जम्मू: पाकिस्तान क्या अब जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों में अपने पूर्व सैनिकों का इस्तेमाल कर रहा है? इसी हफ्ते डोडा में आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ के बाद यह सवाल उठने लगा है। इस मुठभेड़ में एक सैन्य अधिकारी समेत चार जवान मारे गए। साथ ही जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक जवान की भी जान चली गई थी। सूत्रों के अनुसार इस हमले की जांच में जुटी एजेंसियों को आशंका है कि इसे अंजाम देने में पाकिस्तान के पूर्व सैनिक शामिल हो सकते हैं। मुठभेड़ के बाद से आतंकी फरार हैं और उनकी तलाश जारी है।
सीएनएन-न्यूज-18 की एक रिपोर्ट के अनुसार एक सूत्र ने बताया कि आतंकियों ने गोली जवानों के शरीर के उन्हीं हिस्सों पर चलाई जो हेलमेट या बुलेटप्रूफ जैकेट से कवर नहीं थे। शरीर के ऐसे हिस्सों पर इतना सटीक हमला करने और इतने लंबे समय तक जंगलों में छिपे रहने के लिए सैन्य स्तर की ट्रेनिंग की जरूरत होती है।
एजेंसियां अब जम्मू संभाग में हाल के हमलों में पाकिस्तानी एसएसजी की संलिप्तता की संभावना तलाश रही हैं। एसएसजी पाकिस्तानी सेना का विशेष गुप्त अभियान बल है, जिसके सदस्यों को सीधे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई में भर्ती किया जाता है। ऐसा संदेह है कि पाकिस्तानी सेना से सेवानिवृत्त हुए पूर्व सैनिकों का घुसपैठ कराया जा सकता है। कारगिल युद्ध में पाकिस्तान ने नॉर्दर्न लाइट इन्फैंट्री से अपने नियमित सैनिक भेजे थे।
#LtGenMVSuchindraKumar, #ArmyCdrNC laid wreath to pay homage to the #Bravehearts Captain Brijesh Thapa, Naik D Rajesh, Sepoy Bijendra & Sepoy Ajay Kumar Singh, who laid down their lives in the line of duty to ensure peace in the region, while undertaking a counter terrorist… pic.twitter.com/wtCWSIvae5
— NORTHERN COMMAND – INDIAN ARMY (@NorthernComd_IA) July 16, 2024
गौरतलब है कि जैश-ए-मोहम्मद (JeM) से जुड़े कश्मीर टाइगर्स ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। जांच से पता चला है कि डोडा में आतंकवादियों ने अमेरिका निर्मित एम4 कार्बाइन हथियार का इस्तेमाल किया था। इनका इस्तेमाल अफगानिस्तान युद्ध में किया गया था। अधिकारियों का कहना है कि डोडा में हमले को अंजाम देने के बाद जिस तरह से आतंकवादी लंबे समय से जंगल में छुपे हुए हैं और बाहरी दुनिया से संपर्क नहीं कर रहे, यह उनके सैन्य स्तर की ट्रेनिंग को दिखाता है।
सूत्रों ने कहा कि जांच में जम्मू संभाग में आतंकवाद की अन्य हालिया घटनाओं में पाकिस्तान के एसएसजी की संभावित संलिप्तता की भी जांच हो रही है।
एक बयान में सेना ने कहा कि वह सीमा पार से घुसपैठ कर जम्मू में उधमपुर, डोडा और किश्तवाड़ जिलों के ऊपरी इलाकों में घूम रहे विदेशी आतंकवादियों को खत्म करने के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ संयुक्त अभियान चला रही है। सेना ने कहा, ‘उत्तरी कमान की सभी इकाइयां जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के संकट को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसके लिए निरंतर अभियान जारी रहेगा।’
क्या हुआ था?
दरअसल, सोमवार रात सुरक्षाबलों ने सर्च अभियान चलाया हुआ था। इसी दौरान इलाके में देसा जंगल के पास मुठभेड़ शुरू हो गई। इस मुठभेड़ के बीच दार्जिलिंग के रहने वाले कैप्टन ब्रिजेश थापा, आंध्र प्रदेश के नायक डोकारी राजेश, राजस्थान के सिपाही बिजेंद्र और अजय कुमार सिंह घायल हो गए। बाद में इनकी मौत हो गई। ये सभी राष्ट्रीय राइफल्स से जुड़े थे। जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक जवान की भी इस ऑपरेशन में मौत हो गई।
बहरहाल, सेना, पैरा-कमांडो और ड्रोन और हेलीकॉप्टरों के जरिए सेना ने आतंकवादियों को खत्म करने के लिए अपना तलाशी अभियान तेज कर दिया है। माना जा रहा है कि हमले को अंजाम देने वाले सभी सीमा पार से आए थे और जंगल में छुपे हुए हैं।
बता दें कि हाल के महीनों में जम्मू क्षेत्र में 2021 के बाद से आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि देखी गई है। इन हमलों में 52 सुरक्षाकर्मियों सहित 70 से अधिक लोगों की जान चली गई है, जिनमें से ज्यादातर सेना से हैं।