वाशिंगटनः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय को मिलने वाली सरकारी सहायता पर रोक का ऐलान किया है। ट्रंप ने विश्वविद्यालय को दी जाने वाली लगभग एक खरब 88 अरब (2.2 बिलियन डॉलर) की राशि पर रोक लगा दी।
इसके साथ ही ट्रंप प्रशासन द्वारा पांच अरब 14 करोड़ (60 मिलियन डॉलर) के अनुबंध को भी रोक दिया। ट्रंप प्रशासन द्वारा यह रोक विश्वविद्यालय के उस फैसले को लेकर की गई है जिसमें विश्वविद्यालय ने राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा प्रस्तावित नीतिगत परिवर्तनों को मानने से इंकार कर दिया था।
ट्रंप प्रशासन ने रखी थीं ये मांगें
दरअसल व्हाइट हाउस द्वारा विश्वविद्यालय प्रशासन के सामने कुछ मांगे रखी थी जिसमें परिसर में एक्टिविज्म को कम करने के साथ-साथ विविधता, हिस्सेदारी और समावेशी कार्यक्रमों को बंद करने के लिए कहा गया था।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति ट्रंप जो बाइडेन के कार्यकाल में लागू डीईआई (डाइवर्सिटी, इक्विटी, इंक्लूजन) नीतियों के खिलाफ रहे हैं।
बीते शुक्रवार को विश्वविद्यालय को ट्रंप प्रशासन द्वारा एक पत्र भेजा गया था। इस पत्र में विश्वविद्यालय में शासन, भर्ती, प्रवेश प्रक्रियाओं में बदलाव को लेकर बात की गई थी। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन मांगों को ठुकरा दिया था। इसके साथ ही प्रशासन की तरफ से कहा गया था विश्वविद्यालय ने दी जाने वाली संघीय धनराशि को उचित ठहराने वाली बौद्धिक और नागरिक अधिकार जैसी स्थितियों को पूरा करने में विफल रहा है।
ट्रंप प्रशासन की मांग है कि विश्वविद्यालय में प्रवेश और अन्य नियुक्तियों के लिए योग्यता आधारित नीतियों को अपनाना चाहिए और रंग, नस्ल आदि के आधार पर चयन बंद करना चाहिए।
The university will not surrender its independence or relinquish its constitutional rights. Neither Harvard nor any other private university can allow itself to be taken over by the federal government. https://t.co/5k5t9RYYC2
— Harvard University (@Harvard) April 14, 2025
इस संबंध में विश्वविद्यालय प्रशासन ने सोशल प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट साझा करते हुए लिखा "विश्वविद्यालय अपनी स्वतंत्रता या संवैधानिक अधिकारों का त्याग नहीं करेगा।"
यहूदी विरोधी भावना से निपटने में मिले मदद
इंडियन एक्सप्रेस ने एसोशिएटेड प्रेस के हवाले से लिखा है कि व्हाइट हाउस द्वारा नीतिगत परिवर्तनों में बदलाव इस बात को लेकर थे कि इससे परिसर में यहूदी विरोधी भावना से निपटने में मदद मिले लेकिन विश्वविद्यालय के अध्यक्ष एलन गार्बर ने शुक्रवार को लिखे एक पत्र में कहा कि अमेरिकी प्रशासन द्वारा व्यापक मांगे विश्वविद्यालय के प्रथम संशोधन अधिकारों का उल्लंघन करती हैं। इसके साथ ही अध्यक्ष ने कहा था कि ये मांगे "शीर्षक-VI के तहत सरकार के अधिकार की वैधानिक सीमाओं को पार करती हैं।"
वहीं, इस पर शिक्षा विभाग के टास्क फोर्स ने यहूदी विरोधी भावना से लड़ने पर एक बयान में कहा "हार्वर्ड का आज का बयान उस चिंताजनक अधिकारवादी मानसिकता को पुष्ट करता है जो हमारे देश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में व्याप्त है कि संघीय निवेश नागरिक अधिकार कानूनों को बनाए रखने की जिम्मेदारी के साथ नहीं आता है।"
ट्रंप प्रशासन ने पत्र में संघीय धनराशि को जारी रखने के लिए प्रस्तावित परिवर्तनों के लिए 10 श्रेणियां शामिल थीं। इनमें छात्रों और अस्थायी शक्तियों को कम करना शामिल है तथा ऐसे छात्रों की रिपोर्ट सरकार को देने की बात कही गई है जो अमेरिका के मूल्यों के अनुरूप नहीं हैं।