वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत में वोटिंग को बढ़ावा देने के लिए USAID ('यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट') के जरिए 21 मिलियन डॉलर (1.82 अरब रुपये) की मदद दिए जाने के फैसले पर एक बार फिर सवाल खड़ा करते हुए बड़ा दावा किया है।
उन्होंने एक तरह से पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन पर सवाल खड़ा करते हुए आशंका जताई कि वे शायद भारत में किसी और की सरकार बनवाना चाहते थे।
ट्रंप ने यह भी कहा कि वे इस मुद्दे को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के सामने रखेंगे। ट्रंप ने इसे पूर्व बाइडन प्रशासन पर भारतीय चुनावों में स्पष्ट हस्तक्षेप का संकेत बताते हुए कहा कि अमेरिकी सरकार इस मामले को उठाएगी और इस मुद्दे पर मोदी सरकार के साथ बातचीत करेगी।
भारतीय चुनाव पर ट्रंप का सनसनीखेज दावा
भारत में पिछले साल 2024 के आम चुनावों में मोदी सरकार तीसरी बार सत्ता में लौटी है। हालांकि, भाजपा अपने दम पर बहुमत हासिल करने में विफल रही और एनडीए सहयोगियों के साथ सरकार बना सकी। अधिकांश एग्जिट पोल में भाजपा के लोकसभा चुनाव में बंपर जीत हासिल करने के अनुमान लगाए गए थे। हालांकि, 4 जून को आए नतीजे एकदम अलग नजर आए।
ट्रंप ने कहा, 'हमें भारत में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए 21 मिलियन डॉलर खर्च करने की आवश्यकता क्यों है? मुझे लगता है कि वे किसी और को चुनाव कराने की कोशिश कर रहे थे।' ट्रंप ने एफआईआई प्रायोरिटी शिखर सम्मेलन में कहा, 'हमें भारत सरकार को बताना होगा... यह पूरी तरह से एक बड़ा खुलासा है।'
#WATCH | Miami, Florida | Addressing the FII PRIORITY Summit, US President Donald Trump says, "... Why do we need to spend $21 million on voter turnout in India? I guess they were trying to get somebody else elected. We have got to tell the Indian Government... This is a total… pic.twitter.com/oxmk6268oW
— ANI (@ANI) February 20, 2025
ट्रंप प्रशासन ने रद्द की USAID फंडिंग
एलन मस्क के नेतृत्व वाली DOGE (दक्षता विभाग) ने 16 फरवरी को भारत में मतदान बढ़ाने के लिए 21 मिलियन अमरीकी डालर की फंडिंग को रद्द करने की घोषणा की थी। ट्रंप ने इस फैसले को सही ठहराते हुए कहा था कि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और वह उच्च कर दरों वाला देश है। ऐसे में उसे इस वित्तीय मदद की जरूरत नहीं है।
ट्रंप ने कहा था, 'हम भारत को 21 मिलियन डॉलर क्यों दे रहे हैं? उनके पास पहले से ही बहुत पैसा है। वे दुनिया के सबसे ज्यादा कर लगाने वाले देशों में से एक हैं, खासकर हमारे संदर्भ में। हमें वहां व्यापार करना मुश्किल हो रहा है क्योंकि उनके टैरिफ बहुत ज्यादा हैं। मैं भारत और उनके प्रधानमंत्री का सम्मान करता हूं, लेकिन मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए 21 मिलियन डॉलर क्यों देना?'
गौरतलब है कि DOGE ने अपने एक बयान में घोषणा की कि उसने सरकारी खर्चों में कटौती के लिए 723 मिलियन डॉलर (62.85 हजार करोड़) की विदेशी सहायता फंडिंग को समाप्त करने का निर्णय लिया है। इस फैसले के तहत भारत के लिए 21 मिलियन डॉलर की अनुदान राशि के अलावा, बांग्लादेश के लिए 29 मिलियन डॉलर और नेपाल के लिए 29 मिलियन डॉलर की फंडिंग भी रद्द कर दी गई। विभाग ने कहा कि यह फैसला अनावश्यक सरकारी खर्चों में कटौती की व्यापक योजना का हिस्सा है।
क्या है USAID?
'यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट' (USAID) की स्थापना 1961 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के कार्यकाल के दौरान की गई थी। इसकी स्थापना एक स्वतंत्र एजेंसी के रूप में की गई थी। बताया गया कि इसका मकसद वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाएं, आपदा राहत, गरीबी उन्मूलन और मानवीय सहायता प्रदान करना था। हालांकि, यह बाद के सालों में 'अमेरिकी सॉफ्ट पावर' को बढ़ावा देने का एक बड़ा जरिया बनता चला गया।
इसके जरिए कई देशों में अमेरिकी हस्तक्षेप बढ़ने के आरोप लगे।