहा कि जब भी केंद्रीयकृत व्यवस्था लागू की जाती है तो छात्र प्रतिस्पर्धा से निपटने के लिए कोचिंग सेंटर्स पर अधिक निर्भर होते हैं। उन्होंने कहा इसलिए महिला अभ्यर्थियों को इससे थोड़ा नुकसान होता है क्योंकि बहुत कम परिवार बेटियों के लिए कोचिंग में निवेश को तैयार होते हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन की पूर्व प्रोफेसर पूनम बत्रा छात्राओं की संख्या में कमी के बारे में बात करते हुए कहा कि एंट्रेस एग्जाम ऑनलाइन लिए जाने की वजह महिला छात्रों की संख्या में कमी का मुख्य कारण हो सकती है।
उन्होंने कई स्टडीज का हवाला देते हुए कहा कि लड़कियों को खासकर हाशिये के समाज से आने वाली और यहां तक कि मामूली पृष्ठभूमि से आने वाली लड़कियों के पास सीमीत मात्रा में डिजिटल डिवाइस होते हैं। इस वह से वह ऑनलाइन अवसरों को पूरी तरह से भुना नहीं पाती हैं। वहीं, पुरुष छात्रों के पास अधिक अवसर होते हैं क्योंकि वे बाहर साइबर कैफे पर जाकर भी ऑनलाइन सामग्री से पढ़ाई कर सकते हैं जबकि महिला छात्रों को इसके लिए सीमित अवसर होते हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिकारी हालांकि इसके लिए अलग कारण बताते हैं। एक अधिकारी के मुताबिक, एंट्रेस टेस्ट केंद्रीयकृत होने की वजह से यह महिला छात्रों को अधिक विकल्प प्रदान करता है जिससे वे अपने पास के विश्वविद्यालयों या उच्च संस्थानों में दाखिला ले सकें। उन्होंने कहा लड़कियों की संख्या में कमी की एक वजह यह भी हो सकती है।