वक्फ बिल के समर्थन में न करें मतदान, मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सभी धर्मनिरपेक्ष दलों से की अपील

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने बयान जारी कर कहा कि यह विधेयक न केवल भेदभावपूर्ण है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 26 के तहत मौलिक अधिकारों के प्रावधानों का भी उल्लंघन करता है।

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Photograph: (X(@AIMPLB_Official))

नई दिल्ली: वक्फ (संशोधन) विधेयक बुधवार लोकसभा में चर्चा और पारित कराने के लिए पेश किया जाएगा। इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने सभी धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दलों, भाजपा के सहयोगियों और सांसदों से अपील की है कि इसका कड़ा विरोध करें। बोर्ड ने इन दलों से आग्रह किया है कि वे किसी भी परिस्थिति में इस विधेयक के समर्थन में मतदान न करें।

पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने बयान जारी कर कहा कि यह विधेयक न केवल भेदभावपूर्ण है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 26 के तहत मौलिक अधिकारों के प्रावधानों का भी उल्लंघन करता है।

विधेयक पर AIMPLB की आपत्तियां

पर्सनल लॉ बोर्ड के अनुसार, इस विधेयक के जरिए भाजपा सरकार वक्फ कानूनों को कमजोर करने और वक्फ संपत्तियों को जब्त करने का रास्ता साफ करने की कोशिश कर रही है। बोर्ड ने आरोप लगाया कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के बावजूद हर मस्जिद में मंदिर की तलाश का मुद्दा लगातार बढ़ाया जा रहा है।

बयान में कहा गया, "अगर यह संशोधन पारित हो गया, तो वक्फ संपत्तियों पर अवैध सरकारी और गैर-सरकारी दावों की संख्या बढ़ जाएगी, जिससे कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेटों के लिए इन्हें कब्जे में लेना आसान हो जाएगा।" बोर्ड ने यह भी कहा कि भारत हमेशा से हिंदू-मुस्लिम भाईचारे और धार्मिक सौहार्द के लिए जाना जाता है। लेकिन दुर्भाग्यवश, देश की सत्ता फिलहाल ऐसे लोगों के हाथों में है जो इस साम्प्रदायिक सौहार्द को नष्ट कर अराजकता और अशांति पैदा करना चाहते हैं।

लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक

इससे पहले, केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बताया कि लोकसभा की व्यापार सलाहकार समिति (BAC) ने विधेयक पर आठ घंटे की चर्चा तय की है, जिसे सदन की सहमति से बढ़ाया भी जा सकता है।

बैठक के दौरान, कांग्रेस और विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन के कई नेताओं ने विरोध स्वरूप वॉकआउट किया। कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि उनकी आवाज़ दबाई जा रही है। उन्होंने मांग की कि संसद में मणिपुर की स्थिति और मतदाता पहचान पत्र विवाद जैसे अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा होनी चाहिए।

विधेयक में क्या है?

इस विधेयक को अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया था। इसमें वक्फ अधिनियम के 40 संशोधनों का प्रस्ताव दिया गया है। इनमें मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुसलमानों को वक्फ बोर्डों में प्रतिनिधित्व देने जैसी सिफारिशें शामिल हैं। साथ ही, वक्फ बोर्डों के प्रशासन और नियमन में बड़े बदलाव लाने का भी प्रस्ताव है।

सरकार का कहना है कि यह विधेयक एक पुराने और जटिल सिस्टम को आधुनिक बनाएगा और इसे 2006 की राजिंदर सच्चर कमेटी की सिफारिशों के अनुरूप किया जाएगा। हालांकि, विपक्ष ने इस विधेयक की गहन जांच की मांग की है और आरोप लगाया है कि यह मुस्लिम समुदायों के हितों को नुकसान पहुंचा सकता है।

संयुक्त संसदीय समिति (JPC) द्वारा संशोधित विधेयक को बजट सत्र के दौरान संसद में पेश किया गया था। इस समिति ने विधेयक का नाम बदलकर "यूनिफाइड वक्फ मैनेजमेंट, एम्पावरमेंट, एफिशिएंसी और डेवलपमेंट एक्ट" करने की सिफारिश की थी।

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